यादें और उनका री-क्रिएशन
गिरीश कुमार बिल्लोर
इंद्रिय सक्रियता एक ऐसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो हमारे जीवन के संचालन के अलावा स्मृति कोष में जानकारी को सुरक्षित करने में भी सहायक है। इंद्रियों के माध्यम से हम सूचनाओं को एकत्र करते हैं और वह सूचना हमारे स्मृति कोष में संचित हो जाती है। हमारे मस्तिष्क में वही बात जमा होती है जिसे हम गंध, ध्वनि, आवाज़, स्वाद, दृश्य और भाव के रूप में महसूस करते हैं। हमारा स्मृति कोष एक तरह से एक डाटा बैंक है। हम मस्तिष्क में संचित सूचनाओं को स्वयं भी पुनरुत्पादित कर सकते हैं तथा कई बार ऐसी घटनाएं जो स्मृति कोष में संचित होती हैं, स्वयं ही पुनरुत्पादित हो जाती हैं। इनका पुनरुत्पादन जागते हुए या सोते हुए कभी भी हो सकता है।
जाग्रत अवस्था में हम घटित घटनाओं को भौतिक रूप से क्रिया रूप में कर सकते हैं। लेकिन जब हम सोते हैं तब हमें यह सब कुछ आभासी रूप में दिखाई देता है। यदि व्यक्ति की देखने की क्षमता जिस उम्र तक उपलब्ध होती है उस उम्र तक के दृश्यों के आधार पर नेत्रहीन व्यक्ति स्वप्न देख सकता है। अर्थात् उसके स्मृति कोष से स्वप्न के रूप में केवल वही दिखाई देता है जो उसके स्मृति कोष में संचित है। परंतु जन्मांध व्यक्ति घटनाओं का स्वप्न के रूप में पुनरुत्पाद ध्वनि अर्थात् वार्तालाप, गंध, स्पर्श के रूप में महसूस कर सकता है।
जन्म से मूकबधिर व्यक्ति स्वप्न में घटनाओं को अनुभव करते हैं। जाग्रत अवस्था में भी उनके मस्तिष्क में घटनाओं का पुनरुत्पादन सामान्य लोगों की तरह ही महसूस होता है। आप हेलेन केलर जैसी किसी व्यक्ति की कल्पना कीजिए। जो देख, सुन और बोल नहीं पाती थी। फिर भी महसूस कर लेने मात्र से उन्होंने अपने दौर में ऐसे ऐसे विचार रखे जो सोशियो इकोनामिक पॉलीटिकल परिस्थितियों के लिए उपयोगी साबित हुए। केवल महसूस कर लेने मात्र से हमारे ही स्मृति कोष में सूचनाएं जमा हो जाती हैं।
स्टीफन हॉकिंग भी दूसरे बेहतरीन उदाहरण के रूप में एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक दार्शनिक के रूप में स्थापित हैं। जब भी कभी सपने में कोई घटना या घटनाओं का पुनरुत्पादन अर्थात् री- क्रिएशन होता है तो वह केवल आभासी होता है। जबकि हमारे मस्तिष्क में जाग्रत अवस्था में पुनरुत्पादन होने से उसके सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव पड़ते हैं। कभी-कभी आपने महसूस किया होगा कि किसी व्यक्ति के साथ आपके अच्छे अनुभव न रहने के कारण आप उसकी उपस्थिति में असहजता महसूस करते हैं। किसी व्यक्ति के साथ आपके विचार मिलने अथवा उनके साथ बिताए गए बेहतरीन समय के कारण आप सहज और उत्साहित होते हैं।
साभार : संस्कारधनी डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम