यह तो बड़ा हिट फार्मूला निकला जनाब
सहीराम
यह ऑपरेशन सिंदूर तो बड़ा भारी हिट फार्मूला निकला जी। इसका सबूत यह है कि इसे अपना ट्रेडमार्क बनाने के लिए अभी तक सुना है तेईस आवेदन आ चुके हैं। इसमें पता नहीं उन फिल्म निर्माताओं के आवेदन शामिल हैं या नहीं जो इस नाम का इस्तेमाल करते हुए अपनी फिल्में बनाना चाहते हैं। लेकिन निश्चित रूप से इनमें रिलायंस का वह आवेदन शामिल नहीं है, जिसे लेकर विपक्षी पार्टियों और उनके विरोधियों ने सेठजी को इतना शर्मिंदा कर डाला था कि अंततः उन्होंने यह कहकर यह आवेदन वापस ही ले लिया कि किसी छोटे कर्मचारी ने गलती से यह आवेदन कर दिया था।
बात भी ठीक है। सेठजी का कोई मैनेजर, सीईओ टाइप का बड़ा कारकून अगर आवेदन करता तो तेल के लिए करता, गैस के लिए करता या आईटी के किसी मलाईदार आइटम के लिए करता। निश्चित रूप से वह बंदरगाह के लिए, हवाई अड्डे के लिए, सोलर एनर्जी के लिए तो नहीं करता क्योंकि वह इलाका किसी दूसरे सेठ की चारागाह है। सबके इलाके बंटे हुए हैं जी। फिल्म वाले तो खैर ऐसी चीजों पर बिल्कुल वैसे ही मंडराने लगते हैं जैसे गुड़ पर मक्खी। वैसे भी इस वक्त फिल्मों में देशभक्ति की लहर चल रही है। फिल्में चाहे चलें न चलें, लहर तो चलनी ही चाहिए। इससे सरकार में साझा हो जाता है।
खैर जी, जैसे हमने आपदा को अवसर में बदलना सीख लिया है, वैसे ही हमने देशभक्ति को धंधे में बदलना भी सीख लिया है। वैसे भी ट्रंप साहब तो कह ही रहे हैं कि धंधे का वास्ता देकर ही मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम करवाया है। मतलब धंधा बड़ी चीज है। सो अब धंधेबाज ऑपरेशन सिंदूर के धंधे में लग गए हैं। हालांकि, धंधा पहले भी हुआ है। करगिल युद्ध के बाद करगिल द्रास क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र में तब्दील करने की बड़ी बातें हुई थी।
वैसे अगर युद्ध क्षेत्र इतने ही आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में हिट हो जाते तो हरियाणा को अब तक पर्यटन में सर्वोच्च स्थान प्राप्त हो जाता, जहां महाभारत से लेकर तराइन और पानीपत तक न जाने कितने युद्ध क्षेत्र पर्यटकों को तरस रहे हैं। लेकिन उससे भी पहले हमारे देश के डाकुओं के प्रिय और पसंदीदा क्षेत्र चंबल के बीहड़ों को भी पर्यटन क्षेत्र में तब्दील करने के बड़े-बड़े वादे किए गए थे। खैर, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चाहे कितनी ही चिक-चिक मची हो-कोई कह रहा है युद्धविराम क्यों हुआ, कोई कह रहा है पाकिस्तानी सेना को पहले क्यों सूचित किया, कोई पूछ रहा है कि नुकसान कितना हुआ। लेकिन इतना तय है कि इससे धंधा अच्छा जम जाएगा। फिल्म वालों का हो या उद्योग वालों का। नहीं क्या?