भारतीय कूटनीतिक पहल पर चीन की निगरानी
करीब 15 माह तक दिल्ली स्थित चीनी दूतावास में राजदूत का पद ख़ाली रहा। 31 मई, 2024 को राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने जू. फेइहोंग को भारत में नया राजदूत नियुक्त किया। बताते हैं कि नई नियुक्ति के फौरन बाद आदेश आया कि चीनी प्रभाव वाले जिन देशों के शासन प्रमुखों को प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे शपथ समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है, उन्हें मॉनिटर करो, और पूरी रिपोर्ट चीनी विदेश मंत्रालय को भेजो। अफग़ानिस्तान और रोमानिया में राजदूत रहे जू. फेइहोंग के लिए बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना, सेशेल्स के उप-राष्ट्रपति अहमद अफीफ, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज़्ज़ू, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहाल ‘प्रचंड’ और भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे को एक साथ मॉनिटर करना कोई आसान टास्क नहीं था।
इन सबमें चीन की सबसे अधिक दिलचस्पी मोहम्मद मुइज़्ज़ू में थी। एक संदेहास्पद अतिथि। राष्ट्रपति भवन में पीएम मोदी से मुइज़्ज़ू के बगलगीर होने से सबने मतलब निकाल लिया कि मालदीव से रिश्तों के अच्छे दिन बस आने ही वाले हैं। मई महीने में मालदीव के विदेशमंत्री मूसा जमीर ने भारत का दौरा किया था। तब भारत ने घोषणा की थी कि वह मालदीव को ट्रेजरी बिल के रूप में दिए जाने वाले 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण की परिपक्वता तिथि को एक और वर्ष बढ़ा देगा, ताकि माले को ऋण चुकाने के लिए और अधिक समय मिल सके।
लेकिन माले में खेल कुछ और चल रहा था। पब्लिक ब्रॉडकास्टर ‘पीएसएम’ के तीन पत्रकार मुइज़्ज़ू के साथ दिल्ली आये थे। मगर, मोदी की शपथ का लाइव कवरेज दिखाने पर तत्काल रोक का आदेश हुआ। बाद में ‘पीएसएम’ की उपप्रबंध निदेशक यामीन रशीद ने कहा, ‘हमने इसे लाइव करने का फैसला कभी नहीं किया। यह पूरी तरह से झूठी खबर है।’ तो फिर पत्रकार और कैमरा टीम किसलिए दिल्ली भेजे? इसका कोई जवाब नहीं है।
3 जून, 2024 को संसद की सुरक्षा सेवा समिति, जिसे ‘पार्लियामेंट 242 कमेटी’ भी कहते हैं, की पहली बैठक हुई, जिसके 13 सदस्यों ने अहमद सलीम को चेयरमैन चुना। अगले दिन इसकी दूसरी बैठक के बारे में खबर आई कि भारत से हुए चार समझौतों की जांच समिति करेगी, जिनमें भारत और मालदीव के बीच हाइड्रोग्राफी समझौता, भारतीय सहायता से बनाया जा रहा उथुरु थिलाफल्हू (यूटीएफ) डॉकयार्ड, साथ ही मानवीय खोज और बचाव कार्यों के लिए मालदीव रक्षा बलों को भारत द्वारा उपहार में दिया गया डोर्नियर विमान शामिल हैं। मुइज़्ज़ू इसके पांच दिन बाद दिल्ली पधारे थे। इस जांच की मांग मुइज़्ज़ू के प्यादे सांसद अहमद अज़ान ने की थी। वह ‘इंडिया आउट अभियान’ का सदस्य रहा है, और एक पोर्टल भी चलाता है। मुइज़्ज़ू एक विमुख व्यवहार वाले नेता हैं, जिन पर भरोसा करना कूटनीतिक भूल होगी।
मुइज्ज़ू सोमवार को दिल्ली से माले लौटे, यात्रा को सकारात्मक बताया। लेकिन उसके अगले दिन ‘चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस’ के उपाध्यक्ष मिस्टर बैटर तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर माले आ चुके थे। माले इस समय साज़िशों का अधिकेंद्र बना हुआ है, इस बात को साऊथ ब्लॉक जितनी जल्दी समझ ले, वह भारत के हित में बेहतर होगा। मालदीव-भारत संबंधों को दुरुस्त करने की राह में जितने सारे कांटे हैं, उनमें मुक्त व्यापार समझौता भी है। नवंबर 2017 में मालदीव की संसद ने चीन-मालदीव मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मंजूरी दे दी, जिससे यह पाकिस्तान के बाद दक्षिण एशिया में चीन के साथ ऐसा समझौता करने वाला दूसरा देश बन गया। इसे ठीक से समझना चाहिए कि चीन-पाक का साझा खेल मुइज़्ज़ू के सत्ता में आने के पहले से चल रहा था।
नेपाल, चीन की वन बेल्ट वन रोड इनिशिएटिव (ओबीओआर) को कार्यान्वित नहीं कर रहा है। 12 मई, 2017 को नेपाल और चीन ने वन बेल्ट वन रोड समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे बाद में ‘बीआरआई’ या ‘ओबीओआर’ के नाम से जाना गया। यह चीनी राष्ट्रपति शी की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे हर तीन साल पर नवीनीकरण करने पर सहमति बनी थी। अब, जब ओबीओआर कार्यान्वयन योजना पर हस्ताक्षर ही नहीं हुए, नवीनीकरण तो दूर की कौड़ी है। नेपाल में इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है, जिस वजह से ऊर्जा से लेकर अधोसंरचना तक की कई परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। प्रचंड की दिल्ली यात्रा पर चीनी नज़र इसलिए थी कि ओबीओआर में कोई पेंच फंसाने की कोशिश न हो रही हो।
27 मार्च, 2024 को चीनी राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने ‘ग्रेट हॉल ऑफ द पीपुल’ में श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्द्धने से मुलाकात की। चीन हर हाल में श्रीलंका को अपने प्रभामंडल में बनाये रखना चाहता है। वजह सामरिक है। 2019 और 2023 के बीच 48 चीनी वैज्ञानिक अनुसंधान जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रिय देखे गए थे, जिनमें से ज्यादातर बंगाल की खाड़ी, फारस की खाड़ी और अरब सागर के आसपास तैनात हैं। राडार मॉनिटरिंग उपकरणों से लैस चीनी जहाज भारत पर किस तरह से निगाहें रख रहे हैं, वह चिंता की बात है। हंबनटोटा बहुत पहले से चीनी क़ब्ज़े में है, अब नया यह हुआ कि चीनी मेरीटाइम रिसर्च वेसल ‘शी यान-6’ को भी पिछले नौ माह से श्रीलंकाई शोध संस्थान ‘नारा’ से सहयोग के नाम पर कोलंबो बंदरगाह पर टिका दिया गया।
चीनी चिंता यह है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के दिल्ली आगमन पर कोई बड़ा खेल न हुआ हो। श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव 17 सितंबर से 16 अक्तूबर, 2024 के बीच होने वाले हैं। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे फिर से चुनाव लड़ेंगे। उनकी दिल्ली यात्रा इसके दरपेश भी रही होगी, इस संभावना से कोई कैसे इनकार करे?
चुनाव बाद बांग्लादेश ‘ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर’ की विदेश नीति पर अग्रसर है। शेख़ हसीना को ध्यान से देखा जाए तो दिल्ली शपथ यात्रा में उनका विपक्ष की नेता सोनिया गांधी से मिलना कुछ अलग नैरेटिव गढ़ता है, जो संभवतः बाक़ी छह अतिथियों ने नहीं किया।
वर्ष 2023 में भूटानी विदेशमंत्री टांडी दोरजी ने चीनी विदेशमंत्री वांग यी और चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की, जहां दोनों पक्षों ने सीमा विवाद को सुलझाने और कूटनीतिक संबंध विकसित करने की आशा व्यक्त की थी। चीन की सांसें इस वजह से अटकी रहती हैं कि दिल्ली कोई खेल न कर दे। भारतीय सेना और सेशेल्स रक्षा बलों के बीच 18-27 मार्च, 2024 को संयुक्त अभ्यास हुआ था। क्या भारत सेशेल्स में नये सिरे से नौसैनिक अड्डे फिर से पाने का प्रयास करेगा? चीन इसलिए सेशेल्स के उप-राष्ट्रपति अहमद अफीफ के दिल्ली आगमन पर नज़रें गड़ाए हुए था।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।