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मोक्ष की बंदगी और किस्तों में ज़िंदगी

04:00 AM Feb 22, 2025 IST
मोक्ष की बंदगी और किस्तों में ज़िंदगी
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सहीराम
देखो जी, जब कार, टीवी, फ्रिज सब कुछ किस्तों पर मिल रहा है, तो भगदड़ भी किस्तों में ही हो रही है। वैसे तो अमेरिका से वापस भेजे जा रहे भारतीय भी किस्तों में ही वापस आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिकी विमानों ने तीन गेड़े मार लिए। बस तरीका वही रहा-हाथों में हथकड़ियां, पांवों में बेड़ियां। उसमें कोई बदलाव नहीं। भारतीय कितना ही हल्ला मचा लें कि यह तो अपमान है। लेकिन ट्रंप साहब के आगे किसका बस चलता है। वह तो विमान भी वही सेना वाले ही भेज रहे हैं। इधर लगता है कि अमेरिकी सेना फुर्सत में है। लेकिन देखा जाए तो यह खुद अमेरिका के लिए शर्मनाक है कि उसके रहते अमेरिकी सैन्य विमान दुनिया में कहीं न कहीं बमबारी करने की बजाय भारतीयों को छोड़ने आ रहे हैं।
वे भाड़े पर न चल रहे हों, यह सोचकर कहीं किसी दिन कनाडा, यूके टाइप के मुल्क यह न कह दें कि दो गेड़े हमारे भी मार आओ यार। बोलो भाड़ा क्या लोगे। खैरजी, बताया जा रहा है कि कोई सात लाख ऐसे भारतीय अमेरिका में रह रहे हैं, जिन्हें वापस भेजा जाना है तो अमेरिकी सैन्य विमानों का आना-जाना तो लगा ही रहेगा। हो सकता है नियमित उड़ान ही शुरू हो जाए।
तो जी जैसे अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को किस्तों में भेजा जा रहा है, वैसे ही भगदड़ भी किस्तों में ही हो रही है। एक भगदड़ संगम पर हो ली थी। दूसरी नयी दिल्ली स्टेशन पर हुई। बताते हैं कि संगम पर लाउडस्पीकर से यह हांक लगायी जा रही थी कि जो सोवत है, सो खोवत है। सो जागो और कुंभी नहाओ। बस इसी चक्कर में भगदड़ मची और संगम तट पर सोने वालों, ने अपनी जान खोयी-जो सोवत है, सो खोवत है।
इधर नयी दिल्ली स्टेशन पर धड़ाधड़ टिकट बेचे जा रहे थे। ट्रेनों की क्षमता से कई-कई गुना ज्यादा। अब कोर्ट पूछ रहा है कि भई इतनी टिकटें क्यों बेचीं। अब कोर्ट को कौन बताए कि जो बेचत है, सो पावत है। जिनके पास और कुछ खरीदने की शक्ति नहीं, वे कम से कम कुंभ की टिकट तो खरीद रहे हैं। वित्त मंत्री तो सिर्फ इसी वजह से यह दावा कर सकती हैं कि हमने लोगों की क्रय शक्ति बढ़ा दी। दावा किया जा रहा है कि अब तक चौवन करोड़ लोग कुंभ नहा चुके। मतलब देश के चौवन करोड़ लोग पाप मुक्त हो चुके हैं, सनातन में आस्था प्रकट कर चुके हैं और देशभक्त होने का प्रमाण दे चुके हैं। यह अपनी तरह का रिकॉर्ड है। और गिनीज बुक का रिकॉर्ड तो खैर बन ही चुका है। लेकिन एनजीटी की यह क्या रिपोर्ट आयी है जी कि संगम का जल स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है। अच्छा किया जो योगीजी ने खंडन कर दिया। सरकारी एजेंसियों को ऐसी गफलत नहीं करनी चाहिए। आस्था का मामला है भई।
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