शरारत से सुर्खी
एक बार एक दावत में फोटोग्राफर और मेहमान आपस में अच्छी जुगलबंदी कर रहे थे। यह एक सुनहरा अवसर था जब फोटोग्राफर आर्थर सास ने कहा, ‘आइंस्टीन महोदय, जरा खुलकर मुस्कुराइए।’ यह 14 मार्च 1951 को एक शाम की बात है। भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन से उनके 72वें जन्मदिन पर कैमरे के लिए मुस्कुराने को कहा गया—तो वह अचानक ही शरारती हो गए। दरअसल उस शाम आइंस्टीन फोटोग्राफरों के लिए लगातार मुस्कुराते हुए थक गए थे, इसलिए उन्होंने मजाक में हंसकर अपनी जीभ बाहर निकाल दी। मगर वही तस्वीर ली गई। बाद में आइंस्टीन ने इस तस्वीर का इस्तेमाल उन ग्रीटिंग कार्ड्स पर किया, जिन्हें वे अपने दोस्तों को भेजते थे। वह तस्वीर नोबेल पुरस्कार विजेता अल्बर्ट आइंस्टीन की सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित छवियों में से एक बन गई, जिन्हें 1921 में भौतिकी में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
प्रस्तुति : पूनम पांडे