मंगलमय जीवन की आकांक्षा का बड़ा मंगल
ज्येष्ठ महीने के मंगलवार आते ही भक्तों का जीवन आस्थामय हो जाता है। संकटमोचक हनुमान की कृपा पाने के लिए व्रत, पूजन, भंडारा और सुंदरकांड पाठ का विशेष महत्व होता है। हर मंगलवार मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और दान-पुण्य से समाज भी लाभान्वित होता है। यह सिर्फ पूजा नहीं, समर्पण का पर्व है।
चेतनादित्य आलोक
इस बार ज्येष्ठ महीने की शुरुआत मंगलवार से हो रही है। महीने का पहला दिन मंगलवार होने की कारण इस दिन का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है, क्योंकि ज्येष्ठ महीने के सभी मंगलवार को ‘बड़ा मंगल’ अथवा ‘बुढ़वा मंगल’ कहा जाता है। दक्षिण भारत की मान्यताओं के अनुसार इस महीने के मंगलवार इसलिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि इनमें से एक मंगलवार को हनुमान जी महाराज का जन्म हुआ था तो एक मंगलवार को भगवान श्रीराम से इनका अत्यंत महत्वपूर्ण मिलन हुआ था। इसलिए ऐसा समझना चाहिए कि सनातन धर्मावलंबियों के लिए ‘बुढ़वा मंगल’ का यह व्रत एक महा-उपहार है। शास्त्रों में वर्णन है कि इन बड़े मंगलवारों को हनुमान जी महाराज की पूजा-अर्चना, आराधना आदि करने से दुःख-संकट, ताप-संताप आदि सब दूर हो जाते हैं।
पांच मंगलमय दिन
इस बार ज्येष्ठ महीने में 5 मंगलवार आने वाले हैं। इसका तात्पर्य यह हुआ कि इस बार भक्तों के लिए बड़ा मंगल का व्रत रखने के अधिकतम 5 अवसर उपलब्ध होंगे। बड़ा मंगल की ये तिथियां इस प्रकार हैं- पहला बड़ा मंगल 13 मई को, दूसरा बड़ा मंगल 20 मई को, तीसरा बड़ा मंगल 27 मई को, चौथा बड़ा मंगल 2 जून और पांचवां बड़ा मंगल 10 जून को पड़ेगा।
धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व
सनातन धर्म में ज्येष्ठ महीने के प्रत्येक मंगलवार को धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण एवं मंगलकारी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से अतुलित बल के धाम पवनपुत्र हनुमान जी महाराज की पूजा-अर्चना करने तथा उनके लिए व्रत रखकर उनकी उपासना करने से जीवन के सभी दुःख, कष्ट, ग्रह, दोष, बाधाएं आदि दूर हो जाती हैं और भक्त को परम पुण्य की प्राप्ति होती है। बता दें कि बड़ा मंगल के व्रत में महाबली हनुमान जी को भगवान श्रीराम के परम भक्त के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन उनकी उपासना करने वाले मनुष्य की नकारात्मक शक्तियों, आकस्मिक दुर्घटनाओं आदि जैसे संकटों से हनुमान जी रक्षा करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हनुमान जी की पूजा से शनि और मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों में भी कमी आती है। विशेष रूप से बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी का स्मरण करने से भक्तों पर उनकी विशेष कृपा दृष्टि बनी रहती है।
विशेष पूजा-अर्चना
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ महीने के प्रत्येक मंगलवार को महाबली हनुमान जी महाराज की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तगण इस दिन हनुमान जी के लिए व्रत रखकर उपवास करते हैं। साथ ही, पूजा के समय श्रीराम भक्त हनुमान जी को उनके प्रिय भोग अर्पित करने के विधान का पालन भी उनके भक्त करते हैं। इनके अतिरिक्त, इस अवसर पर यथाशक्ति हनुमान जी को चोला, लाल रंग का पताका (झंडा) लाल लंगोट, सिंदूर, चमेली के तेल, फूल, माला आदि भी अर्पित किया जाता है। वहीं, जो लोग सक्षम हैं, वे बुढ़वा मंगल के दिन भंडारे का आयोजन कर लोगों के बीच भंडारा प्रसाद का वितरण करते हैं। साथ ही, मंदिर में बंदरों को केले, गुड़, चना, नारियल आदि खिलाना अत्यंत लाभकारी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से महावीर हनुमान जी भक्त पर शीघ्र प्रसन्न होते हैं और सभी बाधाएं दूर करते हैं। इसके अलावा बड़ा मंगल की रात को हनुमान जी के समक्ष घी के दीप जलाकर ‘संकट मोचन स्तोत्र’ का पाठ करने से रोग-बीमारी, दुःख-दरिद्रता और भय का नाश होता है।
दान-दक्षिणा से लाभ
बड़ा मंगल का व्रत करने वाले व्यक्ति के लिए योग्य ब्राह्मणों, निर्धनों एवं जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा आदि अर्पित करना अत्यंत शुभ एवं कल्याणकारी होता है। यही कारण है कि इस दिन हनुमान जी के भक्त अपनी क्षमता के अनुसार दान-पुण्य अवश्य करते हैंै। इस अवसर पर लाल मसूर की दाल, लाल वस्त्र, सिंदूर एवं गुड़ का दान करना चाहिए। इन वस्तुओं के दान करने से मंगल दोष की शांति होती है और जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है।
सुंदरकांड और हनुमान चालीसा
बड़ा मंगल के दिन हनुमान चालीसा तथा सुंदरकांड का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है। इसलिए इसे प्रत्येक बड़ा मंगल को नियमित करना चाहिए। यदि संभव हो, तो हनुमान चालीसा का पाठ कम से कम 5, 7, 11, 21 या 108 बार करना चाहिए। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार हनुमान चालीसा का 11, 21 या 108 बार पाठ करने से भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है। वहीं, सुंदरकांड का संकल्प लेकर पाठ करने से भक्त की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। बुढ़वा मंगल के दिन हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त करने हेतु उनके 11 नामों का जप करना चाहिए।
पौराणिक कथा
मान्यता है कि महाभारत काल में भीम को अपनी प्रचंड शक्ति के कारण बहुत अहंकार हो गया था। इसीलिए भीम के घमंड को तोड़ने के लिए भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी ने एक बूढ़े बंदर का रूप धारण कर भीम के घमंड को नष्ट किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में एक बार कुंती पुत्र भीम श्वेत कमल की तलाश में जब गंधमादन पर्वत पर पहुंचे तो वहां उन्होंने एक बुढ़े वानर को मार्ग में लेटे देखा। वह वृद्ध वानर इस प्रकार से लेटे हुए थे कि रास्ते में उनकी पूंछ आ रही थी, जिसके कारण भीम को आगे जाना संभव नहीं था। भीम ने तत्काल उस वानर से अपनी पूंछ हटाने के लिए कहा। भीम की बातें सुनकर हनुमान जी ने कहा कि यदि तुम ताकतवर और पूंछ हटाने में सक्षम हो, तो तुम्हीं इसे हटा लो। कथा के अनुसार पाण्डु पुत्र भीम ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर उस वानर की पूंछ को हटाने का प्रयास किया, लेकिन नहीं हटा पाए। बाद में हनुमान जी ने भीम को अपने वास्तविक स्वरूप का दर्शन कराया। इस प्रकार, भीम को अपनी भूल की अनुभूति हुई और उसका घमंड चूर-चूर हो गया। गौरतलब है कि जब यह घटना घटी थी, तब ज्येष्ठ महीने का मंगलवार था। इसीलिए ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है।