यात्रा बस घूमना नहीं, जीना है कुछ खास पलों को
वीना गौतम
भारत का पर्यटन परिदृश्य बहुत तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। देश में एडवेंचर ट्रैवल, कल्चरल टूर और वेलनेस रिट्रीट की बहुत मांग है, जो अद्वितीय अनुभवों और इवेंट-केंद्रित यात्रा कार्यक्रमों की बढ़ती भूख से प्रेरित है। हाल के महीनों में सम्पन्न चाहे महाकुंभ जैसे आध्यात्मिक समारोहों में भाग लेना रहा हो या ‘कोल्डप्ले’ जैसे वैश्विक संगीत आइकन के लिए भारतीयों में उमड़ा क्रेज — ये उदाहरण बताते हैं कि भारतीय पर्यटक तेजी से ‘मार्की इवेंट’ और इंद्रियों में डूब जाने वाले ‘इमर्सिव अनुभवों’ के इर्द-गिर्द अपनी पर्यटन योजनाएं बना रहे हैं।
थाणे के 28 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर युवक ने इस साल बैसाखी पर हरमंदिर साहिब की यात्रा का पहले से कोई प्लान नहीं बनाया था। लेकिन दोस्तों ने रातोंरात बैसाखी मनाने की योजना बनाई तो फिर दिल से डूबकर आनंद लिया। क्योंकि इसका न केवल सांस्कृतिक क्रेज है, बल्कि दिमाग में मौजूद इसकी ऐतिहासिक चमक भी हमेशा से आकर्षित करती रही है। जिस तरह बैसाखी में लोग यहां उमड़ते हैं, वह भी रोमांचित करता है।
वास्तव में आज की कॉर्पोरेट युवा पीढ़ी बाकी चीजों की तरह पर्यटन में भी क्वालिटी अनुभव का आनंद उठाना चाहती है। फिर चाहे किसी शाम हजारों रुपये की टिकट लेकर लाइव म्यूजिक कंसर्ट में ही क्यों न जाना हो?
गुवाहाटी से फ्लाइट पकड़कर मुंबई में आयोजित संगीत समारोह ‘लोलापालूजा’ में पहुंचना और फिर भोर में भागकर फ्लाइट पकड़कर वापस जाना ताकि दोपहर की बिज़नेस मीटिंग में शामिल हुआ जा सके— यह एक क्रेज़ी और पर्यटन-प्रेरित जीवनशैली का हिस्सा होना नहीं तो और क्या है? मेक माई ट्रिप के सह-संस्थापक और समूह सीईओ ने पिछले दिनों बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ एक बातचीत में कहा था, ‘इस साल महाकुंभ और पिछले साल अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक आयोजन ने सभी पर्यटक वर्गों के लिए आनंदमयी और रोमांचक यात्रा के क्षितिज खोले हैं।’
बेहतर कनेक्टिविटी और संसाधनों की भरपूर आपूर्ति ने मौसमी और प्राकृतिक बाधाओं को काफी हद तक समाप्त कर दिया है। लोग अब पर्यटन स्थलों को सालभर के गंतव्य के रूप में देखने लगे हैं। कोल्डप्ले जैसे संगीत कार्यक्रमों की संख्या में ही नहीं, बल्कि यदि देखा जाए तो हाल के वर्षों में लाइव म्यूजिक कंसर्ट के प्रति हर मौसम और क्षेत्र में क्रेज़ देखा जा रहा है।
आज अनुभवपरक पर्यटन के प्रेमी पर्यटक केवल लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों तक ही सीमित नहीं रहते, बल्कि अपने तरीकों से नए आकर्षणों की खोज करते हैं। आज के युवा पर्यटक इमर्सिव अनुभवों की तलाश में रहते हैं —यानी ऐसे अनुभव जो आपकी इंद्रियों को तृप्त कर दें। यही वजह है कि नई पीढ़ी का आनंद-खोजी पर्यटक अपनी ज़्यादातर पर्यटन यात्राओं की योजना लोकप्रिय सांस्कृतिक आयोजनों को ध्यान में रखकर बनाते हैं। मसलन, पर्यटक खजुराहो की सबसे अधिक यात्रा तब करते हैं जब वहां एक पखवाड़े लंबे खजुराहो सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्यता छायी होती है। इसी तरह उत्तर-पूर्व के स्थानीय सांस्कृतिक पर्वों के आयोजनों के इर्द-गिर्द टूर बनाते हैं।
नागालैंड में आयोजित 10 दिवसीय हॉर्नबिल फेस्टिवल में पर्यटकों की भीड़ और इस स्थानीय उत्सव में उनकी भागीदारी पिछले वर्षों की तुलना में अधिक बढ़ गई। मकसद साफ है—स्थानीय संस्कृति में पूरी तरह डूबकर आनंद लेना।
स्वास्थ्य संबंधी अनुभव भी आज लोगों को आम रास्तों से हटकर यात्रा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मसलन, गर्मियों के महीनों में राजस्थान की यात्रा। जिसे शायद पहले कोई अनुशंसा न करता, लेकिन लोग अब राजस्थान में गर्मियों में भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। बारिश के दिनों में लोग गोवा और केरल जा रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि सीजन में लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में भीड़ और कीमतें बेतहाशा बढ़ जाती हैं। गर्मियों में बीकानेर और उदयपुर में 500 प्रतिशत तक सस्ते पर्यटन पैकेज मिल जाते हैं। इसलिए दिल्ली, हरियाणा और पंजाब से लोग भरी गर्मियों में खूब घूमने पहुंचते हैं।
एक और बदलाव नए पर्यटकों में देखने को मिलता है। पहले जहां लोग पर्यटन में ज्यादा से ज्यादा जगहें देखने की कोशिश करते थे, वहीं आज बड़ी संख्या में ऐसे पर्यटक भी हैं जो प्रसिद्ध स्थानों पर जाकर वहां रुकते हैं, सोते हैं और सुबह उठकर उस जगह की शांति और प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेते हैं। इस प्रवृत्ति को अब एक नया नाम दिया गया है — नींद पर्यटन।
इसीलिए आजकल होटल शृंखलाओं में अरोमाथेरैपी, योग-निद्रा सत्र और नींद बढ़ाने वाले व्यंजनों सहित अनुकूलित कार्यक्रमों को बढ़ावा मिल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय लोग अब घूमने को अपनी जीवनशैली का आवश्यक हिस्सा मानने लगे हैं। इ.रि.सें.