संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने का प्रयास
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 एक महत्वपूर्ण विधेयक है, जिसके कई पहलू हैं। इस विधेयक को लेकर कुछ चिंताएं हैं, तो कुछ समर्थन भी। इस विधेयक पर व्यापक चर्चा और विचार-विमर्श होना चाहिए, ताकि सभी पक्षों की चिंताओं का समाधान हो सके।
डॉ. सुधीर कुमार
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को हाल ही में संसद में पेश किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता लाना है। यह विधेयक वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करता है, ताकि वक्फ बोर्डों के कामकाज को अधिक प्रभावी बनाया जा सके। संशोधन के बाद, वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, अधिकारिता, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 कर दिया गया है।
वक्फ संपत्ति वह संपत्ति होती है जिसे मुसलमानों ने धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दान किया हो। इस संपत्ति को न तो बेचा जा सकता है और न ही इसका स्वामित्व बदला जा सकता है। विधेयक वक्फ की परिभाषा को स्पष्ट करता है और इसमें नई प्रकार की संपत्तियों को शामिल करता है। पहले, ऐसी जमीन जो मस्जिद या इस्लामिक उद्देश्यों के लिए उपयोग होती थी, उसे वक्फ संपत्ति माना जाता था, भले ही वह दान की गई हो या नहीं। लेकिन, वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के अनुसार, अब केवल दान की गई जमीन ही वक्फ संपत्ति होगी, भले ही उस पर मस्जिद हो या न हो। विधेयक में कहा गया है कि वक्फ के रूप में पहचानी गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं रह जाएगी। अनिश्चितता के मामले में क्षेत्र का कलेक्टर स्वामित्व निर्धारित करेगा और राज्य सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। यदि इसे सरकारी संपत्ति माना जाता है, तो वह राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट करेगा।
कानून के अनुसार वक्फ घोषणा द्वारा, दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर मान्यता (उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ), या उत्तराधिकारी की अनुपस्थिति में अनुदान (वक्फ-अलल-औलाद) किया जा सकता है। विधेयक में कहा गया है कि केवल वही व्यक्ति वक्फ की घोषणा कर सकता है जिसने पांच साल तक इस्लाम का पालन किया हो। वक्फ को मुस्लिम कानून के अनुसार प्रबंधित किया जाता है। विधेयक राज्य वक्फ बोर्ड्स और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की अनुमति देता है और ऐसा करना अनिवार्य करता है। इसके अलावा, बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी बढ़ाया जाएगा। अब वक्फ बोर्डों में दो महिलाएं और दो गैर-मुस्लिम सदस्य रखने अनिवार्य होंगे। यह प्रावधान वक्फ बोर्डों की संरचना को अधिक समावेशी और प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाने के उद्देश्य से किया गया है।
इससे सभी धर्मों के लोगों को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में भागीदारी करने का अवसर मिलेगा। विधेयक में यह प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष का चुनाव बोर्ड के सदस्यों द्वारा किया जाएगा। इससे अध्यक्ष पद पर नियुक्ति में अधिक पारदर्शिता आएगी। विधेयक में यह प्रस्ताव है कि प्रत्येक वक्फ बोर्ड में एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की नियुक्ति की जाएगी। सीईओ वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करेगा और बोर्ड को अपनी गतिविधियों के बारे में रिपोर्ट करेगा। इससे वक्फ संपत्तियों के बारे में जनता का विश्वास बढ़ेगा। विधेयक में यह प्रावधान है कि वक्फ संपत्तियों का नियमित निरीक्षण और लेखा परीक्षा की जाएगी और उनसे होने वाली आय में वृद्धि हो सकेगी। इससे वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी।
विधेयक में वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत, वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण और सीमांकन किया जाएगा। इसके तहत, वक्फ संपत्तियों के आय और व्यय का ऑडिट किया जाएगा। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों के उपयोग के बारे में जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाएगी। विधेयक में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव है। इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा। विधेयक में वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। इससे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। वक्फ संपत्ति पर दावा करने वाला व्यक्ति अब वक्फ न्यायाधिकरण के साथ-साथ सामान्य न्यायालय में भी अपील कर सकता है। पहले, वक्फ न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम माना जाता था और इसे चुनौती नहीं दी जा सकती थी। लेकिन, अब इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी।
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों पर सरकार के नियंत्रण को बढ़ाता है और वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को कम करता है। उनका यह भी तर्क है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने से वक्फ संपत्तियों के धार्मिक चरित्र को खतरा हो सकता है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि विधेयक में कुछ कमियां हैं। उनका कहना है कि विधेयक में वक्फ संपत्तियों के उपयोग के बारे में और अधिक स्पष्ट प्रावधान होने चाहिए। सरकार का कहना है कि यह विधेयक केवल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि विधेयक में कुछ प्रावधान, जैसे कि वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, अनुच्छेद 14 का उल्लंघन कर सकते हैं। उनका तर्क है कि वक्फ एक धार्मिक न्यास है, और इसका प्रबंधन मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जाना चाहिए। कुछ लोगों का तर्क है कि विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकार के हस्तक्षेप को बढ़ाता है, जो अनुच्छेद 25 द्वारा संरक्षित धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है। विधेयक वक्फ संपत्तियों के उपयोग को विनियमित करने के लिए कुछ प्रावधान करता है, जो कुछ लोगों के अनुसार अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इन संशोधनों से वक्फ संपत्तियों का राजनीतिकरण हो सकता है।
इन चिंताओं के बावजूद, सरकार का मानना है कि ये बदलाव वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के लिए आवश्यक हैं। विधेयक में वक्फ संपत्तियों का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक कार्यों के लिए करने का प्रस्ताव है। सरकार का कहना है कि इन बदलावों से वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग हो सकेगा और उनसे अधिक लोगों को लाभ मिल सकेगा।
लेखक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विधि विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं।