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यूरोप के दिल में एक हसीन ख्वाब

04:05 AM May 02, 2025 IST
यूरोप के दिल में एक हसीन ख्वाब
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स्विट्ज़रलैंड के दिल में बसा लूसर्न, एक ऐसा शहर है जहां हर मोड़ पर पेंटिंग जैसी खूबसूरती बसी है। बर्फ से ढकी चोटियां, लकड़ी के सदियों पुराने पुल और सांस्कृतिक धरोहरें इसे स्विस सफर का सबसे खास पड़ाव बनाती हैं। यहां की हवा, इतिहास और हुस्न मिलकर हर मुसाफिर की यादों में हमेशा के लिए बस जाते हैं।

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अमिताभ स.
स्विट्ज़रलैंड बाक़ायदा अंग्रेज़ी अख़बारों में पूरे-पूरे पेज के विज्ञापन देकर भारतीय सैलानियों को घूमने आने का न्यौता देता है। हर स्विस शहर बेइंतिहा खूबसूरत है ही, लेकिन लूसर्न तो वाकई हसीन है। करीब 700 साल पुराना लकड़ी का फूलों से सजा पुल इसका लैंडमार्क है।
तस्वीर, मिज़ाज, नज़ारे और मौसम समेत हर लिहाज़ से यूरोप बुलाता है। स्विट्ज़रलैंड का नंबर सबसे ऊपर है। स्विट्ज़रलैंड यूरोप का दिल है और इसका दिल लूसर्न है। है भी स्विट्ज़रलैंड के एकदम बीचोंबीच- किसी भी तरफ निकल जाओ, महज 3 घंटे में स्विस सरहद तक पहुंच जाते हैं। आसपास फ्रांस, जर्मनी, ऑस्टि्रया और इटली से घिरा है। लूसर्न के बीच में रियूज नदी बहती है। दूर-दूर बर्फीले पहाड़ बेशुमार दिलकश नजारे बनकर उभरते हैं। लूसर्न में सारा साल कभी बर्फीली, तो कभी वसंती हवाएं तन-मन को छू-छू कर निकलती हैं।
छोटा-सा शहर है और आबादी होगी महज 80 हजार से ज़रा ज्यादा। मध्य स्विट्ज़रलैंड का सबसे घनी आबादी वाला शहर यही है। एल्पस पर्वत शिखाओं के माउंट पिलैट्स और माउंट रिगी बगल में ही हैं। इसलिए कुदरती नजारों की भरमार है। सुबह-सवेरे रियूज नदी के किनारे मंगल या शनिवार को लगती फार्मर मार्केट में टहलिए और फिर सूरज की पहली किरणों के बीच स्ट्रीट रेस्टोरेंट्स में बैठ कर कॉफी का लुत्फ वाकई मजेदार है। लूसर्न के लोग हॉट से ज्यादा कोल्ड कॉफी पीते हैं। ऐसे कुछ और साप्ताहिक बाजार भी लूसर्न में लगते हैं। लोग आपस में जर्मन बोलते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर अंग्रेजी बोल भी लेते हैं, समझते तो खैर हैं ही।
पुलों का शहर
​घूमते-फिरते ही पता चल जाता है कि लूसर्न पुलों का शहर है। ज़रा-ज़रा फासले पर पुल हैं। 14वीं सदी के चार पुल—हॉफ ब्रिज, चैपल ब्रिज, मिल ब्रिज और रेयज ब्रिज आज भी शहर की शान हैं। उस जमाने में, लूसर्न यूरोप का अकेला शहर था, जहां चार पुल थे। रेयज ब्रिज सबसे पुराना है। 19वीं और 20वीं सदी में चार और पुल जुड़ गए- सीब्रक, गिस्समैट, सेंट कार्ली और व्हीकल-वे ब्रिज। चैपल ब्रिज तो वाकई खास है। पूरा का पूरा लकड़ी से बना है और रियूज नदी के आर-पार ले जाता है। लूसर्न का सबसे बड़ा आकर्षण और लैंडमार्क यही है।
करीब 204 मीटर लंबा पुल पैदल चलने लायक ही है। ऊपर से ढका है और छत दोनों तरफ से ढलाननुमा है। 700 साल पुराने पुल पर फोटो खिंचवाना वाकई अनुभव है। दोनों ओर कतार में बक्सों में रंग-बिरंगे फूलों से लदी क्यारियां खूब लगती हैं। आसपास से झर-झर हवाएं बहती हैं। सन‍् 1333 में बना और 1993 में आग की चपेट में आ कर 60 फीसदी हिस्सा तबाह हो गया। तब इसे फिर बनाया गया और पुरानी बनावट बहाल की गई। यह यूरोप का सबसे पुराना ढका पुल है। और भीतर लूसर्न का इतिहास बताती चित्रकलाएं सजी हैं। सो, कह सकते हैं कि पुल आज रियूज पार करने का जरिया नहीं है, बल्कि उत्कृष्ट कला बेहतरीन नमूना है।
चैपल ब्रिज से जुड़ा वाटर टॉवर यानी जल की मीनार है। और खास है सन‍् 1408 में बना मिल ब्रिज। इसी बीच, नौ टॉवर (मीनार) वाली 800 मीटर लम्बी वॉल यानी दीवार का निर्माण हुआ। यह दीवार स्विट्ज़रलैंड की सबसे लम्बी और किलेबंदी की दीवार मानी जाती है। इसी दीवार से जुड़े डाइंग लॉयन (मरते शेर) का स्मारक देखने लायक है। मरते शेर के दर्द को सफेद चट्टान पर कुरेद- कुरेद कर डेनमार्क के शिल्पकारों ने बाखूबी उभारा है। लोवन स्ट्रेसे यानी लॉयन की स्ट्रीट से आगे जा कर, ज़रा खुले में मरता हुआ स्विस लॉयन है। आगे छोटा-सा तालाब है और एकदम सामने सफेद चट्टान पर मरता शेर। बताते हैं कि डाइंग लॉयन सन‍् 1792 में शहीद स्विस लड़ाकों की याद में बनाया गया है। फ्रेंच क्रांति के दौरान, ज्यादातर यूरोपीय देश अपने आस्तित्व की जंग लड़ रहे थे, तो लड़ाके स्विट्ज़रलैंड के लिए शहीद हुए थे।
रेल की अहमियत
अपने देश के ज़्यादातर शहरों से उलट रेलवे स्टेशन के इर्द-गिर्द ही लूसर्न का हाई-फाई इलाक़ा है। वहां रेलवे स्टेशन को बान होफ कहते हैं। लूसर्न के बान होफ से निकलते ही सामने रियूज नदी है। स्टेशन की ओर जाने-माने ब्रैंड्स के आलीशान शोरूम हैं और नदी पार सामने बाईं तरफ ओल्ड टाउन। दाईं ओर नदी के साथ-साथ शानदार और महंगे होटल हैं। यहीं नदी के साथ-साथ मार्केट में ‘बुकरर’ नाम का स्विस घड़ियों का भव्य स्टोर है। सभी जानते हैं कि स्विस चॉकलेट्स की तरह स्विस घड़ियों का दुनिया में नाम है। रियूज नदी में क्रूज भी कर सकते हैं। वहां घूमने आने वाले हम जैसे भारतीयों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर क्रूज में बाकायदा भारतीय व्यंजनों का इंतजाम भी है। नाम ही है इंडियन डिनर क्रूज।
ओल्ड टाउन की गलियों में गलियां हैं, और गलियों से गलियां निकलती जाती हैं। गलियों की जमीन को देखकर ही ओल्ड टाउन लगता है क्योंकि छोटी-छोटी ईंटों को जोड़-जोड़ कर बना है। इमारतें बेशक पुरानी हैं, लेकिन इनकी शान कहीं से फीकी नहीं पड़ी है। ज्यादातर रेस्टोरेंट की बैठ कर खाने की व्यवस्था फुटपाथ और सड़क तक बाहर निकल आई है। लोग भीतर की बजाय फुटपाथ या सड़क किनारे बैठ कर खाना-पीना ज्यादा पसंद करते हैं।
सड़कों-गलियों में लोगबाग सिगरेट पीते आम दिखते हैं, अपने शहरों से कहीं ज्यादा। उल्लेखनीय है कि अगस्त, 1993 को लकड़ी के चैपल ब्रिज को आग लगने की बड़ी वजह सिगरेट के अधजले टोटे ही थे। लूसर्न में पीने के पानी के मजे हैं। जगह-जगह दिन-रात हर पल बहते कलात्मक रंग-ढंग के फव्वारे नुमा नल लगे हैं। नल के आगे हौदी है और कहीं-कहीं नल के आसपास बैठने के लिए बेंच भी हैं। लोगबाग वहीं बैठ कर खाने का लुत्फ उठाते हैं और पानी पीते हैं। पीने का पानी मुफ्त है, लेकिन सार्वजनिक शौचालय फ्री नहीं हैं। शोरूम और रेस्टोरेंट्स के वॉशरूम यानी शौचालय भी कोई यूं ही इस्तेमाल नहीं कर सकता। इनमें जाने के लिए दरवाजा तभी खुलता है, जब कोड डाला जाए। कोड हर बिल पर छपा होता है। यानी कुछ खाने-पीने या शॉपिंग के बाद ही वॉशरूम में जाने और इस्तेमाल करने की छूट है।
​लूसर्न सांस्कृतिक शहर है। एकदम शांत और सभ्य भी। यातायात बड़े अदब से जेबरा क्रॉसिंग के पीछे रुक जाता है। अन्य आकर्षणों में ‘रोजनगॉड कलेक्शन’ म्यूजियम है, जहां पिकासो, सिजैन और क्ली की अनेक कलाकृतियों के दीदार का मौक़ा मिलता है। टाउन हाल में ‘पिकासो म्यूजियम’ भी है। देशी-विदेशी संगीत की समझ वालों के लिए और है ‘रिचर्ड वैगनर म्यूजियम’। म्यूजियम को अनूठा बनाने के लिए यहां 17वीं, 18वीं और 19वीं सदी के अलग-थलग वाद्य यंत्र सजे हैं।

कैसे पहुंचे लूसर्न
लूसर्न के लिए दिल्ली से सीधी उड़ान नहीं है। पहले विमान से स्विट्ज़रलैंड के सबसे बड़े और शानदार शहर ज्यूरिख उतरते हैं। सीधी उड़ान से करीब 8 घंटे में दिल्ली से ज्यूरिख पहुंचाते हैं।
आगे ट्रेन से 45 मिनट में ज्यूरिख से लूसर्न पहुंचते हैं। ट्रेन के जरिए स्विस शहरों में जाते-आते रास्ते में दिलकश नजारों से रू-ब-रू होने का मौका मिलता है। यूं भी, स्विस रेल तो वर्ल्ड बेस्ट है ही। रेल पास हाथोंहाथ बन जाते हैं। समय के लिहाज से, दिल्ली से साढ़े 3 घंटे पीछे है। करेंसी स्विस फ्रेंक है और आजकल एक फ्रेंक करीब 98 रुपये का है।
आमतौर पर बेहद ठंडा है। इसका ज्यादातर हिस्सा पहाड़ों से ढका है। इसलिए जहां-जहां जाएं, हरियाली, बर्फ और मदमस्त कूल हवाएं लुभाती हैं। अप्रैल से अक्तूबर तक मौसम सबसे खुशनुमा होता है। इन महीनों में रात अंधेरा साढ़े 9 बजे के बाद ही कहीं होता है, जबकि सर्दियों में शाम 5 बजे ही रात हो जाती है।

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