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भोजन हो मिनरल से भरपूर तो आये संपूर्ण सेहत का नूर

04:05 AM May 21, 2025 IST
भोजन हो मिनरल से भरपूर तो आये संपूर्ण सेहत का नूर
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विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की ही तरह मिनरल्स यानी खनिज भी हमारी बेहतर सेहत के लिए जरूरी पोषक तत्व हैं। ये पाचन तंत्र को सुचारू रखने के अलावा विभिन्न अंगों, मसल्स को मजबूती प्रदान करते हैं। इनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, आयरन, मैंगनीज, जिंक व आयोडीन आदि प्रमुख हैं। हमारे स्वास्थ्य में मिनरल्स की भूमिका पर दिल्ली स्थित आहार विशेषज्ञ डॉ. रचना कटारिया से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

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बैलेंस और न्यूट्रीशियस डाइट की बात आती है तो आमतौर पर आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और फैट को शामिल करने को तरजीह दी जाती है। डेली रूटीन में जरूरी मिनरल्स को इतना महत्व नहीं दिया जाता। हालांकि ये हेल्दी डाइट का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। शरीर के मेटाबॉलिक सिस्टम को रेगुलेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शरीर के अंगों के विकास और मजबूती प्रदान करने में मदद करते हैं। इनकी कमी से शरीर में मेटाबॉलिक डिस्आर्डर होने की संभावना रहती है।
दैनिक जरूरत के हिसाब से मिनरल्स दो तरह के होते हैं-मैक्रोमिनरल जिसे रोजाना करीब 100 मिग्रा से अधिक लेना जरूरी है। इनमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड और सल्फर आते हैं। वहीं माइक्रोमिनरल या ट्रेस मिनरल जिनमें आयरन, मैंगनीज, जिंक, आयोडीन, जस्ता, कोबाल्ट, फ्लोराइड और सैलेनियम आते हैं। रोजाना सिर्फ 15 मिग्रा माइक्रोमिनरल का सेवन करने की जरूरत होती है।
पोटेशियम
शरीर की विभिन्न अंगों, सेल्स, मसल्स में संकुचन और तंत्रिका तंत्र को ठीक तरह से काम करने में मदद करता है। हार्ट के कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है। मांसपेशियों और पाचन तंत्र की गतिविधियों में बैलेंस बनाता है। सोडियम के साथ मिलकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। एक व्यस्क को रोजाना तकरीबन 1 ग्राम पोटेशियम की जरूरत होती है। यह केले, संतरे, खजूर, टमाटर, आलू, शकरकंद , पालक, ब्रोकोली जैसी हरी सब्जियों, फलियों, मटर, दालों, सोयाबीन, कम वसा वाले दूध-दही, मूंगफली में मिलता है वहीं सामन, टूना जैसे समुद्री जीव इसके अच्छे स्रोत हैं। नर्वस सिस्टम में डिस्आर्डर आ सकता है, मसल्स पर कंट्रोल न रहने पर पैरालाइसिस का खतरा रहता है। हाइपोकैल्सिमिया कब्ज, मांसपेशियों में कमजोरी और थकान का कारण बनता है।
मैग्नीशियम
यह एक प्रमुख इलेक्ट्रोलाइट मिनरल है जो शरीर की जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को करने में मदद करता है। हड्डियों के विकास और मजबूती प्रदान करने में सहायक है। सामान्य मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के कार्यों को सुचारू करने में मदद करता है। हृदय की धड़कन विनियमित करता है और उसे स्वस्थ रखता है, इम्यून सिस्टम को सुचारू चलाने में सहायक है। ब्लड शूगर लेवल को कंट्रोल करने और प्रोटीन तथा ऊर्जा उत्पादन में मदद करता है। मैग्निशियम हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसे विकारों को कम करने में मदद करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 400 मिग्रा मैगनीशियम रिच खाद्य पदार्थो का सेवन करना जरूरी है। ड्राई फ्रूट्स, साबुत अनाज, खुबानी, एवोकेडो, केला, पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों, फलियों, गाजर, लाल-पीली शिमला मिर्च, सोयाबीन, अंडे, डार्क चॉकलेट इसके प्रमुख स्रोत हैं।
आयरन
शरीर के लिए आवश्यक मिनरल में से एक आयरन है जो स्वस्थ मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है। शरीर में रेड ब्लड सेल्स या हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन पूरे शरीर में सप्लाई करने में मदद करता है। पर्याप्त मात्रा में आयरन का सेवन न करने से शरीर में एनीमिया या रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाती है। गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी से प्री- मैच्योर डिलीवरी या गर्भस्थ शिशु का विकास अवरुद्ध हो सकता है। इसके अलावा आयरन त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाए रखता है। एक स्वस्थ व्यस्क को रोजाना 8-10 मिग्रा आयरन की जरूरत होती है जबकि गर्भवती या मेनोपॉज की स्थिति पर पहुंची महिला को रोजाना 18 मिग्रा आयरन लेना जरूरी है। आयरन के स्रोतों में फलियां, हरी सब्जियां, बीन्स, नींबू, साबुत अनाज, दालों, सेब, अमरूद, गुड़, कोको, रेड मीट, अंडे या डार्क चॉकलेट शामिल हैं। आयरन की कमी से एनीमिया, सेल्स में सूजन व थकान हो सकते हैं।
सोडियम
यह माइक्रोमिनरल शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने का काम करता है। यह शरीर में आयोनिक और जल में बैलेंस बनाए रखता है। मांसपेशियों में संकुचन की प्रक्रिया बनाए रखता है। तंत्रिका तंत्र का सुचारू संचालन कर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। डायजेस्टिव जूस के माध्यम से सोडियम फैट के उत्सर्जन में मदद करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना तकरीबन 3-5 ग्राम सोडियम की जरूरत होती है। खाने वाला नमक सोडियम का अच्छा स्रोत है। इसकी कमी से मसल्स में संकुचन की कमी, नर्वस सिस्टम में गडबड़ी, डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। समुचित मात्रा में सोडियम का सेवन न करने से हाइपोनेट्रेमिया हो सकता है जो सिरदर्द, जी मिचलाना, थकान और बेहोशी का कारण हो सकता है।
आयोडीन
यह एक महत्वपूर्ण माइक्रोमिनरल है। यह थायरोक्स्नि और ट्राई आयोडोथायरोनिन जैसी थायराइड हार्मोन की बायोलॉजिकल प्रोसेस को कंट्रोल करता है। ये हार्मोन शरीर के मेटाबॉल्जिम और कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करते हैं। इसके साथ ही गर्भस्थ शिशु और बच्चों की हड्डियों के विकास में मदद करता है। प्रोटीन संश्लेषण सुचारू चलाता है। वहीं इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।
एक व्यस्क व्यक्ति को रोजाना केवल 0.15 मिग्रा आयोडीन की जरूरत होती है। जिसे वह आयोडाइज नमक, शैवाल जैसे सी-फूड, शतावरी, पालक, शलगम जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां, पानी, मशरूम,डेयरी खाद्य पदार्थ, अंडे, तिल से प्राप्त कर सकते हैं। आयोडीन की कमी से गॉयटर, बच्चों में बौनापन, बड़ों में मिक्सोडेमा थायरॉयड होने की संभावना रहती है।

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