मगर आंखों का पानी नहीं मरना चाहिए
सहीराम
जी, कहा तो यह जा रहा था कि पाकिस्तान पानी की एक-एक बूंद को तरस जाएगा। हमने सिंधु जल संधि को फिलहाल ठंडे बस्ते में रख दिया है। लेकिन एक-एक बूंद पानी के लिए अचानक हरियाणा तरसने लगा। पानी का वह बंटवारा तो ठंडे बस्ते में चला गया और यह बंटवारा एकायक गर्मी पकड़ गया। गर्मी में मुद्दा भी गर्म हो जाए तो बड़ी मुश्किल हो जाती है। खैर जी, घोषणा तो यह थी कि पाकिस्तान को एक बूंद पानी नहीं दिया जाएगा। लेकिन अचानक पंजाब विधानसभा ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पास कर घोषणा कर दी कि हरियाणा को एक बूंद पानी नहीं दिया जाएगा। इस तरह का प्रस्ताव पंजाब विधानसभा तब भी पास करती थी जब अकालियों की सरकार होती थी।
इस तरह का प्रस्ताव पंजाब विधानसभा अब भी पास कर रही है, जब आप पार्टी की सरकार है। दूसरी पार्टियां तब अकालियों के साथ थी, आज आम पार्टी के साथ हैं। किसान नेता राजेवाल तब अकालियों की हां में हां मिला रहे थे कि हां, हरियाणा को पानी नहीं देंगे। और अब वे आप वालों की हां में हां मिला रहे हैं कि हां, हरियाणा को पानी नहीं देंगे। राजेवाल किसान नेता हैं। किसान आंदोलन के वक्त जब हरियाणा के किसान उनका साथ दे रहे थे वे बड़े खुश थे और अहसानमंद थे। लेकिन आज वे उन्हें पानी नहीं देना चाहते। गर्मी है तो पानी की कमी बेशी हो सकती है। लेकिन आंखों का पानी कम नहीं होना चाहिए। वह नहीं मरना चाहिए।
सरकारों की लड़ाई तो समझ में आती है। राजनीति होती है। लेकिन किसानों की एकता तो बनी रहे। नरेश टिकैत ने तो पाकिस्तान के किसानों तक का पक्ष ले लिया बताते हैं कि पानी तो उन्हें भी चाहिए और राजेवाल हरियाणा के किसानों का भी पक्ष नहीं ले रहे कि पानी तो इन्हें भी चाहिए। खैर, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि पंजाब में कुछ नहीं बदला है। बदला तो है। सरकार बदली है। पर पानी पर रुख नहीं बदला।
भारत ने पाकिस्तान से यह नहीं कहा कि हमारे पास पानी नहीं है। उसने यह कहा है कि हम पानी देंगे नहीं। लेकिन पंजाब कह रहा है कि हमारे पास तो पानी है ही नहीं। हरियाणा का पानी का जितना हिस्सा था, वह उसने ले लिया। अब पानी नहीं है। हरियाणा कह रहा है कि हमें पानी मिला ही नहीं। पंजाब कह रहा है हमने दे दिया तो पानी गया कहां। अरे भाई यह नदियों का पानी है कोई आंखों का पानी थोड़े ही है कि खत्म हो गया। वैसे यह भाइयों का झगड़ा है। भारत और पाकिस्तान भी ऐसे हैं और पंजाब और हरियाणा भी भाई हैं। भाइयों के बीच झगड़े होते ही हैं। कोर्ट-कचहरी होती ही है। सो हो रही है।