For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

यूक्रेन के दुर्लभ खनिज पर अमेरिकी गिद्ध दृष्टि

04:00 AM Feb 28, 2025 IST
यूक्रेन के दुर्लभ खनिज पर अमेरिकी गिद्ध दृष्टि
Advertisement

‘सेंटर फॉर यूरोप एशिया स्टडीज’ की निदेशक और ‘शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स’ की सीनियर फेलो थेरेसा फॉलन ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा करके अंतर्राष्ट्रीय नीति के सभी मानदंडों को तोड़ दिया है, और वह इतना लेन-देन करके अमेरिका की बहुत सी सॉफ्ट पावर खो रहे हैं।’ फॉलन ने फिर कहा, ‘लेन-देन करना ठीक है, लेकिन यह तो जबरन वसूली है।’

Advertisement

पुष्परंजन

शुक्रवार को पूरी दुनिया की निगाहें व्हाइट हाउस में होने वाली एक डील पर होंगी, जिसे एक देश पर थोपा जाना है। अमेरिका जिन देशों को आर्थिक मदद देता है, उसे किस रूप में वसूलता है, यह देखने के लिए भारत के लोग भी तैयार हो जाएं। यूक्रेन की लीडरशिप के लिए आगे कुआं-पीछे खाई वाली स्थिति है। जेलेंस्की पुतिन से बचने के वास्ते अमेरिका से मदद की अपेक्षा कर रहे थे, ट्रंप ने भूखे हिंस्र जंगल के राजा की तरह ‘मेमने’ को दबोच लिया। ट्रंप ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा, ‘मैंने सुना है कि वह शुक्रवार को आ रहे हैं। निश्चित रूप से, अगर वह चाहें तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। ट्रम्प ने कहा, कि यह डील एक ट्रिलियन डॉलर तक की हो सकती है, इससे अमेरिकी करदाताओं को उनका पैसा वापस मिल जाएगा।’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को कहा था, कि अमेरिका और यूक्रेन ने महत्वपूर्ण खनिजों के सौदे के मसौदे पर सहमति जताई है, जिसकी कीमत लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है। यह सौदा यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की द्वारा पहले के मसौदे को अस्वीकार करने के एक सप्ताह बाद हुआ है। ट्रम्प ने मंगलवार को ओवल ऑफिस में संवाददाताओं से कहा कि ज़ेलेंस्की शुक्रवार को वाशिंगटन आकर एक ‘बहुत बड़ी डील’ पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं। बुधवार शाम को, ज़ेलेंस्की ने कहा कि यह अमेरिका के साथ सहयोग के लिए एक आर्थिक ढांचा है, जिसमें अभी तक कोई अमेरिकी सुरक्षा गारंटी शामिल नहीं है।
पिछले हफ़्ते ज़ेलेंस्की ने एक पुराने ड्राफ्ट को अस्वीकार कर दिया था, क्योंकि इसमें यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी के बारे में विवरण नहीं था। ट्रंप अब भी बदले नहीं हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प ने बुधवार को कहा, ‘मैं बहुत ज़्यादा सुरक्षा गारंटी नहीं देने जा रहा हूं। हम यूरोप से ऐसा करवाने जा रहे हैं।’ नोक-झोंक में ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की को ‘तानाशाह’ तक कह डाला था। सोमवार को, ज़ेलेंस्की ने कहा था कि मैं शांति के लिए इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार हूं। ज़ेलेंस्की ने मांग की, कि यूक्रेन को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की सदस्यता दी जानी चाहिए। लेकिन, वाशिंगटन ने नाटो का सदस्य बनने की मांग को ‘अवास्तविक’ करार दिया है। अमेरिका की गिद्ध दृष्टि यूक्रेन की दुर्लभ खनिज संपदा पर है।
दुर्लभ मृदा खनिज वैश्विक स्तर पर पृथ्वी के गर्भ में पाए जाने वाले 17 भारी धातुओं का एक समूह है। नियोडिमियम, लैंथेनम, सेरियम, प्रेजोडियम, यिट्रियम, टेरबियम और यूरोपियम जैसे कुछ दुर्लभ मृदा तत्वों का उपयोग कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, टेलीविज़न, मोबाइल स्क्रीन और कैमरा लेंस जैसे उच्च तकनीक वाले उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। वर्तमान में, ऐसे दुर्लभ खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है, जो दुनिया की आपूर्ति का कम से कम 60 प्रतिशत निकालता है।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2024 में अमेरिका अपनी 80 प्रतिशत दुर्लभ खनिजों की जरूरतों के लिए चीन, मलेशिया, जापान और एस्टोनिया पर निर्भर था। कीव के साथ दुर्लभ खनिजों का सौदा करने के पीछे की मंशा, अमेरिका को बड़ी तकनीक का अधिकेंद्र बनाना है। अपने अभियान के दौरान, ट्रम्प ने एक अन्य करीबी सहयोगी ताइवान पर अमेरिका के चिप व्यवसाय को चुराने का भी आरोप लगाया था। टैरिफ की धमकियों के बीच, ताइवान ने अमेरिका में निवेश बढ़ाने का वादा किया।
इस महीने की शुरुआत में, ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा था, कि हम यूक्रेन को वाशिंगटन द्वारा भेजे गए लगभग 375.8 बिलियन डॉलर की वापसी चाहते हैं। कीव को भेजी गई सहायता के बारे में ट्रम्प के अनुमान अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के विपरीत हैं। ‘यूक्रेन ओवरसाइट’ के अनुसार, 30 सितंबर, 2024 तक अमेरिका ने यूक्रेन की सहायता के लिए कुल 183 बिलियन डॉलर भेजे थे, जो यूक्रेन को भेजी गई सहायता को रिकॉर्ड करने के लिए अमेरिकी सरकार द्वारा बनाई गई एक वेबसाइट है।
जिस स्टाइल में ट्रंप यह सब कर रहे हैं, उसका दुनिया भर में विरोध होना शुरू हो गया है। ‘सेंटर फॉर यूरोप एशिया स्टडीज’ की निदेशक और ‘शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स’ की सीनियर फेलो थेरेसा फॉलन ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा करके अंतर्राष्ट्रीय नीति के सभी मानदंडों को तोड़ दिया है, और वह इतना लेन-देन करके अमेरिका की बहुत सी सॉफ्ट पावर खो रहे हैं।’ फॉलन ने फिर कहा, ‘लेन-देन करना ठीक है, लेकिन यह तो जबरन वसूली है।’
यूक्रेन के पास 34 पदार्थों में से 22 मिनरल्स हैं जिन्हें यूरोपीय संघ ‘महत्वपूर्ण कच्चे माल’ के रूप में परिभाषित करता है। दुनियाभर में 110 मिलियन टन दुर्लभ खनिज हैं। इसमें से 44 मिलियन टन चीन में हैं, जो दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके अलावा ब्राजील में 22 मिलियन टन, वियतनाम में 21 मिलियन टन, रूस में 10 मिलियन टन, और भारत में 7 मिलियन टन दुर्लभ खनिज का अनुमान है। कोई सुरक्षा गारंटी नहीं, फिर भी जेलेंस्की अमेरिका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, क्या यह किसी क़िस्म का ब्लैकमेल है? मॉस्को ने यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर रखा है, जिसमें क्रीमिया भी शामिल है, जिसे उसने 2014 में अपने साथ मिला लिया।
ठीक से देखा जाये, तो यूरोप के नेता इस ज़बरदस्ती के सौदे वाले सवाल पर बंटे हुए हैं। फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दुर्लभ खनिज सौदे का समर्थन किया है। यूरोजोन की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी, दुर्लभ खनिज सौदे का विरोध कर रहा है। निवर्तमान जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने दुर्लभ खनिज सौदे के लिए ट्रंप के प्रयास की आलोचना करते हुए, इसे ‘बहुत अहंकारी’ और ‘बहुत आत्मकेंद्रित’ बताया। ओलाफ शॉल्त्स ने तर्क दिया है कि यूक्रेन को युद्ध के कारण हुए विनाश से उबरने के लिए अपने प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता है। विगत रविवार को जर्मनी के चुनाव में जीत हासिल करने वाले क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने भी ज़ेलेंस्की पर ट्रंप के हमलों की निंदा की है।
लेकिन, ट्रम्प यूरोपीय नेताओं द्वारा निंदा की परवाह नहीं करते। उन्होंने कहा, ‘पिछले प्रशासन ने हमें बहुत खराब स्थिति में डाल दिया था, लेकिन हम एक ऐसा सौदा करने में सक्षम हैं, जिसके तहत हमें पैसा वापस मिलेगा, और भविष्य में बहुत सारा पैसा मिलेगा।’ रूस को इस सौदे से कोई आपत्ति नहीं है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा, कि अमेरिका और रूसी अधिकारी गुरुवार को इस्तांबुल में मिलेंगे। लेकिन ये लोग दिल्ली में क्यों नहीं मिलते? पीएम मोदी ने कितनी मेहनत की थी!

Advertisement

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

Advertisement
Advertisement