रोजगार-आर्थिकी की राह तय करेंगे एमएसएमई
नवाचार की नई लहर एमएसएमई के लिए नया अध्याय लिख सकती है। इस पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा कि भारत के एमएसएमई गुणवत्ता को मुट्ठी में लेकर समकालीन डिजिटल तकनीकों को अपनाते हुए अमेरिका सहित वैश्विक बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति रणनीतिक रूप से बढ़ा सकते हैं। ऐसे उपायों से भारत टैरिफ की चुनौतियों को एमएसएमई के लिए उभरते हुए नए अवसरों के दौर में बदल सकता है।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी
इन दिनों देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) से संबंधित रिपोर्टों में एमएसएमई की बढ़ती मुश्किलों पर टिप्पणियां करते हुए इन्हें बढ़ती चुनौतियों से बचाने की जरूरत बताई जा रही हैं। हाल ही में प्रकाशित सिडबी की रिपोर्ट के मुताबिक अभी एमएसएमई के लिए सरल कर्ज की प्राप्ति एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। एमएसएमई की क्रेडिट मांग व पूर्ति में 30 लाख करोड़ रुपये का अंतर है। मांग के मुताबिक लोन मिलने पर एमएसएमई के तहत 5 करोड़ नए रोजगार के अवसर निर्मित होंगे। नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे उद्योगों को जरूरत के मुताबिक क्रेडिट, तकनीकी कौशल तथा विकास एवं अनुसंधान के क्षेत्र में मदद मिल जाए तो एमएसएमई रोजगार और आर्थिक विकास का बड़ा साधन बन सकते हैं।
गौरतलब है कि एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल पर इस साल मार्च तक पंजीकृत 6.2 करोड़ एमएसएमई 25.95 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एमएसएमई का योगदान करीब 30 फीसदी है। एमएसएमई से वर्ष 2024-25 में करीब 12.39 लाख करोड़ रुपए का निर्यात किया गया है। देश से निर्यात किए गए कुल उत्पादों में से करीब 46 फीसदी उत्पाद एमएसएमई क्षेत्र से हैं। ऐसे में भारत ने हाल ही इंग्लैंड के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) किया है और अमेरिका के अलावा अन्य कई प्रमुख देशों के साथ भी द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के पूर्ण होने पर एमएसएमई की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। अतएव नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए एमएसएमई को प्रोत्साहन देकर मजबूत बनाना जरूरी है।
यद्यपि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप से टैरिफ की चुनौती के बीच अमेरिका के द्वारा भारत पर घोषित किए गए 26 फीसदी टैरिफ पर 90 दिनों के विराम ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले एमएसएमई को कुछ राहत अवश्य दी है, लेकिन अमेरिकी बाजार पर निर्भर अधिकांश एमएसएमई निर्यातक अमेरिकी खरीदारों द्वारा छूट की नई मांग और अनुबंधों पर नए सिरे से बातचीत के अलावा भुगतान में देरी जैसी चुनौतियों से अपने बचाव के लिए सरकार का रणनीतिक सहयोग जरूरी मान रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले माह 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि इस समय नए व्यापार युग के बदलाव के दौर में भारत के एमएसएमई के पास चुनौतियों के बीच दुनिया में आगे बढ़ने के ऐतिहासिक अवसर भी हैं और ये उद्योग वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि टैरिफ वार से एमएसएमई क्षेत्र को जो झटका लग रहा है, उस झटके से एमएसएमई के उबारने के लिए जहां एक ओर सरकार के द्वारा एमएसएमई के समक्ष दिखाई दे रही चुनौतियों के समाधान के लिए रणनीति बनाकर निर्यातकों को सहारा देना होगा, वहीं एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों और निर्यातकों को भी नई चुनौतियों के मद्देनजर तैयार होना होगा।
इस परिप्रेक्ष्य में यह बात महत्वपूर्ण है कि सरकार निर्यातकों को सहारा देने के लिए 2250 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन को तेजी से लागू करने और बिना रेहन के कर्ज दिए जाने की योजना बना रही है। साथ ही चालू वित्त वर्ष 2025-26 में एमएसएमई को दिए जाने वाले कर्ज का लक्ष्य पिछले वर्ष की तुलना में करीब 20 फीसदी बढ़ाकर 17.5 लाख करोड़ रुपये किया गया है। इसी तरह एमएसएमई क्षेत्र भी नए व्यापार युग की सच्चाइयों को समझते हुए नवाचार, प्रतिस्पर्धा, क्षमता में सुधार तथा शोध की डगर पर आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा है।
स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि एमएसएमई के लिए निर्मित होने वाली विभिन्न चुनौतियों के मद्देनजर मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में में एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने के उद्देश्य से बहुआयामी उपायों की एक शृंखला प्रस्तुत की है। इसके तहत वित्तीय सहायता और खरीद नीतियों से लेकर क्षमता निर्माण और बाजार एकीकरण तक की पहलें शामिल हैं। प्रमुख पहलों में उद्यम पंजीकरण पोर्टल, पीएम विश्वकर्मा योजना, पीएमईजीपी, स्फूर्ति और एमएसएमई के लिए सार्वजनिक खरीद नीति शामिल हैं, जिनका उद्देश्य उद्यमिता को प्रोत्साहन देना, रोजगार बढ़ाना और अनौपचारिक क्षेत्रों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करना है। उद्योगों का विस्तार करने और दक्षता में सुधार करने में मदद करने के लिए, एमएसएमई वर्गीकरण के लिए निवेश और टर्नओवर सीमा बढ़ा दी गई है।
निश्चित रूप से निर्यातकों को सहारा देने के सरकार के ये कदम सराहनीय हैं। लेकिन पाकिस्तान से युद्ध के माहौल और ट्रंप के टैरिफ तूफान का मुकाबला करने और निकट भविष्य में निर्मित होने वाले उभरते अवसरों को मुट्ठी में लेने के मद्देनजर एमएसएमई को हरसंभव उपाय से मजबूत बनाना होगा। नए सिरे से एमएसएमई की क्षमताओं को उन्नत करने, संचालन को सुव्यवस्थित करने तथा किसी भी निर्यात झटके से निपटने के लिए एमएसएमई को नीतिगत समर्थन का लाभ दिए जाने के प्रयासों में तेजी लाना होगी। इससे भारत की एमएसएमई उतार-चढ़ाव भरे सफर को आगे बढ़ा सकेगी।
इस बात पर भी ध्यान दिया जाना होगा कि बुनियादी ढांचे की मजबूती, अधिक लॉजिस्टिक्स सुविधाएं, कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराये जाने, ब्याज समतुल्य योजना को फिर से शुरू किया जाने तथा ऋण गारंटी कार्यक्रमों का विस्तार करने जैसे उपायों से एमएसएमई को वित्तीय राहत और स्थिरता प्रदान की जा सकती है। सरकार के द्वारा एमएसएमई को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के परिपालन में आ रही कठिनाइयों पर ध्यान देते हुए जीएसटी व्यवस्था को सरल करना होगा। एमएसएमई के हित में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं का विस्तार किए जाने से विशेष रूप से निर्यात-उन्मुख एमएसएमई लाभान्वित होंगे। नवाचार की नई लहर एमएसएमई के लिए नया अध्याय लिख सकती है। इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा कि भारत के एमएसएमई गुणवत्ता को मुट्ठी में लेकर समकालीन डिजिटल तकनीकों को अपनाते हुए अमेरिका सहित वैश्विक बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति को रणनीतिक रूप से बढ़ा सकते हैं। ऐसे विभिन्न उपायों से भारत टैरिफ की चुनौतियों को एमएसएमई के लिए उभरते हुए नए अवसरों के दौर में बदल सकता है।
हम उम्मीद करें कि एमएसएमई की बहुआयामी उपयोगिता के मद्देनजर सरकार एमएसएमई के समक्ष दिखाई देने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए तत्परता के साथ रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि देश में एमएसएमई से संबद्ध उद्यमी और निर्यातक अधिकतम प्रयासों से कम लागत पर तत्परतापूर्वक अधिकतम उत्पादन करते हुए अपनी राष्ट्रीय कर्तव्य निर्वहन भूमिका को अहम बनाते हुए दिखाई देंगे।
लेखक अर्थशास्त्री हैं।