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शरबत से गर्मी और कंबल से ठंडक

04:00 AM Apr 19, 2025 IST
शरबत से गर्मी और कंबल से ठंडक
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सहीराम
यह नयी उलटबांसी है जी कि शरबत ने तो गर्मी पैदा कर दी और कंबल से ठंडक पैदा की जा रही है। बरसे कंबल भीगे पानी वाली पुरानी उलटबांसी छोड़ो यार। अब तो नयी उलटबांसी यूं भी हो सकती है कि बंटते कंबल माने लू में ठंडा-ठंडा, कूल-कूल। खैर जी, गर्मी आ गयी है-इसकी घोषणा बाबा रामदेव ने अपना शरबत बाजार में उतार कर की। पहले लोग धूप में बैठने लगते थे और गृहिणियां स्वेटर बुनने लगती थीं तो यह मान लिया जाता था कि सर्दी आ गयी है। इसी तरह जब लोग लस्सी मांगने लगते थे या घमोरियों के लिए पाउडर तलाशने लगते थे तो यह मान लिया जाता था कि गर्मी आ गयी है।
वैसे विज्ञापन वाले ठंडा-ठंडा कूल-कूल जैसे विज्ञापन देकर भी गर्मी के आने की घोषणा करते थे। लेकिन कोला वालों पर यह सब लागू नहीं होता। फिर चाहे वे ठंडे का मतलब कुछ भी बताते रहे हों। उनकी तो हर दिन दिवाली होती है। ठंडे से उनका मतलब होता है कि धंधा ठंडा न पड़े। वैसे इधर अम्बानी सेठ भी अपना कोला लेकर आ गए हैं। लेकिन वे अपने ठंडे के लिए बाबा जितनी गर्मी पैदा नहीं कर पाए। हो सकता है उनकी रणनीति सहज पके वाली हो।
वैसे ही जैसे सहज-सहज जीओ ने भी तो सब जीओ-जीओ कर डाला। लेकिन लगता है कि बाबाजी अभी सेठ नहीं हुए हैं-बेशक लोग उन्हें कितना बाबा की बजाय लाला कहने लगे हों। लेकिन लगता है उनमें सेठों वाली सहजता आयी नहीं है। वे एकदम दादाओं वाले अंदाज़ में धूं धां, सूं सां करते हुए आए और ऐलान-सा कर दिया मेरा शरबत पीओ। हो सकता है उनका यह अंदाज दादाओं वाला नहीं बल्कि पहलवानों वाला ही रहा है कि मैदान में आते ही अपना लंगोट घुमा दिया कि जिसमें दम हो आ जाए मैदान में। इसीलिए इस शरबत ने न प्यास बुझायी, न राहत दी और न रूह को सुकून दिया। क्योंकि यह रूह अफजा नहीं था न। सो इसने गर्मी पैदा कर दी।
शायद बाबाजी का फंडा वही वाला हो कि जैसे ज़हर, ज़हर को मारता है़, वैसे ही गर्मी भी गर्मी को मार भगाएगी। लगता है यह फार्मूला बहुत पॉपुलर हो रहा है। शायद इसीलिए बिहार के एक नेताजी ने गर्मी आते ही गरीबों में कंबल बांटना शुरू दिया। वैसे कायदा सर्दियों में कंबल बांटने का है। लेकिन उन्होंने सोचा होगा कि गर्मी ही गर्मी को मार सकती है। सो नयी उलटबांसी यही होनी चाहिए कि बंटता कंबल माने लू में ठंडा-ठंडा, कूल-कूल। ऐसे में पता नहीं लोग बाबाजी से नाराज क्यों हो गए। उन्होंने तो ठंडा मतलब वाले पेय को भी तो टॉयलेट क्लीनर कहा है। और यह टॉयलेट क्लीनर अब तो देसी सेठ भी बना रहे हैं। नहीं क्या?
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