For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

रंगोत्सव के उल्लास में सराबोर तन-मन

04:05 AM Mar 11, 2025 IST
रंगोत्सव के उल्लास में सराबोर तन मन
होली की वेला में एक-दूजे को रंग गुलाल लगाती महिलाएं।
Advertisement

होली के मौके पर रंगों से खेलना और मस्ती करना कई गहरे अर्थ व संदेश लिए है। यह चिंता-तनाव एक तरफ फेंक इंद्रधनुषी अवसर है मन को उल्लास से भर देने का ताकि हम बचपन की तरह वर्तमान में जीएं, एक दिन के लिए सारी जिम्मेदारियां भूल उम्मीदों से भर जायें। परिजनों-दोस्तों से खुलकर संवाद करें ताकि रिश्ते जीवंत हो उठें।

Advertisement

लोकमित्र गौतम
होली भारत के अन्य त्योहारों की तरह महज एक त्योहार नहीं, यह ‘रंगों का उत्सव है। आज की इस भाग- दौड़ भरी ज़िंदगी में होली का उल्लास हमें अपनी संस्कृति से मिला अनमोल वरदान है जो किसी थेरैपी से कम नहीं। यह सिर्फ रंग खेलने का दिन नहीं बल्कि चिंता-मुक्त होकर जीवन में रंग भर लेने का इंद्रधनुषी अवसर है। यह दिन उल्लास में गले तक डूब जाने का है।
ताकि तनाव से मुक्ति मिले
आज सफल से सफल व्यक्ति भी काम के बोझ से दबा है। रोजमर्रा की परेशानियों से पिस रहा है। सोशल मीडिया के लगातार पड़ते प्रभाव से तनावग्रस्त है। इन सब तनावों, परेशानियों को एक दिन पूरी तरह छिटक देने का मौक़ा हमें होली प्रदान करती है। इस मौके को गंवाना नहीं चाहिए। कम से कम साल में एक दिन तो हम ‘प्रेजेंट मोमेंट’ में जीयें। हंसी-मजाक करें, दोस्तों के साथ बिलकुल बचपन के दिनों में लौट जाएं। जितनी हो सकती है उतनी मस्ती करें। गिले-शिकवे दूर करें, परिवार के साथ खुलकर समय बिताएं।
कहने-सुनने की सीमाएं तोड़ दें
तन और मन की गांठों को खोलने या इन्हें पिघलाने का एक जरिया संवाद है। सीमाहीन संवाद। बिना सजग हुए किया गया संवाद। होली अपनों के बीच ऐसे ही सीमाहीन बतकही या संवाद का मौक़ा देती है। क्योंकि हमारी आज की रोजमर्रा की जिंदगी में संवाद बहुत कम हो गया है। हम सब व्यस्त हैं, रिश्तों में औपचारिकता बढ़ गई है। होली एक ऐसा अवसर है, जब हम बिना झिझक एक-दूसरे से जो मन में उमड़ घुमड़ रहा हो उसे कहें और जो हमें कहा जा रहा हो,उसे बिना किसी पूर्वाग्रह के सुनें। इससे रिश्ते जीवंत हो जाते हैं।
भावनाओं को गहरे तक छूने वाले रंग
रंगों का बहुत सकारात्मक मनोविज्ञान होता है। रंग हमारी भावनाओं को बहुत गहरे तक छूते हैं। रंगों के अपने अर्थ, प्रतीक व अहसास हैं। गुलाबी रंग प्रेम का अहसास दिलाता है। हरा रंग हमें तन और मन से समृद्ध करता है। पीला रंग खुशियों से सराबोर कर देता है। नीला रंग शांति देता है। होली पर जब हम इन रंगों में सराबोर होते हैं, तो हमारा तन और मन खुशियों से छलछला जाता है। पोर-पोर से जीवन की संतुष्टि झरने लगती है। हम ज्यादा सकारात्मक, ज्यादा फ्रेंडली हो जाते हैं।
लौट आता है बचपन
होली की धमाचौकड़ी हमें खुशियों के अतीत में ले जाती है। जब हम दुनिया की किसी भी फिक्र-चिंता से मुक्त थे, सिर्फ खुशियां ही खुशियां चारों तरफ फैली होती थीं। मस्ती भरा अहसास हमें बचपन में लौटा ले जाता है। जब हम बिना किसी परवाह के खुलकर खेलते थे। हर चीज में खुशी, सकारात्मकता ढूंढ़ लेते थे। तनाव, परेशानियां और चिड़चिड़ापन तो हमारे बड़े हो जाने के बाद ही आयीं। होली के दिन हम इन सबको उतार फेंकें, साथ ही जिम्मेदारियों की जकड़न को भी। बेफिक्र, मासूम बचपन में होली पर्व हमें सहजता से लौटा लाता है। इसलिए होली के इस खूबसूरत त्योहार में तन-मन को पूरी तरह रिचार्ज करें। खाएं-पीएं, नाचे गायें, दोस्तों के साथ हंसी ठट्ठा करें और खुद को पूरी तरह रिचार्ज करें। होली की धमाचौकड़ी हममें खुशियों का हार्मोन बढ़ाती है।
गिले-शिकवे, लड़ाई-झगड़े बाय-बाय
यूं तो सभी पर्वों के बहाने हम अपने सालों पुराने गिले-शिकवे दूर कर सकते हैं। लेकिन होली तो ऐसा पर्व ही है, जो सालों की चुप्पियों को तोड़ खिलखिलाने के लिए मजबूर कर देता है। दुश्मनियों को झटके में दूर कर देता है, बेशक सामने वाला फिर भी इस सबके लिए तैयार न हो तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि होली के माहौल में बेफिक्री, मजाकिया अहसास, जिंदगी को सरल तरीके से लेने की सीख और धू-धूकर जलते अभिमानों की बेवजह की गांठें हमारी झेंप को पूरी तरह से मिटा देती हैं। यह गलतफहमियों को जला देने का पर्व है, नकचढ़े गर्व और गुरूर को रंग डालने का पर्व है। जब हम रंगों से खेलते हैं, रंगों में डूबते हैं तो हमारे मन की तमाम कठोरताएं स्वतः ही मिट जाती हैं, पिघल जाती हैं। रिश्ते मिठास से भर जाते हैं।
रिश्ते जोड़ें प्रकृति से
होली पर्व हमें प्रकृति के साथ गहरे तक घुलने- मिलने और आत्मीयता से परिपूर्ण सामंजस्य बनाने की सीख देता है। क्योंकि इसका संबंध प्रकृति के श्रृंगार बसंत से है। होली तब आती है, जब प्रकृति नई ऊर्जा और नये उत्साह से भरी होती है। हर तरफ फूल खिले होते हैं। हवा में खुश्बुएं मचल रही होती हैं। प्रकृति की यह खुशी हमें भी अपने रंग में रंग लेती है। एक तरह से होली प्रकृति में होने वाली रंगों की बारिश है और हम इस बारिश में नहाकर खुशियों और उम्मीदों से जगमगा उठते हैं। इसलिए होली हमारी कायाकल्प का पर्व है। इस पर्व में डूबकर खुद को खुशियों और उम्मीदों से भरें। -इ.रि.सें

Advertisement
Advertisement
Advertisement