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भारतीय वैश्विक छवि मजबूत करेगा ‘ऑपरेशन सिंदूर’

04:00 AM May 08, 2025 IST
भारतीय वैश्विक छवि मजबूत करेगा ‘ऑपरेशन सिंदूर’
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यह स्ट्राइक भारत की उभरती वैश्विक शक्ति की छवि को मज़बूत करेगी और आर्थिक रूप से, यह पाकिस्तान को गहरे संकट में धकेल सकता है। भारत को भी सीमित नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत को अपनी कार्रवाइयों को आत्मरक्षा के रूप में वैध ठहराने के लिए मजबूत कूटनीति की आवश्यकता होगी।

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डॉ. जगदीप सिंह

भारत द्वारा पाकिस्तान में की गई एयर स्ट्राइक, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में जाना गया, भारत की उभरती वैश्विक शक्ति की छवि को मज़बूत करेगी। 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों द्वारा हवाई क्षेत्र बंद करने और सिंधु जल संधि को निलंबित करने जैसे कदमों ने पहले ही क्षेत्रीय अस्थिरता क़ायम है। यह स्ट्राइक, मुरिदके और बहावलपुर में स्टैंड ऑफ हथियारों से की गई है। पाकिस्तान द्वारा इसे ‘युद्ध का खुला ऐलान’ कहे जाने के बाद वैश्विक शक्तियों को प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर कर सकती है। अमेरिका, भारत का रणनीतिक साझेदार है जो, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के रूप में इसका समर्थन कर सकता है, जबकि चीन, पाकिस्तान का सहयोगी, उसके स्वर में बोलेगा, जिससे भारत-चीन तनाव और गहरा होगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कूटनीतिक टकराव की संभावना है। जहां भारत इसे आत्मरक्षा मानता है और पाकिस्तान इसे आक्रामकता कहेगा। आर्थिक रूप से, इस कार्रवाई का पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ेगा। इससे कूटनीतिक अलगाव का जोखिम भी है, जिससे दक्षिण एशिया में दीर्घकालिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
पहलगाम हमले के बाद, भारत ने कठोर कदम उठाए थे जैसे पाकिस्तानी उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद करना और सिंधु जल संधि को निलंबित करना। पाकिस्तान ने इसे ‘युद्ध जैसी कार्रवाई’ करार दिया, और इस एयर स्ट्राइक को ‘संप्रभुता का उल्लंघन’ बताकर जवाबी सैन्य कार्रवाई की धमकी दी। ऐतिहासिक रूप से, 2019 की बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने जवाबी हवाई हमले की कोशिश की थी। 2025 में, यदि पाकिस्तान सैन्य जवाब देता है, तो यह पूर्ण युद्ध में बदल सकता है, जिसका असर वैश्विक स्थिरता पर पड़ेगा। इसके अलावा, पाकिस्तान आतंकवादी समूहों जैसे जैश-ए-मोहम्मद को उकसा सकता है, जिससे भारत में और हमले हो सकते हैं।
अमेरिका, जो भारत को क्वाड और इंडो-पैसिफिक रणनीति में महत्वपूर्ण साझेदार मानता है, इस स्ट्राइक को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देख सकता है। हाल ही में भारत को 31 प्रीडेटर ड्रोन की बिक्री इसका सबूत है। हालांकि, अमेरिका युद्ध से बचने के लिए दोनों देशों को संयम बरतने की सलाह देगा। यदि स्ट्राइक के परिणामस्वरूप परमाणु जोखिम बढ़ता है, तो अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से मध्यस्थता की कोशिश कर सकता है।
चीन, पाकिस्तान का निकटतम सहयोगी और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपैक) निवेशक है, इस स्ट्राइक की आलोचना करेगा। यह भारत-चीन संबंधों को और तनावपूर्ण बनाएगा। चीन पाकिस्तान को सैन्य और कूटनीतिक समर्थन दे सकता है।
रूस, जो भारत का पारंपरिक सैन्य साझेदार है, संभवतः तटस्थ रुख अपनाएगा। भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की आपूर्ति और अन्य रक्षा सौदों के कारण रूस भारत का अप्रत्यक्ष समर्थन कर सकता है। हालांकि, रूस के लिए पाकिस्तान के साथ संबंध बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है, खासकर ऊर्जा और क्षेत्रीय प्रभाव के संदर्भ में। रूस दोनों देशों को बातचीत के लिए प्रोत्साहित करेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यह स्ट्राइक तीव्र बहस का विषय बनेगी। भारत इसे आत्मरक्षा और आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के रूप में पेश करेगा। पाकिस्तान, दूसरी ओर, इसे संप्रभुता का उल्लंघन बताकर भारत के खिलाफ प्रतिबंधों की मांग करेगा। स्थायी सदस्यों अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस के परस्पर विरोधी हितों के कारण कोई ठोस प्रस्ताव पारित होना मुश्किल होगा। इस्लामिक सहयोग संगठन ओआईसी में पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को उठाकर समर्थन जुटाने की कोशिश करेगा, लेकिन भारत की सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों के साथ मजबूत कूटनीति इसे कमजोर कर सकती है। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन सार्क इस स्ट्राइक के बाद और कमजोर होगा। पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा और सार्क देशों के माध्यम से यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह स्ट्राइक क्षेत्रीय सहयोग को पूरी तरह ठप कर सकती है, क्योंकि बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देश तटस्थ रहने की कोशिश करेंगे। अफगानिस्तान, जो पहले से ही अस्थिर है, इस तनाव से और प्रभावित हो सकता है, क्योंकि पाकिस्तान समर्थित तालिबान भारत के खिलाफ गतिविधियां बढ़ा सकता है।
पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था पर इस स्ट्राइक का विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। भारत द्वारा आईएमएफ से पाकिस्तान को मिलने वाले 7 बिलियन डॉलर के ऋण की समीक्षा की मांग करने से स्थिति और बिगड़ सकती है। हवाई क्षेत्र बंद होने से पाकिस्तान को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के लिए लंबे हवाई मार्ग अपनाने पड़ रहे हैं, जिससे उसकी एयरलाइंस को भारी नुकसान हो रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार और हवाई संपर्क बंद होने से वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएं प्रभावित होंगी। इस स्ट्राइक से आतंकवादी समूहों की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। इससे वैश्विक आतंकवाद विरोधी सहयोग पर दबाव बढ़ेगा, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देश भारत के साथ सहयोग को और मजबूत करेंगे। पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली ने हाल ही में भारत को परमाणु हमले की धमकी दी थी। यदि तनाव अनियंत्रित होता है, तो परमाणु हथियारों का खतरा बना रहेगा।
यह स्ट्राइक भारत की उभरती वैश्विक शक्ति की छवि को मज़बूत करेगी और आर्थिक रूप से, यह पाकिस्तान को गहरे संकट में धकेल सकता है। भारत को भी सीमित नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत को अपनी कार्रवाइयों को आत्मरक्षा के रूप में वैध ठहराने के लिए मजबूत कूटनीति की आवश्यकता होगी। ताकि वह वैश्विक समर्थन बनाए रख सके और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित कर सके।

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लेखक राजनीति विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

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