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रंग-गुलाल के धमाल में बाल-गोपाल का ख्याल

04:05 AM Mar 11, 2025 IST
रंग गुलाल के धमाल में बाल गोपाल का ख्याल
होली के मौके पर रंगों से खेलते बच्चे
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होली के पर्व पर बेहतर है कि बच्चों के रंग खेलने को लेकर पेरेंट्स खास ध्यान रखें। उन्हें सुरक्षित, सूखी या फिर प्राकृतिक रंगों से खेलने को प्रेरित करें। लेकिन मस्ती में बच्चे कई बार एहतियात बिसार देते हैं। होली खेलने में सिंथेटिक रंगों के प्रयोग में सावधानी, रंग छुड़ाने के तरीकों व सेहत सुरक्षा को लेकर नोएडा स्थित वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका जैन से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

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रंगों का त्योहार होली उल्लास, मौज-मस्ती व धमाल का पर्व होने के साथ-साथ सामुदायिक सद्भाव और आपसी मेल-मिलाप का भी प्रतीक है। हर कोई यह त्योहार पसंद करता है और चारों ओर बिखरे रंग में सराबोर होना चाहता है। खासकर बच्चे बेसब्री से इंतजार करते हैं। दूसरों को गुलाल लगाने और बैलून, पिचकारी में भरे रंग से भिगोने की जुगत में लगे रहते हैं। लेकिन कई बार इस हुड़दंग में छोटी-मोटी दुर्घटनाएं हो जाती हैं। वहीं कैमिकलयुक्त रंग हानि पहुंचा देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि पेरेंट्स सतर्क रहें और इको फ्रेंडली होली खेलें। बच्चों को भी साफ-सुथरी होली खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
पर्व के सांस्कृतिक-धार्मिक पहलू
बेहतर है कि अभिभावक अपने बच्चों को सिर्फ रंग खेलने तक सीमित न रखें, बल्कि उन्हें होली का सांस्कृतिक-धार्मिक महत्व भी बताएं। होलिका दहन की कथा, भाईचारे का संदेश आदि के बारे में समझाएं। बच्चों को राज़ी करें कि दूसरों पर उनकी मर्जी के बिना रंग न डालें ताकि कोई मनमुटाव न हो। छीना-झपटी में चोट न लगे। सूखी होली यानी गुलाल से खेलने के लिए प्रेरित करें। सलाह दें कि अगर पानी का इस्तेमाल करें तो वह सीमित मात्रा में हो। होली खेलते समय बच्चों के आसपास रहें।
इको फ्रेंडली रंग
पेरेंट्स की ओर से बच्चों को सिंथेटिक या कैमिकलयुक्त रंगों के बजाय ऑर्गेनिक, रेडिमेड हर्बल या घर के बने रंगों से होली खेलने के लिए कहा जाये। ऐसे रंग उतारने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती व न ही इनसे स्किन पर एलर्जी आदि होती हैं। हल्दी, चंदन, मेंहदी, पालक, चुकन्दर व फूलों से घर पर ही आप रंग बना सकते हैं। खरीदते समय सुनिश्चित करें कि रंग में हानिकारक कैमिकल न हो।
नन्हों के लिए खास एहतियात
दो साल से छोटे बच्चों के लिए होली में रंगों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि उनकी त्वचा अत्यंत संवेदनशील होती है। छोटे बच्चों को सिर्फ फूलों की होली या हल्के गुलाल से सुरक्षित दूरी पर खेलने दें।
बाल-गोपाल का भी ऐसे करें बचाव
बच्चों को कीचड़, ग्रीस,अंडे जैसी चीजों से होली खेलने के लिए सख्ती से मना करें। वहीं रंगों से बचाव के लिए उन्हें फुल स्लीव और फुल लैंथ के मोटे कपड़े पहनाएं। चप्पल के बजाय जूते पहनाएं। होली खेलने से पहले उनके हाथ-पैर, चेहरे, आंखों के आसपास नारियल या सरसों का तेल लगाएं।
आंखों व बालों की सुरक्षा
रंगों से बालों को रूखे होने से बचाने और चमक बनाए रखने के लिए ऑयलिंग जरूर करें। संभव हो तो कैप पहनाएं या दुपट्टा बांधें। वहीं आंखों में कॉन्टेक्ट लैंस लगाने या चश्मा पहनने के लिए मना करें क्योंकि आंख में रंग जाने पर लैंस डैमज हो सकते हैं। ध्यान रखें कि बच्चे बैलून या पॉलिथिन का उपयोग कम से कम करें। इनसे चोट लगने का खतरा होता है व बायोडिग्रेडेबल न होने के कारण काफी समय तक नष्ट नहीं होते व मिट्टी को प्रदूषित करते हैं।
टालें रंगों के जोखिम
बच्चों को पिचकारी से पानी दूसरे बच्चों की आंख या कान में डालने से मना करें। वहीं उन्हें सिखाएं कि खुद भी रंग आंख, कान या मुंह में न लगाएं और अगर कोई दूसरा उन्हें रंग लगा रहा है तो अपनी आंखें-मुंह बंद रखें। ध्यान रखें कि बच्चे रंग लगे हाथों से कुछ खाएं नहीं, इससे रंग मुंह में जा सकता है। अगर रंग आंख में चले भी जाएं तो आंखों पर ठंडे पानी से छींटे दें, गुलाब जल या आई ड्राप्स डालें।
खेलने के बाद रंगों से छुटकारा
जितनी जल्दी हो सके, रंगों को छुड़ा लें। कपड़ों और सिर से सूखा रंग झाड़ कर निकाल दें। उसके बाद रंग धीरे-धीरे छुड़ाएं। क्लींजिंग मिल्क, फेस वॉश, पीएच बैलेंस्ड साबुन का इस्तेमाल करें। बालों को शैंपू करे और कंडीश्नर लगाएं। नहाने के बाद कैलामिन लोशन या मॉश्चराइजर लगाएं।
बचाएं बाजारू खानपान से
बच्चों को बाजार की मिलावटी मिठाइयों और रंग मिले खाद्य पदार्थों से दूर रखें। घर पर ही हेल्दी स्नैक्स, गुजिया, दही भल्ले , पारंपरिक व्यंजन बनाकर खिलाएं। होली खेलते समय बच्चों को पर्याप्त पानी और जूस पिलाते रहें। बच्चे उत्साह में बहुत ज्यादा दौड़ते-भागते हैं, जिससे वे थक सकते हैं। उन्हें हल्का, सुपाच्य और पोषण से भरपूर भोजन खिलाएं। अगर रंग से कोई एलर्जी या खुजली हो रही हो, तो एलोवेरा जेल या गुलाब जल लगाएं। रंगों के कारण जलन, सांस लेने में दिक्कत या स्किन रिएक्शन हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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