मलेरिया से बचाव के लिए सावधानी ही कारगर उपचार
हर साल 6 लाख से ज्यादा लोगों की मौत मलेरिया से होती है।’ मलेरिया से सबसे ज्यादा मौतें अफ्रीका में हुई हैं। आने वाले सालों में वहां यह गंभीर स्वास्थ्य संकट बना रहेगा। मलेरिया परजीवी ने कई दवाओं व कीटनाशकों के प्रति रेजिस्टेंस विकसित कर ली है। इसलिए यह और ज्यादा खतरनाक हो गया है। अभी कोई प्रभावी वैक्सीन नहीं, तो मलेरिया के प्रति कारगर बचाव यह है कि मलेरिया हो ही न।
डॉ.माजिद अलीम
अपनी पहचान के 145 सालों बाद भी मलेरिया दुनिया के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बना हुआ है, खासकर पिछड़े देशों में। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) बार-बार दुनिया को चेतावनी देते हुए कहता है, ‘भले मलेरिया पूरी तरह से रोका जा सकता हो और सही इलाज से ठीक भी किया जा सकता हो, लेकिन यह भी सच्चाई है कि हर साल 6 लाख से ज्यादा लोगों की मौत मलेरिया से होती है।’ हाल के सालों में मलेरिया से सबसे ज्यादा मौतें अफ्रीका में हुई हैं और आने वाले सालों में भी अफ्रीका के लिए यह गंभीर स्वास्थ्य संकट बना रहेगा। क्योंकि इसकी रोकथाम के लिए जिस स्तर का इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए, वह अफ्रीकी देशों के पास नहीं है।
मलेरिया परजीवी में प्रतिरोधक क्षमता
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, गरीब, ग्रामीण, आदिवासी आबादी, खासकर बच्चे,बूढ़े और गर्भवती महिलाएं, मलेरिया की सबसे ज्यादा शिकार होती है। इन्हें मलेरिया के प्रति सजग रहना चाहिए। चूंकि मलेरिया परजीवी ने कई दवाओं के प्रति रेजिस्टेंस विकसित कर ली है, खासकर इसकी सबसे कारगर माने जाने वाली दवा आरटीमिसिनिन के विरुद्ध। इसलिए यह और ज्यादा खतरनाक हो गया है। मलेरिया को लेकर और भी कई समस्याएं हैं मसलन मच्छरों ने अब दुनिया में मौजूद अनेक कीटनाशकों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। इसलिए विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि मलेरिया का कारगर बचाव यह है कि मलेरिया हो ही न।
निपटने को चाहिये नवाचार वाले उपाय
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2016 से 2030 के बीच धरती से मलेरिया को खत्म करने की योजना बनायी थी। लेकिन कई देशों में लगातार घटती राजनीतिक इच्छाशक्ति और निवेश की कमी के चलते मलेरिया से निपटने को लेकर नवाचार वाले उपाय नहीं हो सके। हालांकि अब उम्मीद है कि मलेरिया को रोकने के प्रति दुनिया को मजबूत मदद मिलेगी। अभी यह दुनियाभर में करीब 25 करोड़ मलेरिया पीड़ित लोगों के लिए यह खतरनाक बीमारी बनी हुई है। साल 2022 में अंतिम बार मलेरिया के मरीजों की गिनती 24 करोड़ 900 लाख के ऊपर पहुंच गई थी। हर साल मलेरिया से मरने वाले करीब 6 लाख लोगों में से ज्यादातर मौतें अफ्रीका में मौतें होती हैं जो कुल दुनिया का 95 फीसदी है। हालांकि भारत उन देशों में शामिल है जहां मलेरिया के मामलों में तेजी से गिरावट आई है।
प्रभावी वैक्सीन की कमी
साल 1880 में फ्रांसीसी डॉक्टर चार्ल्स लावेरन ने मलेरिया की खोज की थी जिन्होंने सबसे पहले मलेरिया रोगियों के रक्त में पैरासाइट को देखा था। इसके बाद 1897 में ब्रिटिश वैज्ञानिक रोनाल्ड रॉस ने यह खोज की कि मलेरिया मच्छरों के ज़रिए फैलता है, विशेषकर मादा एनाफिलीज़ मच्छर से। अभी तक प्रभावी वैक्सीन नहीं बनी है। हालांकि कुछ टीकों को मंज़ूरी मिली है। मगर यह राहत पर्याप्त नहीं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों का दायरा भी बढ़ा है।
मलेरिया दिवस मनाने का मकसद
विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मलेरिया की रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही विभिन्न सरकारों और संगठनों को इस रोग के खिलाफ प्रयासों को तेज़ करने के लिए प्रेरित करना है। इस दिवस की पृष्ठभूमि में शोध, वैक्सीन और फंडिंग की दिशा में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा मिलता है। स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन होता है, जागरूकता अभियान चलाया जाता है। हर साल मलेरिया दिवस की एक थीम होती है। मसलन 2025 में मलेरिया उन्मूलन की थीम है, ‘एक अधिक समानतापूर्ण दुनिया के लिए मलेरिया के विरुद्ध लड़ाई को तेज करना’।
भारत में पिछले एक दशक में मलेरिया के संक्रमण में कमी आयी है। साल 2000 में भारत में मलेरिया के अनुमानतः 20 लाख से ज़्यादा केस थे,जो कि साल 2023 में घटकर लगभग 1 लाख से भी कम रह गए थे, जबकि हमारा लक्ष्य है कि साल 2030 तक हम मलेरिया मुक्त हो जाएं। देश के जिन राज्यों में मलेरिया के मरीज सबसे ज्यादा हैं, उनमें ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और असम प्रमुख हैं। सरकार की मलेरिया उन्मूलन की इन राज्यों को लेकर कुछ विशेष योजनाएं हैं।
मलेरिया से बचाव के घरेलू उपाय
दवाओं और दूसरे मेडिकल उपायों के साथ-साथ मलेरिया से बचने के कुछ घरेलू उपाय कारगर हो सकते हैं। जैसे- सूखी नीम की पत्तियों को जलाकर उसका धुआं घर में फैलाएं, यह मच्छरों को दूर भगाता है। लेमनग्रास ऑयल या यूकेलिप्टस ऑयल को पानी में मिलाकर स्प्रे करें या शरीर पर लगाएं, मच्छर पास नहीं आते। नीम और नारियल का तेल मिलाकर त्वचा पर लगाने से मच्छर नहीं काटते। तुलसी के पौधे को खिड़कियों और दरवाज़ों के पास रखें। मच्छरदानी का उपयोग करें। आसपास व घर में कूलर, गमले, बाल्टी, टायर आदि में पानी न जमा न होने दें। मिट्टी का तेल पानी की टंकी या नालियों में डालें।
-इ.रि.सें.