सबसे बड़ा धर्म
महेश यादव
धर्म क्या है! यह व्यक्ति को उसका कर्तव्य मार्ग दिखाने का रास्ता मात्र है। यही बात श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने हजारों साल पहले कही थी। जाति या वर्ण व्यवस्था केवल व्यक्ति के कर्म के अनुसार थी। भारत के संविधान में सभी धर्मों को बराबर का दर्जा दिया गया है, परन्तु धर्म और जाति की राजनीति देश के आज़ाद होते ही शुरू हो गई थी। किसी भी आवेदन के फार्म में आपको विवरण देना होगा। अगर सभी समान हैं तो इसकी आवश्यकता ही क्यों?
लोगों के दिमाग में जातिवाद की गहरी जड़ों को एक उदाहरण से समझिए, अध्यापक का स्कूल में प्रथम दिन था। बातों ही बातों में पहचान लिया कि सबसे आगे बैठी लड़की सबसे तेज है। पूछा बेटा, आपका क्या नाम है? लड़की बोली, जी सर, मेरा नाम जूही है। अध्यापक ने फिर पूछा, पूरा नाम बताओ बेटा? लड़की ने फिर कहा, जी सर, मेरा पूरा नाम जूही ही है। अध्यापक ने सवाल बदल दिया, अच्छा... पापा का नाम बताओ? लड़की ने जवाब दिया : जी सर, मेरे पापा का नाम है शमशेर। अध्यापक ने फिर पूछा, पापा का पूरा नाम बताओ? लड़की ने जवाब दिया, मेरे पापा का पूरा नाम शमशेर ही है, सर जी। अब अध्यापक बोले, अच्छा अपनी मां का पूरा नाम बताओ? लड़की ने जवाब दिया, मेरी मां का पूरा नाम है निशा।
अध्यापक के पसीने छूट चुके थे। क्योंकि लड़की के बायोडाटा में जो चीज वह ढूंढ़ रहे थे, वह नहीं मिल रही थी। उसने आखिरी पैंतरा आजमाया और पूछा, अच्छा तुम कितने भाई बहन हो? लड़की बोली, सर जी, मैं अकेली हूं। अध्यापक निर्णायक सवाल पर आ गए- बेटे, तुम्हारी धर्म और जाति क्या है?
लड़की ने इस सीधे से सवाल का भी सीधा-सा जवाब दिया, बोली, सर, मैं एक विद्यार्थी हूं, यही मेरी जाति है, और ज्ञान प्राप्त करना ही मेरा धर्म है। आप मेरे पैरेंट्स की जाति और धर्म जानना चाहेंगे। मेरे पापा का धर्म है मुझे पढ़ाना, मेरी मम्मी की जरूरतों को पूरा करना और मेरी मम्मी का धर्म है, मेरी देखभाल और मेरे पापा की जरूरतों को पूरा करना। अध्यापक के होश उड़ गये। सर, मैं विज्ञान की छात्रा हूं। साइंटिस्ट बनना चाहती हूं। जब अपनी पढ़ाई पूरी कर लूंगी और अपने मां-बाप के सपनों को पूरा कर लूंगी, तब कभी फुर्सत में सभी धर्मों का अध्ययन करूंगी। जो भी धर्म विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरेगा, उसे अपना लूंगी।
अध्यापक ने बड़ी हिम्मत कर जातीयता के चश्मे को हटाया और बोला, बेटे मानवतावादी बनकर, इस जाति के बीज को खत्म करने की कोशिश करें, तभी देश और समाज प्रगति कर सकेगा।
साभार : अच्छी बातें डॉट कॉम