समावेशी विकास से ही संभव विकसित भारत का लक्ष्य
भारत की विकास दर हाल ही में गिरकर 5.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि भविष्य में इसे 7 प्रतिशत पर लाने की उम्मीद है। मंदी और निवेश की कमी के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यटन और विंटर टूरिज्म जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं।
सुरेश सेठ
भारत की विकास दर वर्तमान में दुनिया के समृद्ध देशों से बेहतर है, लेकिन हाल के सर्वेक्षणों के अनुसार पिछली दो तिमाहियों में यह 7 प्रतिशत से नीचे गिरकर 5.7 प्रतिशत तक पहुंच गई। हालांकि भविष्य में 7 प्रतिशत विकास दर बनाए रखने का अनुमान है। मंदी के चलते, देश में मांग में कमी के कारण निवेशकों को कम प्रतिफल मिल रहा है। वहीं अमेरिका, चीन व जापान में ब्याज दरें घटने से विदेशी निवेशक फिर से अमेरिका की ओर रुख कर रहे हैं।
चीन के आर्थिक संकट से यह उम्मीद थी कि निवेश भारत की ओर बढ़ेगा, लेकिन बेहतर दरों के कारण निवेश फिर से चीन की ओर लौटता दिख रहा है। वहीं, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा टैरिफ दरों में बदलाव और ‘जैसे को तैसा’ नीति ने भी स्थिति को प्रभावित किया है। यदि अमेरिका के साथ एक समग्र व्यापार समझौता हो जाता है, तो संभवतः हमारे यहां अमेरिकी आयातों पर भारी कर और मुद्रास्फीति का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारतीय विकास यात्रा के रास्ते में कई अवरोध खड़े हो गए हैं। जहां पूंजी निर्माण नहीं हो रहा, वहां दूसरी कृषि क्रांति का इंतजार अभी भी जारी है, लेकिन अधिकांश किसान आर्थिक बदहाली से बाहर नहीं निकल पाए हैं। भारत को उसकी उदार अनुकम्पा नीति और रियायती राशन वितरण के कारण एक ऐसा देश माना गया है, जहां लोग काम की बजाय आराम पसंद करने लगे हैं। कुछ वर्गों को काम नहीं मिलता, या उनका काम छुपी हुई बेरोजगारी माना जा सकता है, क्योंकि वे सकल घरेलू उत्पाद या आय में कोई वृद्धि नहीं करते। इससे देश की एक बड़ी जनसंख्या, खासकर महिलाएं और युवा, उत्पादक श्रम से बाहर हो गए हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने इस स्थिति से उबरने के लिए एक नया नारा दिया है कि भारत का पर्यटन क्षेत्र सबसे अधिक कमाई वाला क्षेत्र है। यहां चार प्रकार का पर्यटन होता है: रमणीक पर्यटन, साहसिक पर्यटन, मेडिकल पर्यटन और धार्मिक पर्यटन। इनमें से मेडिकल पर्यटन में काफी विकास की संभावना है। हालांकि, मोदी जी ने मेडिकल सीटों को रिकार्ड स्तर पर बढ़ाने की घोषणा की है, लेकिन अभी भी मेडिकल शिक्षा गरीब बच्चों के लिए एक सपना ही बनी हुई है।
रमणीक और धार्मिक पर्यटन की बात करें तो धार्मिक पर्यटन में श्री अमरनाथ यात्रा को भी गिना जा सकता है, जो जल्द शुरू हो रही है। अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद जम्मू-कश्मीर में माहौल सुधरा है। वैष्णो देवी यात्रा में रिकार्ड टूट रहे हैं। इसके लिए सड़कों की स्थिति और पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था को सुधारना जरूरी है, ताकि दलाल इन्हें अपनी लूट का शिकार न बना सकें। अगर टूरिज्म को बढ़ावा देना है, तो प्रधानमंत्री का विचार है कि विंटर टूरिज्म को भी कारोबारी दुनिया का हिस्सा बना दिया जाए। शीतकालीन तीर्थाटन और बारहमासी पर्यटन को बढ़ावा देने से पर्यटन क्षेत्र को अधिक कमाई मिल सकती है। लेकिन किसी भी पहाड़ी राज्य को देखें, तो जब ऑफ-सीजन होते हैं, तब होटल खाली रहते हैं और रमणीक स्थल सूने होते हैं। इसके अलावा, पर्यावरण प्रदूषण और असाधारण मौसम भी एक बड़ी चुनौती बन गई है। जैसे हाल ही में बर्फबारी और बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश में लगभग सैकड़ों सड़कें बंद हो गई थीं। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, पर्यटन क्षेत्र में उचित उपायों की आवश्यकता है।
मोदी ने विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए ‘धूप सेको पर्यटन’ का गढ़वाली शब्द प्रस्तुत किया है, जिसका उद्देश्य शीतकाल में पर्यटकों को नया अनुभव देना है। हालांकि, बर्फबारी और हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण शीतकालीन पर्यटन खतरनाक हो सकता है, जिससे न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पर्यटकों की जान भी जोखिम में पड़ सकती है। इसके बावजूद, शीतकालीन पर्यटन को बढ़ाने से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अन्य रमणीक स्थलों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। इसके साथ ही, भारत में वैडिंग इकोनामी के रूप में हजारों करोड़ रुपये का कारोबार है, जो शादियों की धूमधाम और आर्थिक सामर्थ्य को दर्शाता है। पिछले दिनों एक नया चलन शुरू हुआ, जिसमें विदेशी स्थलों को वैडिंग डेस्टिनेशन के रूप में चुना जाने लगा। मोदी जी ने इस पर अपील की है कि वैडिंग डेस्टिनेशन हमारे अपने देश में तलाशे जाएं। राजस्थान के जयपुर और उदयपुर, लक्षद्वीप और कश्मीर की वादियां वैडिंग डेस्टिनेशन के लिए उपयुक्त हैं। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री पहले कश्मीर का रुख करती रही है, अब उत्तराखंड की ओर भी जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के कई देश विंटर टूरिज्म के लिए प्रसिद्ध हैं, तो हमारा देश क्यों नहीं?
पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि जब मनाली में भारी बर्फबारी देखने के लिए पर्यटक आते हैं, तो शिमला सूना हो जाता है। यह दिखाता है कि सभी पर्यटन स्थलों और यात्री सुविधाओं का समान रूप से विकास होना चाहिए। लेकिन इस समावेशी विकास में हम लघु और कुटीर उद्योगों को क्यों भूल रहे हैं? बेरोजगारों के लिए सहकारी आंदोलन के जरिए रोजगार क्यों नहीं उत्पन्न किया जाता? अगर यह प्रयास ईमानदारी से किया जाए तो बेरोजगारी खत्म हो सकती है। अगर देश को विकसित बनाना है, तो इन उपेक्षित पहलुओं को भी विकास यात्रा में शामिल करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बेरोजगार नौजवानों और सार्थकता तलाश रही महिलाओं को भी उत्पादन प्रक्रिया में शामिल किया जाए। तभी हमारा देश एक संतुलित और विकसित आर्थिक रूप प्राप्त कर सकेगा।
लेखक साहित्यकार हैं।