रेणुका बांध परियोजना को केंद्र की हरी झंडी, 2030 तक तैयार होगा
अंबिका शर्मा/ट्रिन्यू
सोलन, 9 जून
केंद्र ने 6,947 करोड़ रुपये की लागत वाली रेणुका बहुउद्देश्यीय बांध परियोजना को बहुप्रतीक्षित वन मंजूरी दे दी है, जिसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की जल समस्याओं को दूर करने के लिए दशकों पहले बनाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2021 में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ददाहू में गिरि नदी पर बनने वाली इस परियोजना की आधारशिला रखी थी।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 4 जून को दी गई चरण-2 की अंतिम मंजूरी की पुष्टि करते हुए नाहन के वन संरक्षक वसंत किरण बाबू ने कहा : ‘मंजूरी मिलने से बांध के निर्माण के लिए 909 हेक्टेयर वन भूमि को इस्तेमाल करने में सुविधा होगी।’
भूमि अधिग्रहण क्योंकि पूरा हो चुका है, बांध अधिकारी तकनीकी विवरणों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। शुरुआती चरण में यमुना की सहायक नदी गिरि को अस्थायी रूप से पुनर्निर्देशित करने के लिए तीन 1.5 किलोमीटर लंबी डायवर्जन सुरंगों का निर्माण करना शामिल है, ताकि इसके प्राकृतिक प्रवाह में न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित किया जा सके। यह 148 मीटर ऊंचे रॉक-फिल बांध की नींव रखने के लिए महत्वपूर्ण है, जिसके 2030 तक चालू होने की उम्मीद है।
बांध के निर्माण से 41 गांव और 7,000 लोग प्रभावित होंगे और 346 परिवार बेघर हो जाएंगे। 6,947 करोड़ रुपये की इस परियोजना में 32 गांवों में फैली 1,231 हेक्टेयर कृषि भूमि, 909 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि और 49 हेक्टेयर रेणुका वन्यजीव अभयारण्य सहित कुल 1,508 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी। परियोजना के लिए 24 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण किया जाएगा।
इस परियोजना का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। इसे पहले 1960 के दशक में 40 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना के रूप में प्रस्तावित किया गया था। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) 1993 में हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा दिल्ली की पेयजल आवश्यकता को आंशिक रूप से पूरा करने के उद्देश्य से तैयार की गई थी। इसे तकनीकी-आर्थिक मंजूरी के लिए 31 मार्च, 1993 को केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
संबंधित एजेंसियों से डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद मई 1994 में हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने ऊपरी यमुना के पानी के उपयोग और आवंटन के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिसमें रेणुका भंडारण बांध भी शामिल था।
बांध को दिल्ली को 23 क्यूमेक्स की ठोस जलापूर्ति के लिए डिजाइन किया जाएगा और यह मानसून के दौरान बाढ़ नियंत्रण उपाय के रूप में कार्य करेगा। केंद्र ने 26 फरवरी, 2009 को इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया, जिससे जल घटक के लिए 90 प्रतिशत केंद्रीय निधि
प्राप्त हुई।
इस परियोजना को पहले नवंबर 2014 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, पर्यावरण मंजूरी पर आपत्तियों के कारण 2010-11 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने इसके निर्माण पर रोक लगा दी थी। पिछले कई वर्षों में परियोजना की लागत 3,572.19 करोड़ रुपये से बढ़कर 6,947 करोड़ रुपये हो गई। हालांकि, इसे 20 फरवरी, 2015 को चरण-I पर्यावरणीय मंजूरी दी गई, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया।