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भारत-श्रीलंका के बीच पहली बार सैन्य ढांचे पर सहमति

05:00 AM Apr 06, 2025 IST
भारत श्रीलंका के बीच पहली बार सैन्य ढांचे पर सहमति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मित्र विभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित करते श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके। -एएनआई
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कोलंबो, 5 अप्रैल (एजेंसी)
भारत और श्रीलंका ने पहली बार सैन्य क्षेत्र में गहन सहयोग के लिए एक ढांचे को संस्थागत बनाने के संबंध में शनिवार को एक प्रमुख रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने कुल सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस संबंध में आयोजित बैठक में प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच मछुआरों के विवादास्पद मुद्दे को मानवीय दृष्टिकोण से सुलझाने की वकालत की और उम्मीद जताई कि श्रीलंका तमिल लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा और प्रांतीय परिषद के चुनाव कराएगा।
अन्य महत्वपूर्ण कदमों में, भारत ने कोलंबो के लिए आर्थिक सहायता के एक भाग के रूप में ऋण पुनर्गठन समझौतों को भी मजबूत तथा ऋणों पर ब्याज दरों को कम करने का निर्णय लिया। मोदी ने घोषणा की कि श्रीलंका के पूर्वी प्रांतों के विकास के लिए 2.4 अरब लंकाई रुपए का सहायता पैकेज प्रदान किया जाएगा। वार्ता में रक्षा समझौते को रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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शांति सेना हस्तक्षेप के 35 साल बाद उठाया कदम

यह समझौता श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा सेना के हस्तक्षेप के लगभग 35 साल बाद हुआ है। दिसानायके ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को आश्वासन दिया है कि श्रीलंका अपने भूभाग का इस्तेमाल भारत के सुरक्षा हितों के प्रतिकूल कदमों के लिए नहीं होने देगा। तमिल मुद्दे का जिक्र करते हुए मोदी ने उम्मीद जताई कि श्रीलंका सरकार देश के संविधान को ‘पूरी तरह लागू’ करेगी। श्रीलंका में तमिल समुदाय 13वें संशोधन के क्रियान्वयन की मांग कर रहा है, जो उन्हें सत्ता का हस्तांतरण प्रदान करता है। 13वां संशोधन 1987 के समझौते के बाद लाया गया था।

श्रीलंका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका के लिए ‘मित्र विभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया। श्रीलंका का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान है जिसकी शुरुआत फरवरी 2008 में तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने की थी। इससे पहले ये पुरस्कार मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम और दिवंगत फलस्तीनी नेता यासिर अराफात को प्रदान किया जा चुका है।

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