For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

योग की विरासत सहेजने को एक अनूठी वैश्विक पहल

04:05 AM Jun 08, 2025 IST
योग की विरासत सहेजने को एक अनूठी वैश्विक पहल
Advertisement

योग भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक गहरा हिस्सा है। योग में एक स्वस्थ, एकजुट विश्व के निर्माण की शक्ति है। बंगलुरू में विश्व योग दिवस पर देश-विदेश के हजारों साधक 12 गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिये कठिन अभ्यास से गुजर रहे हैं। जैसे परिवार में एक व्यक्ति के योग करने का सकारात्मक असर पूरे परिवार पर पड़ता है वैसे ही वैश्विक स्तर पर हो तो व्यापक असर होगा। यह संदेश भी कि जीवन में लक्ष्य निर्धारित करें और समर्पण के साथ आगे बढ़ें। लोग भीतर की शक्ति को पहचानें। इस जीवन विज्ञान के निकट आएं और रूपांतरणकारी प्रभाव महसूस करें।

Advertisement

अरुण नैथानी
यह सुखद संयोग ही है कि भारत की सिलकॉन वैली कहे जाने वाले बंगलुरू से योग की अनूठी धारा दुनिया को हैरत में डालने वाली है। यूं तो बंगलुरू आईटी हब है, लेकिन यहां आध्यात्मिक ज्ञान व योग की भी वैश्विक ख्याति है। आजकल बंगलुरू स्थित अक्षर योग केंद्र इन देश-विदेश के हजारों योग साधकों की गहमा-गहमी का केंद्र बना हुआ है। आध्यात्मिक व योग गुरु हिमालय सिद्ध अक्षर के नेतृत्व में इतिहास रचने की तैयारी जारी है। जिसमें अमेरिका, यूरोप,अफ्रीका व एशिया के हजारों प्रतिभागी 12 गिनीज बुक रिकॉर्ड के ऑफिशियल प्रयास की तैयारी में जुटे हैं। यह आयोजन इस बार ग्यारहवें विश्व योग दिवस पर होने जा रहा है। अन्य विधाओं के साथ योग में भी विश्व रिकॉर्ड बनाने की क्या जरूरत है...हिमालय सिद्ध अक्षर कहते हैं कि यह प्रयास हमारी प्राचीन विरासत के संरक्षण के साथ दुनिया को यह बताना है कि इसके असली वारिस हम ही हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार ग्यारहवें विश्व योग दिवस के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थीम ’ योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ घोषित की है।
उल्लेखनीय है कि साल 2010 में स्थापित अक्षर योग केंद्र यह आयोजन पहले ताइवान में करने जा रहा था। लेकिन भू-राजनीतिक कारणों की चुनौती के चलते इस आयोजन को बंगलूरू में ही आयोजित करने का फैसला किया है। बता दें कि अक्षर योग केंद्र के नाम पहले ही योगासनों के नौ विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं। जिसमें संस्थान के नाम वर्ष 2021 में वशिष्ठासन, 2022 में धनुरासन, वर्ष 2023 में उष्ट्रासन, हलासन तथा 2024 में चक्रासन, नौकासन, कौडिन्यासन, नटराजासन व सूर्य नमस्कार के लिये गिनीज बुक रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं।
रिकॉर्ड के लिए जुटेंगे देशी-विदेशी साधक
दरअसल, पिछले डेढ़ महीने से दो हजार युवा योग साधक ट्रेंड हो रहे हैं। इस बार होने वाली प्रतियोगिता में हर रिकॉर्ड भाग लेने वाले साधकों के नंबर दिए जाएंगे। इस बार जहां कुछ रिकॉर्ड बनाए जाएंगे, वहीं कुछ रिकॉर्ड टूटेंगे। उनकी संख्या में विस्तार किया जाएगा। इस बार की स्पर्धा का रोचक पक्ष यह है कि इसमें सेना व अर्द्ध सैनिक बलों के योग साधक रिकॉर्ड बनाने वाली टीम का हिस्सा होंगे। इसमें थल सेना, वायु सेना, सीआईएसएफ,सीआरपीएफ व कर्नाटक पुलिस के युवा साधक शामिल होंगे। इनके हर विभाग के युवा होंगे। इसके अलावा कालेज के छात्र व मल्टीनेशनल कंपनियों के साधक भी शामिल होंगे। साथ ही, अक्षर योग केंद्र के साढ़े तीन सौ विदेशी साधक आएंगे। जिनमें फ्रांस, यूएसए,लंदन, दुबई, हांगकांग, सिंगापुर, ताइवान, मलेशिया व जापान के योग साधक शामिल हैं। इन साधकों की पिछले दो महीने से ऑनलाइन ट्रेनिंग चल रही है। इन रिकॉर्ड की तार्किकता की पड़ताल के लिये गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तरफ से दो सौ इंस्पेक्ट स्टुअर्ड तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड के तीन सीनियर ऑफिशियल भी मौजूद रहेंगे। इसमें एक विदेश से तथा दो भारत स्थित ऑफिशियल टीम का हिस्सा होंगे।
ट्रेनिंग के लिए 70 योग शिक्षकों की टीम
उल्लेखनीय है कि रिकॉर्ड दर्ज करने से इसकी लंबी प्रक्रिया में पहले आवेदन किया जाता है कि ऐसे रिकॉर्ड बनाए जाएंगे, इसकी इतनी समय अवधि होगी। फिर टीम पूरे विश्व में जांच करती है कि क्या इससे पहले कोई रिकॉर्ड दर्ज तो नहीं है। समय, संख्या के अलावा बारह से अधिक पैरामीटर निर्धारित हैं। कुछ आसनों में छोटे बच्चे भाग नहीं ले सकते। जैसे बारह साल से कम के बच्चों को सुरक्षा कारणों से हैंड स्टैंड नहीं करने दिया जाता। वहीं अक्षर योग केंद्र की 70 योग शिक्षकों की टीम है, जिनकी मदद के लिये हैल्पर भी नियुक्त किए गए हैं। जो साधकों को योग सिखा रहे हैं।
इस आयोजन का एक रोचक पक्ष यह है कि लगभग 50 दिव्यांग बच्चों की दो विशेष टीम भी आयोजन का हिस्सा होंगी। एक भारत से और दूसरी विदेशों से। ये दिव्यांग बच्चे बारह में से छह आसन पूरा करेंगे। ये देख- सुन नहीं सकते। ये बच्चे प्रतियोगिता वाले दिन मेन स्टेज पर प्रदर्शन भी करेंगे। मुख्य आयोजन की बंगलुरू के प्रसिद्ध पैलेस ग्राउंड में भव्य तैयारी की जा रही है।
अस्सी दिनों तक 12 आसनों का प्रशिक्षण
इस साल ग्यारहवें विश्व योग दिवस 21 जून को होने वाले इस आयोजन में देश-विदेश के हजारों योग साधक हिमालय सिद्ध अक्षर के मार्गदर्शन में पसीना बहा रहे हैं। इस साल बनने वाले रिकॉर्ड में जो आसन शामिल हैं उनमें भद्रासन, अधोमुख श्वानासन, शलभासन, गरुड़ासन , एक पाद पादांगुष्ठासन, उभय पादांगुष्ठासन,एक पाद राजकपोतासन प्रमुख हैं। वहीं जो पिछले रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी है, उनमें सेतुबंध, सर्वांगासन,वीरभद्रासन व उत्कटासन शामिल हैं।
हिमालय सिद्ध अक्षर बताते हैं कि योग के इस महाकुंभ में करीब साठ देशों के योग साधक भाग लेगें। फिलहाल इसमें अमेरिका, यूरोप व एशियाई देशों के लगभग पांच-पांच सीनियर टीचर मूव करेंगे। ये सीनियर योग शिक्षक हैं। वहीं ट्रेंड योग साधकों की संख्या दो हजार के करीब रहेगी। कुल मिलाकर साधक बारह आसनों का अभ्यास करेंगे। कुल अस्सी दिनों की ट्रेनिंग हैं। इस रिकॉर्ड दर्ज करने के कार्यक्रम में गिनीज बुक की टीम के अलावा दस न्यूट्रल टीचर होंगे जो विभिन्न संस्थाओं के द्वारा चुने जाते हैं।
रिकॉर्ड हैं एक खेल, एक आनंद जैसे
दरअसल, गिनीज बुक रिकॉर्ड की टीम कई महीने पहले से तैयारी करती है इस तरह के रिकॉर्ड दर्ज करने की। एक पूरा एग्रीमेंट बनाया जाता है। नब्बे दिन पहले प्रोसेस शुरू होता है। बाकायदा लाइसेंस इश्यू किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि अक्षर योग केंद्र के खाते में इससे पहले नौ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं। डेढ़ दशक पहले स्थापित अक्षर योग केंद्र इस समय आयुष योग इंस्टीट्यूशन सार्टिफेकशन बॉडी में शामिल है। इसे योग इंस्टीट्यूट की कैटेगरी दी गई है।
यह पूछे जाने पर कि इस तरह के रिकॉर्ड दर्ज कराने का मकसद क्या है, हिमालय सिद्ध अक्षर कहते हैं कि ये रिकॉर्ड एक खेल की तरह हैं। एक आनंद की तरह हैं। एक प्रेम है। एक चैलेंज है। साफ सी बात है कि जब तक कोई आसनों का अभ्यास नहीं करेगा तो आसन की शक्ति नहीं समझेगा। इसकी योगिक ताकत नहीं समझेगा। जब साधक वीरभद्रासन करेगा, तो होल्ड करने पर इसका प्रभाव पता चलेगा। दरअसल, हमने योग के ज्ञान को अपने आराम के अनुसार ढालने की कोशिश की है। हिमालय कहते हैं कि यदि व्यक्ति तपस्या करेगा, मेहनत करेगा तो ही इसका लाभ मिलेगा। इस तरह आसन को करने का चैलेंज है। जैसे पहले हठयोग में होता था। यदि कोई व्यक्ति पदमासन नहीं कर पा रहा है तो साइंटिफिक तरीके से करने की जरूरत है। मेहनत करने की जरूरत है। हम केवल फिलॉसफी के रूप में ही आसनों को सीख रहे हैं। हम इसका पारंपरिक अभ्यास करें। कोई प्रतिभागी समय लगाकर दो महीने तक गरुड़ आसन करे, तो वह अपने शरीर के निचले हिस्से की बीमारियां ठीक कर पाता है। ऐसे ही सर्वांगासन है, समय अनुसार होल्ड करने से शरीर को भी लाभ मिलता है।

योग गुरु हिमालय सिद्ध अक्षर से बातचीत

जीवन विज्ञान के रूपांतरणकारी अनुभव

बारह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाने की प्रेरणा क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत से ही हम ऐसे आयोजन करते रहे हैं। शुरुआती वर्षों में हमने बड़े स्तर पर योग प्रतियोगिताएं आयोजित की और पाया कि जब प्रतिस्पर्धा में एक सकारात्मक तत्व जोड़ा गया, तो प्रतिभागियों में जबरदस्त उत्साह और ऊर्जा देखने को मिली। हमने एक आयोजन किया था – 300 सूर्य नमस्कार का। इसका प्रभाव अद्भुत था—इससे योग साधकों में अनुशासन, एकाग्रता आयी और पूरे योग साधकों में गहराई से ऊर्जा का संचार हुआ। हम पहले ही 9 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं और इस वर्ष के 12 रिकॉर्ड्स उसी यात्रा का अगला चरण हैं। इस बार के आयोजन की सफलता देश के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण होगा।
योग को वैश्विक मान्यता के बाद योग की विरासत समृद्ध हुई है?
निस्संदेह, योग भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक गहरा हिस्सा है—यह भारत की ओर से विश्व को मिला एक उपहार है जो स्वास्थ्य और जीवन में सामंजस्य को बढ़ावा देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मान्यता दी। यह पहल मोदी जी के ‘वन वर्ल्ड, वन हेल्थ’ के दृष्टिकोण को साकार करती है। यह इस बार विश्व योग दिवस की थीम भी है। जब किसी परिवार में एक व्यक्ति योग करता है, तो इसका सकारात्मक असर पूरे परिवार पर पड़ता है—कल्पना कीजिए अगर ये अभ्यास वैश्विक स्तर पर हो जाए!
इस आयोजन के माध्यम से आप दुनिया को क्या संदेश देना चाहते हैं?
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना और उसकी ओर समर्पण के साथ बढ़ना कितना ज़रूरी है। हमारा संदेश सरल है—लक्ष्य बनाइए, और फिर पूरी मेहनत से उसकी ओर अग्रसर होइए। हम चाहते हैं कि इस प्रयास से पूरी दुनिया के लोग अपने भीतर की शक्ति को पहचानें, अपने उद्देश्य को समझें, और पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ें। जीवन या योग—दोनों में यात्रा एक स्पष्ट इरादे से शुरू होती है।
क्या इन रिकॉर्ड्स का मकसद भारत की प्राचीन योग परंपरा को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करना भी है?
योग स्वयं में एक सनातन धरोहर है, जिसे किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं। संयुक्त राष्ट्र पहले ही इसे मान्यता दे चुका है। योग पहले से ही संपूर्ण, प्राचीन और सर्वोच्च है। यह प्रयास जागरूकता प्रसार के लिए हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इस जीवन विज्ञान के निकट आएं। यह मिशन आयुष मंत्रालय के उस प्रयास से भी जुड़ा है जो भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों को विश्व मंच पर लाने के लिए लगातार काम कर रहा है। यह प्रयास उन महान गुरुओं को समर्पित है जिन्होंने इस ज्ञान को सुरक्षित रखा और हमें सौंपा। अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इसे आगे बढ़ाएं।
क्या यह आयोजन भारत के लिए विश्व मंच पर अपनी आध्यात्मिक नेतृत्व भूमिका को पुनर्स्थापित करने का अवसर है?
-बिल्कुल। भारत को हमेशा से आध्यात्मिक भूमि के रूप में जाना जाता रहा है। हिमाचल, काशी, वृंदावन, ऋषिकेश—हर स्थान में दिव्यता है, जो विश्वभर के साधकों को आकर्षित करती है। जब भी कोई आध्यात्मिक राजधानी की बात करता है—भारत ही सबसे पहले नाम बनकर उभरता है। ऐसे प्रयास—योग, आयुर्वेद और आध्यात्मिकता पर केंद्रित—भारत की विरासत को न केवल उत्सव के रूप में प्रस्तुत करते हैं, बल्कि इसकी शुद्धता के साथ उसे वैश्विक स्तर पर पहुंचाते हैं।
एक साथ बारह वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तैयारी में मुख्य चुनौतियां क्या रही हैं?
बारह रिकॉर्ड्स की एकसाथ योजना बनाना बहुत ही विशाल और जटिल कार्य है। गिनीज रिकॉर्ड्स की प्रक्रिया स्वयं में बहुत सख्त होती है, खासकर जब यह बड़े समूहों से संबंधित हो। सबसे बड़ी चुनौती होती है लॉजिस्टिक्स—स्थान, दस्तावेज़ीकरण, दिशानिर्देशों का पालन और सब कुछ समन्वित ढंग से करना। तमाम विविध समूहों को प्रशिक्षण देना और उन्हें एक समान स्तर तक लाना, एक बड़ी चुनौती है।
प्रतिभागियों और आपकी कोर टीम ने कैसे तैयारी की?
कोर टीम को पहले स्वयं सभी 12 आसनों की पूर्ण जानकारी और अभ्यास रखना होता है—तकनीक, समय और निष्पादन।फिर उन्हें पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर जाकर समूहों को प्रशिक्षित करना होता है—सेना, कॉलेज, स्कूल, पुलिस आदि। प्रतिभागियों को भी हर आसन की शुद्धता और समय-संयम समझना होता है और लगातार अभ्यास करना होता है। यह सिर्फ शारीरिक शक्ति नहीं, बल्कि मानसिक एकाग्रता और एकता की भावना भी विकसित करता है।
आपकी अब तक की आध्यात्मिक यात्रा कैसी रही है और योग ने आपके जीवन को कैसे आकार दिया?
यह प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण होता है, खासकर शुरुआत में। लेकिन जब आप गहराई से आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर हो चुके होते हैं, तो भूत, वर्तमान और भविष्य का भेद मिट जाता है। जीवन हर पल में जीया जाता है—न अतीत की चिंता, न भविष्य की। यही सच्चा आध्यात्मिक अनुभव है। अब मैं पूरी तरह वर्तमान में जीता हूं—केवल स्वयं के लिए नहीं, बल्कि समाज, राज्य और राष्ट्र की उन्नति के लिए कार्य करता हूं। योग ने मेरी इस यात्रा में बेहद रूपांतरणकारी भूमिका निभाई है। हर आसन सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा को भी रूपांतरित करता है। अगर कुछ ही महीनों में योग से वजन कम हो सकता है, तो कल्पना कीजिए दीर्घकालिक अभ्यास से आंतरिक परिवर्तन कैसा होगा।हिमालय की शिक्षाओं से पथ प्रदर्शित होने पर यह परिवर्तन और भी सकारात्मक बन जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 पर पूरी दुनिया के लिये आपका एक संदेश क्या होगा?
हमारे ऋषि-मुनियों और गुरुओं ने पहले ही सबसे महान संदेश दुनिया को दे दिए हैं—मैं तो केवल उनकी अनादि वाणी की गूंज हूं। मेरा संदेश है:“जीवन एक पवित्र उपहार है। इसे व्यर्थ मत जाने दीजिए। अपने अस्तित्व का गूढ़ सत्य समझिए। अपने जीवन का उद्देश्य खोजिए। और जब वह स्पष्ट हो जाए—पूरी ऊर्जा और दृढ़ता से उसकी ओर बढ़िए। योग दिवस हमें यह याद दिलाने के लिए है कि हमारा जीवन अर्थपूर्ण, शक्तिशाली और संभावनाओं से भरा हुआ है।”

विदेशी योगियों की राय

एकता, स्वास्थ्य का वैश्विक आंदोलन
जेन टी साई, ताइवान
मैंने अपने कैरियर की शुरुआत बिज़नेस और कॉर्पोरेट दुनिया से की थी, लेकिन असली संतुलन मुझे योग से मिला। मैं ताइवान में अक्षर योग प्रोजेक्ट्स में एक नयी योग और आध्यात्मिक चेतना आंदोलन का हिस्सा बनी हूं। इस वर्ष, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के लिए मैं भारत आ रही हूं, जहां हम 12 गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का प्रयास करेंगे। यह केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन है एकता, स्वास्थ्य और जागरूकता का।

Advertisement

आत्मिक उड़ान का आरंभ
आचार्य सांभवी, यूएसए
मैंने योग की शुरुआत अक्षर योग केंद्र से केवल शारीरिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए की थी, लेकिन धीरे-धीरे, यह अभ्यास मेरी दिनचर्या से बढ़कर मेरी आत्मा की पुकार बन गया। मुझे लगता है कि यह रिकॉर्डस बनाने का अभियान पश्चिमी देशों को योग से जोड़ेगा। मैं अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के लिए लोगों को 12 योगासनों में प्रशिक्षित कर रही हूं। यह केवल रिकॉर्ड्स नहीं हैं, यह प्रत्येक व्यक्ति की आत्मिक उड़ान का एक आरंभ है।

जीवन अर्थपूर्ण बनाने की यात्रा
आचार्य रुद्रांश, लंदन
मैं विश्व योगदिवस के लिए टीम के साथ मिलकर इस ऐतिहासिक 12 वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रयास की योजना और कार्यान्वयन में सक्रिय भूमिका निभा रहा हूं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि जीवन का सर्वोत्तम अनुभव केवल भीतर की यात्रा में है। बाहरी उपलब्धियां क्षणिक होती हैं, लेकिन योग और आध्यात्मिकता हमें उस अनंत शांति और उद्देश्य से जोड़ते हैं, जो जीवन को वास्तव में अर्थपूर्ण बनाते हैं।

एक संदेश उद्देश्यपूर्ण जिंदगी के लिए
जेसिका लाई, हांगकांग
मैंने हाल ही में डाइटीशियन के रूप में अपनी पढ़ाई पूरी की है और अब मैं हांगकांग से भारत आ रही हूं। साल 2025 के इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग लेने और 12 वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तैयारी में योगदान देने के लिए। मेरे लिए यह केवल एक योग आयोजन नहीं है—यह एक संदेश है पूरी दुनिया के लिए, कि हम सब एक सुंदर, स्वतंत्र और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के अधिकारी हैं।

Advertisement
Advertisement