महिलाओं में धूम्रपान से हार्मोनल असंतुलन का खतरा
देशभर में तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या में कमी आयी है लेकिन बीड़ी या सिगरेट की खपत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक, लड़कियों में सिगरेट पीने की लत बढ़ रही है। साल 2009 में जहां 2.4 प्रतिशत लड़कियां सिगरेट पीती थीं, 2019 में यह दर 6.2 प्रतिशत हो गई है। कई वैज्ञानिक और जैविक कारणों ये महिलाओं में पुरुषों की तुलना में धूम्रपान करना ज्यादा खतरनाक माना जाता है।
रेखा देशराज
सिगरेट के पैकेट पर भले ही यह वैधानिक चेतावनी होती है कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इससे फेफड़े खराब हो सकते हैं। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। इसके बावजूद युवा वर्ग में इसकी लत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। साल 2022 में टोबैको कंट्रोल इन इंडिया की रिपोर्ट में हवाला दिया गया है कि देशभर में तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या में कमी आयी है। लेकिन बीड़ी या सिगरेट की खपत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट में इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की गई कि कम उम्र की लड़कियों में लगातार सिगरेट पीने की लत बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2009 से 2019 के बीच स्मोकिंग करने वाले लड़के-लड़कियों की संख्या दस गुना हो गई है। साल 2009 में जहां 2.4 प्रतिशत लड़कियां सिगरेट पीती थीं, साल 2019 में यह दर बढ़कर दर 6.2 प्रतिशत हो गई है।
बराबरी की होड़ में लत
यह सर्वे भले ही पुराना है लेकिन इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2019 से 2025 तक इसमें और भी इजाफा हो चुका होगा। लड़कियों में तेजी से सिगरेट पीने की लत बढ़ रही है। इसके पीछे कई वजहें हैं। दरअसल पुरुषों के साथ बराबरी करने की होड़ में महिलाएं सिगरेट पीने को कूल समझती हैं। कई लड़कियां सिगरेट पीने वाले लड़कों से प्रभावित होती हैं और देखा-देखी वे भी सिगरेट पीने लगी हैं। तनाव, डिप्रेशन, बढ़ती प्रतिस्पर्धा, शिक्षा में आने वाली चुनौतियों से उपजी चिंताओं की वजह से उनकी इस लत में लगातार इजाफा हो रहा है। कानूनन भले ही 18 साल से कम उम्र के लोगों को तंबाकू उत्पाद बेचना अपराध है, इसके बावजूद दुकानदार अपने फायदे के लिए धड़ल्ले से बच्चों को सिगरेट बेचते देखे जाते हैं।
छुटकारा पाना जरूरी
महिलाएं कथित प्रगति व बराबरी के नाम पर स्मोकिंग के चंगुल में फंस रही हैं, वे यह भूल रही हैं कि यह उनके स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है। स्मोकिंग करने वाले पुरुष और महिलाओं के रिप्रोडेक्टिव ऑर्गंस पर भी इसका बुरा असर होता है। महिलाओं पर चूंकि शिशु को जन्म देना और उसकी देखरेख करना जैसी एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। उनके लिए विशेष तौरपर स्मोकिंग की लत से छुटकारा पाना जरूरी है। इसके अलावा सरकार को भी चाहिए कि तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर इसकी खपत में कमी लाएं और इसे हर किसी की पहुंच से बाहर रखने का प्रयास किया जाए। युवावर्ग को भी समझना चाहिए कि यह लत उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है और लंबे समय तक उन्हें इसके बुरे नतीजों को भुगतना पड़ सकता है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में धूम्रपान करना ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसके पीछे कई वैज्ञानिक और जैविक कारण हैं।
हार्मोनल असंतुलन और रोगों का जोखिम
महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजेन जैसे हार्मोन होते हैं, जो उनके दिल और हड्डियों की रक्षा का काम करते हैं। जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं, निकोटिन और दूसरे अन्य रसायन इन हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ देते हैं, जिसके कारण उनमें हृदय रोग और ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका बढ़ जाती हैं। विभिन्न अध्ययन पुष्टि करते हैं कि यदि महिला और पुरुष समान मात्रा में धूम्रपान करते हैं, तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को फेफड़ों का कैंसर होने की आशंका ज्यादा होती है। क्योंकि महिलाओं का श्वसन तंत्र पुरुषों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील होता है। अधिक धूम्रपान से महिलाओं में मासिक चक्र से संबंधित अनियमितताएं होने की आशंका रहती है। इनफर्टिलिटी होने का खतरा बढ़ जाता है और मोनोपॉज भी जल्दी आ जाता है। महिलाओं में धूम्रपान करने में हृदय संबंधी बीमारियों का भी खतरा पुरुषों की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक होता है। इसके अलावा धूम्रपान उनकी त्वचा पर बुरा असर करता है, झुर्रियां जल्दी आती है, त्वचा की चमक खो जाती है।
धूम्रपान का भावी संतान पर असर
गर्भावस्था में धूम्रपान करना गर्भ में पल रहे शिशु के लिए बेहद खतरनाक होता है। इससे उसकी सेहत पर लंबे समय तक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, जैसे : गर्भपात का खतरा - धूम्रपान से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इससे बच्चा समय से पहले पैदा हो सकता है। बच्चे का वजन कम होने के कारण वो बीमार और कमजोर भी पैदा हो सकता है। कम वजन : अगर महिला धूम्रपान करती है तो गर्भावस्था के दौरान शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे उसका वजन सामान्य से कम होता है। पैदा हुए बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। जन्मजात विकृतियां : धूम्रपान भ्रूण के विकास को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। नवजात के हृदय, फेफड़े या तंत्रिका तंत्र में विकृति हो सकती है। सांस की बीमारियां : जो महिलाएं लंबे समय से धूम्रपान करती आ रही हैं, गर्भावस्था में उनके बच्चों में आगे चलकर अस्थमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां होने की संभावना अधिक होती है। धूम्रपान के कारण बच्चे के मस्तिष्क का विकास बाधित हो जाता है और ध्यान की कमी व सीखने में कठिनाई आती हैं। वहीं जन्म के बाद अचानक शिशु की मृत्यु का खतरा धूम्रपान करने वाली माताओं की बच्चों में कई गुना ज्यादा होता है। -इ.रि.सें.