जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यूचंडीगढ़, 4 जुलाईपंजाब यूनिवर्सिटी यूटी चंडीगढ़ के चार सरकारी कॉलेजों में कुछ विषयों की सीटें बढ़ाने जा रही है जिससे कुछ कालेजों में टीचर सरप्लस हो जायेंगे। सरकार की इसके पीछे मंशा सरप्लस हुए टीचर्स की छुट्टी करना बताया जा रहा है। फिलहाल अलग-अलग कालेजों में एक ही विषय के अलग-अलग टीचर हैं लेकिन एक ही विषय की ज्यादा सीटें एक कालेज में केंद्रित कर देने से टीचर कम हो जायेंगे जिससे ठेके पर काम कर रहे टीचर्स बेरोजगार हो जायेंगे। इसके लिये प्रोसेस चल रहा है और उम्मीद जतायी जा रही है कि अगले कुछ दिनों में कुछ विषयों की सीटों में इजाफा कर दिया जायेगा। इसे लेकर कालेजों में 2009 से कार्यरत ठेके पर लगे टीचर्स में हड़कंप मचा हुआ है।इस बारे में डीन कालेज डेवलपमेंट कौंसिल (डीसीडीसी) डॉ. रवि इंदर सिंह के मुताबिक सभी नियमों का पालन करते हुए प्रक्रिया पूरी होने के बाद सीटें बढ़ा दी जायेंगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार काफी विषयों की नये सिरे से एडजस्टमेंट करनी पड़ेगी। जैसे ही कालेजों की ओर से कोई आवेदन आयेगा वैसे ही नार्म्स पूरे करते हुए सीटें बढ़ाने की अनुमति दी जायेगी। उन्होंने साफ किया कि तय फीस और प्रोसीजर फालो करने के बाद ही सीटें बढ़ायी जायेंगी।बताया जाता है कि ऐसा करना जीके चतरथ कमेटी (2012) की सिफारिशों के खिलाफ होगा, जिसने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और प्रशासनिक स्वायत्तता की रक्षा के लिए ठोस मानदंड तय किए थे। किसी भी हालत में 10 जनवरी के बाद कालेज को नया कोर्स, सीट बढ़ाने या शैक्षिक बदलाव करने की छूट नहीं दी सकती। बल्कि इस तय तारीख के बाद कालेज आवेदन ही नहीं कर सकता। लेकिन नई शिक्षा नीति का हवाला देते हुए पीयू प्रशासन इसके लिये विशेष मंजूरी देने जा रहा है। लेट फीस के साथ सीट बढ़वाने वाले चार कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज सेक्टर-11, पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज सेक्टर-46, पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स सेक्टर-11, पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स सेक्टर-42 शामिल हैं।यूटी के अफसरों को अखर रहे ठेके वाले टीचरविश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय एक सोची-समझी रणनीति के तहत लिया गया है, जिसका मकसद इन कॉलेजों में 2009 से कार्यरत अनुबंधित अध्यापकों को हटाना है। इसके लिए एक विषय की सभी सीटें एक कॉलेज में केंद्रित की जा रही हैं, जिससे अन्य कॉलेजों में वही विषय पढ़ाने वाले शिक्षक ‘सरप्लस’ घोषित किए जा सकें। सूत्रों के मुताबिक यूटी के कुछ अफसरों को ठेके वाले टीचर अखर रहे हैं क्योंकि कुछ टीचर रेगुलर किये जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट चले गये थे और हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव और उच्चतर शिक्षा निदेशक को अवमानना नोटिस जारी किये थे। नाम न छापने की शर्त पर एक पूर्व सीनेटर ने कहा,'यह निर्णय सिर्फ नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय के अंदर पारदर्शिता और नैतिक प्रशासन के पतन का संकेत है। चतरथ कमेटी की सिफारिशों का ऐसा खुला उल्लंघन कभी नहीं देखा गया। अब चूंकि न तो सीनेट वजूद में है और न ही सिंडिकेट इसलिये पीयू प्रशासन मनमानी कर रहा है।'