सद्कर्मों से सुरक्षा
04:00 AM Apr 18, 2025 IST
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एक नगर में एक धनवान सेठ रहता था। व्यापार के सिलसिले में उसका बाहर आना-जाना लगा रहता था। एक बार वह परदेस से लौटते समय धन साथ होने के कारण तीन-चार पहरेदार साथ लाया। नगर के पास पहुंचते ही उसने सोचा कि अब क्या डर, पहरेदारों को घर ले जाने से भोजन कराना पड़ेगा, इसलिए उन्हें यहीं से विदा कर दिया। कुछ ही दूर गया था कि डाकुओं ने घेर लिया। तभी उसने उनमें दो को पहचान लिया, जो कभी उसकी दुकान पर काम कर चुके थे। नाम सुनकर उन्होंने भी सेठ को पहचान लिया और बाकी साथियों को लूटने से मना कर दिया। सेठ सुरक्षित घर पहुंचा। वह सोचने लगा—दो घड़ी के अच्छे कर्म डाकुओं से जान बचा सकते हैं।
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प्रस्तुति : नरेंदर कुमार मेहता
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