भीख का आत्मविश्वास और इज्जत खल्लास
आलोक पुराणिक
भिखारी ने इस आत्मविश्वास से मुझसे भीख मांगी, जैसे मैं उसका कर्जदार हूं और वह अपने उधार दिये गये पैसे वापस मांग रहा है। उसके आत्मविश्वास पर मुझे हैरत हुई। भीख को भीख की तरह मांगना चाहिए, दयनीय होकर, पर वह इस अंदाज में मांग रहा था कि मेरा हक है, मुझे मिलना ही चाहिए।
मैंने पूछा, भिखारी भाई इस उच्चस्तरीय आत्मविश्वास की वजह क्या है। कहां से लाते हो इतना आत्मविश्वास।
भिखारी भाई ने बताया कि वह पाकिस्तानी टीवी चैनल पर पाकिस्तानी नेताओं की हरकतें देखता है; पाकिस्तानी प्रधानमंत्री, पाकिस्तानी आर्मी जनरल सूट-बूट डालकर सऊदी अरब जाते हैं; संयुक्त अरब अमीरात जाते हैं; फिर भीख मांगते हैं। इस अंदाज में जैसे वह उनका हक हो। अरब शेख अपनी जेब झाड़ देते हैं तो एक दो बिलियन डालर गिर जाते हैं; पाकिस्तानी पीएम, पाकिस्तानी आर्मी जनरल उन डालरों को बटोरकर ले आते हैं।
भीख को हक की तरह कैसे मांगें- दुनिया भर के भिखारियों को यह बात पाकिस्तानी आर्मी के जनरल और नेता सिखा सकते हैं। आम भिखारी इस हीन बोध में फंसे रहते हैं कि हाय हमें मांगना पड़ रहा है। पर पाकिस्तानी भिखारी इसे प्रोफेशन मानते हैं। अरब देश चीखते हैं कि पाकिस्तानी भिखारियों को वापस बुलाया जाये। भारत चीखता है कि पाकिस्तानी आतंकियों को वापस बुलाया जाये। पाकिस्तान की आफत यह है कि भिखारी और आतंकी, ये ही दो हैं, उसके पास कहीं भेजने के लिए।
पाकिस्तान का छोटा भाई बंगलादेश, पाकिस्तान उससे भी मांगने के चक्कर में था।
बंगलादेश ने पलटकर पाकिस्तान से ही मांग लिये कि हमें 4.5 अरब डालर दिये जायें, जो पाकिस्तान ने बहुत पहले हमारे दबाकर रखे हैं। दोनों एक-दूसरे से मांगने के चक्कर में हैं, इससे साफ होता है कि रिश्ते सिर्फ खून के ही नहीं होते, रिश्ते मांगने के भी होते हैं।
भिखारी को भीख मिल जाती है, बस इज्जत नहीं मिलती। अरब शेख जेब झाड़कर एक-दो अरब डालर दे देते हैं पाकिस्तान को। फिर कहते हैं कि पाकिस्तानी हुक्मरानों से कि अब निकलिये कुछ कस्टमर आ रहे हैं। फिर अरब शेख भारत के साथ तेल बेचने के सौदे करते हैं। पाकिस्तान कहता है कि जितनी इज्जत हिंदुस्तान को दी जाती है, उतनी ही हमें मिलनी चाहिए। अरब शेख हंसते हैं कि भिखारी को वह इज्जत कैसे दे सकते हैं, जो एक कस्टमर को देते हैं। कस्टमर से कमाते हैं, तब ही तो भिखारी को देते हैं। भीख और इज्जत दोनों एक साथ किसी को नहीं मिल सकती।
भिखारी की एक आफत यह होती है कि उसे काम करने की आदत नहीं रहती। अब पाकिस्तान की आदत बची नहीं है कुछ काम करने की। बरसो बरस इधर से उधर मांग-मांग कर काम चलता रहा। अब मुश्किल हो रही है। पर पाकिस्तान पुराना भिखारी है, नया रास्ता भीख का निकाल ही लेगा।