शर्म का नहीं सेहत का विषय
शरीर से अपान वायु का उत्सर्जन बेहतर पाचन प्रक्रिया से जुड़ा है और हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य का संकेतक भी है। बेशक सार्वजनिक तौर पर यह अशिष्टता व लज्जा का विषय समझा जाये लेकिन चिकित्सा विज्ञान के नजरिये से यह कुदरती प्रक्रिया है। इसके जरिये शरीर की सेहत संबंधी कई स्थितियों को भी जान सकते हैं।
डॉ. माजिद अलीम
हालांकि छींक आना, डकार आना या फार्टिंग सामान्य शारीरिक गतिविधि या जैविक क्रियाएं हैं, लेकिन न केवल अपने देश बल्कि दुनिया के ज्यादातर समाजों में इनमें से कुछ प्रक्रियाओं खासकर अपान वायु उत्सर्जन या फार्टिंग को अशिष्टता के आईने से देखा गया है। अकसर लोग सब के बीच गैस पास हो जाने पर शर्म से पानी-पानी हो जाते हैं। दरअसल इस क्रिया से पैदा होने वाली दुर्गंध और आवाज ऐसी स्थिति पैदा करती है कि व्यक्ति शर्मिंदगी महसूस करता है। हालांकि मेडिकल साइंस की नजरों से देखें तो अपान वायु का उत्सर्जन शरीर की दूसरी प्रक्रियाओं की तरह की स्वतः व जरूरी प्रक्रिया है। यही नहीं यह सेहत का विषय भी है; क्योंकि फार्टिंग में स्वास्थ्य के कई जरूरी संकेतक छिपे होते हैं। अपान वायु का बाहर आना हमारे पाचन तंत्र और संपूर्ण स्वास्थ्य का आईना है। इसके जरिये हम अपने शरीर की सेहत संबंधी कई स्थितियों को जान सकते हैं। यानी यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम की कार्यप्रणाली को दर्शाता है।
पाचन प्रक्रिया में अपान वायु उत्सर्जन
वास्तव में पाचन प्रक्रिया के दौरान, जब हमारा शरीर खाए गये भोजन को तोड़ता है, तब पेट और आंतों में गैस पैदा होती है। यह गैस मुख्य रूप से हाइड्रोजन, कार्बन-डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रोजन जैसी गैसों से मिलकर बनी होती है। जब यह वायु बड़ी मात्रा में आंतों में एकत्र हो जाती है तो इसे शरीर से बाहर निकालने की जरूरत होती है जो कि पाद आने की प्रक्रिया के रूप में हमारे सामने आती है। अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से अपान वायु उत्सर्जन कर रहा है,लेकिन उसे पेट में दर्द या असुविधा आदि नहीं होती, तो यह आमतौर पर स्वस्थ पाचन तंत्र का संकेत है। लेकिन यदि बदबूदार है या इसमें असहजता महसूस हो तो निश्चित रूप से यह पाचन समस्या का संकेत है। इस दौरान दर्द और बदबू फ़ूड इंटोलरेंस का भी नतीजा हो सकता है।
अच्छी सेहत से संबंध
अगर कोई व्यक्ति सामान्य तौरपर दिन में 10-20 बार अपान वायु का उत्सर्जन करता है, लेकिन पेट में किसी तरह का दर्द आदि महसूस नहीं होता तो यह उसके पाचनतंत्र के ठीक होने की निशानी है। यदि इसमें हल्की बदबू है तो भी यह सामान्य है, लेकिन यदि सामान्य से ज्यादा बदबू है तो यह खराब पाचनतंत्र या तात्कालिक रूप से किसी खाद्य पदार्थ हुए संक्रमण का भी संकेत हो सकता है। यह भी कि हमारा शरीर कुछ खाद्य पदार्थों को सही से पचा नहीं पा रहा है। अगर फार्टिंग के दौरान पेट में दर्द या ऐंठन होती है, तो यह आंतों में किसी समस्या का सूचक है। वहीं यदि किसी की पाचन प्रक्रिया के दौरान ज्यादा डकार और कम अपान वायु आ रही है, तो इसका मतलब है कि उसके शरीर में गैस पेट के ऊपरी हिस्से में अधिक इकट्ठी हो रही है।
खानपान के भी खोलता है राज़
अगर पेट से उत्सर्जित अपान वायु बहुत बदबूदार है तो इसका मतलब है कि उसने ज्यादा प्रोटीन वाले खाद्य, अंडे, प्याज या सल्फरयुक्त खाद्य पदार्थ खाए हैं। अगर पेट में बहुत ज्यादा गैस बन रही है तो यह इंगित करती है कि आप बहुत ज्यादा फाइबर खा रहे हैं या आपकी आंतों में गुड बैक्टीरिया और बैड बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ा हुआ है। लेकिन अगर बहुत कम वायु आ रहा है तो यह कब्ज यानी कांस्टीपेशन की समस्या का सूचक हो सकता है क्योंकि जब पेट में मल जमा हो जाता है, तो गैस बाहर नहीं निकल पाती। अगर पेट में दर्द के साथ गैस बन रही है तो यह अपच, गैस्ट्रिक समस्या या आंतों में सूजन का लक्षण हो सकता है। दरअसल, अपान वायु उत्सर्जन शारीरिक गतिविधि और सेहत का विषय है न कि शर्म का। अगर वायु सामान्य आ रहा है और इससे कोई असुविधा नहीं, तो यह सेहतमंद पाचन तंत्र का सबूत है। लेकिन अगर इस प्रक्रिया में अत्यधिक बदबू महसूस हो रही है तो अपनी डाइट पर ध्यान दें और डॉक्टर से मिलें। क्योंकि स्वस्थ रहने के लिए पाचन का सही तरीके से काम करना जरूरी है। -इ.रि.सें.