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मुश्किल वक्त हेतु बच्चों को करें तैयार

04:05 AM May 13, 2025 IST
मुश्किल वक्त हेतु बच्चों को करें तैयार
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युद्ध या युद्ध जैसा माहौल बच्चों में डर पैदा करता है जोकि कई अन्य समस्याओं को जन्म देता है। ऐसे में बच्चों को मानसिक रूप से तैयार करना जरूरी है । कुछ उपायों से जहां उनका मनोबल बढ़ाना होता है वहीं उन्हें किसी आपातकाल के लिये तैयार करना जरूरी है।

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रेणु खंतवाल
बीते कई दिनों तक देश के समक्ष युद्ध जैसी स्थितियां रहीं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई की। पूरे देश में अलर्ट जारी रहा। जनता के लिए एडवाइज़री जारी की गयी। कई शहरों में ब्लैक आउट रहा, खासतौर पर सीमावर्ती इलाकों में। साइरन, लड़ाकू विमानों और ड्रोन की आवाजें भय पैदा करती रहीं। स्थिति की नज़ाकत समझते हुए बच्चों को मानसिक रूप से तैयार करना जरूरी है। क्योंकि यह माहौल बच्चों में डर पैदा करता है जोकि कई अन्य समस्याओं को जन्म देता है। ऐसे में माता-पिता और टीचर की भूमिका बहुत अहम हो जाती है कि वे बच्चों को युद्ध के समय के लिए मानसिक और व्यवहारिक रूप से तैयार करें।
एडवाइजरी फॉलो करना
पुंछ में रहने वाले विजय कुमार शर्मा बताते हैं कि पिछले कई सालों से भारत-पाकिस्तान संघर्ष के चलते गोलाबारी की आवाजें हमारे लिए नई बात नहीं रहीं। यहां बच्चे इन आवाजों को सुनते हुए बड़े हुए हैं इसलिए वे अब डरते नहीं। जैसे ही गोलीबारी शुरू होती है वे अलर्ट हो जाते हैं। मॉकड्रिल के दौरान जो एडवाइजरी जारी हुई उसे जम्मू कश्मीर के बच्चे फॉलो कर रहे हैं। स्कूल में टेबल के नीचे छिप जाते हैं या जमीन पर लेट जाते हैं। घरों में ग्राउंड फ्लोर में आ जाते हैं या बंकरों में छिप जाते हैं। उन्हें बताया गया है कि बहादुर होकर स्थिति का सामना करना है।
जागरूक करें और हिम्मत बंधाएं
इस समय बच्चों को समाचार सुनने और अखबार पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वे स्थिति समझ सकें कि देश में क्या चल रहा है। बच्चों को सेना के पराक्रम के बारे में बताना चाहिए कि किस तरह हमारे देश ने पहले भी पाकिस्तान और चीन से युद्ध किए हैं और उस समय क्या हुआ था। इससे बच्चे युद्ध की स्थिति को समझ सकेंगे और सहज हो सकेंगे। जब वे सेना के साहस की कहानी सुनेंगे तो उन्हें हिम्मत मिलेगी कि सेना हमें कुछ नहीं होने देती।
बच्चे के सवालों के जवाब दें
अगर आपके घर में या आसपास कोई फौजी है तो उनके बारे में बताएं कि किस विषम स्थिति में वे वहां रहते हैं और दुश्मनों से लड़ते हैं इससे बच्चे परिस्थिति को समझेंगे और आपातकाल में न्यूनतम चीज़ों में गुजारा करने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो जाएंगे। अगर ब्लैकआउट हो रहा है तो बच्चों को बताएं कि इसकी क्या जरूरत है। अगर आपने ब्लैकआउट में साथ नहीं दिया तो आपका नुकसान हो सकता है। बच्चे के सभी सवालों के माता-पिता जवाब दें। स्थिति ज्यादा खराब हो तो बच्चों के सामने उस डर को प्रकट न करें। बताएं कि हमारी बहादुर सेना हर परिस्थिति में हमारा बचाव करेगी।
देशभक्ति के गीत और किस्से
बच्चों के अंदर देशभक्ति की भावना जगाने के लिए देशभक्ति के गीत चला सकते हैं , देशभक्ति की फिल्में देख सकते हैं। ताकि बच्चों को बता चले कि पड़ोसी मुल्क की हमारे देश को परेशान करने की पुरानी आदत है और फिर वह हमारे देश की सेना से पिटकर ही शांत होता है। इस तरह आप बच्चों के मनोबल को बढ़ाएं। हल्का संगीत बजा सकते हैं। इनडोर गेम्स खेलें ताकि बच्चे बाहर खेलने की जिद्द न करें।
भागीदारी और सही गाइडेंस
संगीता जखवाल दिल्ली में स्कूल टीचर हैं वे बताती हैं किवे बच्चों को मॉकड्रिल की ट्रेनिंग दे रहे हैं। बच्चे हमसे कई सवाल करते हैं कि यह ट्रेनिंग क्यों हो रही है? इससे क्या फायदा, लड़ाई तो सरहद पर हो रही है। हम बच्चों के सभी सवालों के जवाब देते हैं। जिससे वे उत्साह से ट्रेनिंग में हिस्सा लेते हैं। बच्चे फोन पर देश-दुनिया की खबर रखते हैं। बस जरूरत है उन्हें सही गाइडेंस की ताकि वे विषम परिस्थिति में अपना धैर्य न खोएं।
आपातकालीन बैग और मेडिकल किट
आपातकाल के लिए अपने बच्चों को सिखाएं कि मेडिकल किट कैसे बनाना है, उसका प्रयोग कब और कैसे करना है। बेसिक दवाओं की जानकारी भी दें। बच्चों को आपातकालीन बैग कैसे तैयार करना है यह सिखाएं व अभ्यास कराएं। जिसमें दो जोड़ी कपड़े, जरूरी दवाओं वाला मेडिकल बॉक्स, अपना फोन, चार्जर,पॉवर बैंक, जरूरी कागज, पैसा, गहने, ड्राईफ्रूट्स, कुछ स्नैक्स, पानी की बोतल, डेबिट कार्ड, एक टॉर्च, कैंडल, माचिस आदि रखें। ताकि एमरजेंसी में यदि कुछ दिन के लिए घर से दूर जाना पड़े तो अपना-अपना बैग उठाकर भागा जा सके। बच्चों को समझाएं कि अब वे बड़े हो गए हैं इसलिए बड़ों की तरह व्यवहार करें। इससे भी वे मोटिवेट होंगे और कहना मानेंगे।

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