सही-सलामत डिलीवरी विक्रेता का जिम्मा
नाजुक व जल्दी खराब होने वाली फूलों व बीज जैसी वस्तुओं की गलत हैंडलिंग, डिलीवरी में देरी या गलत पैकेजिंग से उपभोक्ता को नुकसान होता है। इससे ग्राहक संतुष्टि में कमी आती है,वहीं विक्रेता पर विश्वास घटता है। ग्राहक तक ऐसे पदार्थ सही कंडीशन में पहुंचाना विक्रेता या एजेंट का दायित्व है। इस स्थिति में उपभोक्ता नुकसान के लिए मुआवजा प्राप्त कर सकता है।
श्रीगोपाल नारसन
खराब फूलों की डिलीवरी उपभोक्ता सेवा में कमी मानी जायेगी। जिसके लिए फूल विक्रेता पर उपभोक्ता अदालत हर्जाना लगा सकती है। खराब फूलों की डिलीवरी कई कारणों से हो सकती है, जैसे खराब हैंडलिंग, डिलीवरी में लंबा समय, या खराब पैकेजिंग। इन समस्याओं के कारण उपभोक्ता को हुई असुविधा व नुकसान के लिए मुआवजा देना फूल विक्रेता का दायित्व है, क्योंकि इससे जहां उपभोक्ताओं की संतुष्टि में कमी आती है,वहीं विक्रेता के प्रति विश्वास भी घटता है। इसलिए खराब फूलों की डिलीवरी में आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। सबसे पहले, उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि फूलों को उचित विधि से संभाला जाए और पैकेजिंग सही ढंग से की जाए। उन्हें डिलीवरी समय को कम करने और डिलीवरी के दौरान फूलों को सुरक्षित रखने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। उपभोक्ता सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए जागरूकता बरतनी चाहिए।
सेवा से असंतुष्ट हैं तो करें शिकायत
यदि खराब फूलों की डिलीवरी के कारण आप असंतुष्ट हैं, तो अपनी शिकायत उपभोक्ता अदालत में दर्ज करा सकते हैं। साथ ही शिकायत को ऑनलाइन भी पोस्ट कर सकते हैं, ताकि अन्य उपभोक्ताओं को इस व्यवसाय की सेवाओं के बारे में पता चल सके। इसी तरह जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर (तृतीय) ने किसान को कम गुणवत्ता युक्त प्याज के बीज बेचने और फसल का नुकसान होने पर एक नामी बीज निर्माता कंपनी के जयपुर स्थित प्रतिनिधि पर एक लाख रुपए हर्जाना लगाते हुए उन्हें यह राशि परिवादी को एक माह में देने का निर्देश दिया है। जिला उपभोक्ता आयोग ने कहा कि पीड़ित उपभोक्ता, कंपनी से मुकदमा खर्च की राशि दस हजार रुपए भी लेने का हकदार है। उपभोक्ता आयोग ने यह आदेश फुलेरा निवासी कैशाराम चौधरी की शिकायत पर दिया है। कैशाराम नामक उपभोक्ता ने कंपनी के डीलर से 2200 रुपए में प्याज के बीज खरीदे थे, उसने उनकी बुवाई की और रोपाई का काम करवाया। लेकिन जब फसल तैयार होने लगी तो उसमें फूल निकल आए जिससे उसकी 80 प्रतिशत फसल खराब हो गई। जबकि उपभोक्ता को डीलर ने अच्छी गुणवत्ता के बीज बताकर बेचे थे, लेकिन बीज खराब गुणवत्ता के थे जिस कारण उसकी फसल खराब हो गई। इस वजह से बीज निर्माता कंपनी व डीलर से उपभोक्ता को हर्जाना व लागत आदि का खर्च दिलवाया गया।
प्राकृतिक जोखिम की भरपायी!
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत भी किसान प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और फसलों की बीमारियों के कारण होने वाली आर्थिक क्षति का मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना के तहत, किसान अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं, जिससे यदि फसल खराब होती है, तो उन्हें बीमा कम्पनी की तरफ से मुआवजा मिलता है। बता दें कि इस फसल बीमा योजना की शुरुआत साल 2016 में की गई थी। मकसद यह था कि इस योजना से रिस्क कवर हो सके व किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सके। यह भी उल्लेखनीय है कि यह फसल बीमा स्कीम उन किसानों के लिए बनाई गई है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उनके पास फसलों के नुकसान की भरपाई करने के लिए कोई और स्रोत नहीं होता। इस योजना के तहत, किसान कम प्रीमियम में अपनी फसल को सुरक्षित कर सकते हैं और प्राकृतिक आपदाओं या अन्य जोखिमों से होने वाले नुकसान का मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।