बुलंद इरादों के साथ सनी का कमबैक
फिल्मी दुनिया में सनी देओल का स्टारडम हमेशा कायम रहा। कई बड़े हीरो को सनी की फिल्में चुनौती देती रही हैं। ‘दामिनी’, ‘घातक’, ‘बॉर्डर’ आदि में उनकी परफॉर्मेंस इसकी मिसाल है। हाल में उन्होंने ‘गदर-2’ और ‘जाट’ के ज़रिए भी यह साबित किया। अब वे ‘लाहौर 1947’ समेत कई फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त हैं।
असीम चक्रवर्ती
बॉलीवुड में पहली बार हो रहा है, जब एक 67 साल के हीरो ने फिल्म जगत में डंका पीट दिया है। ये वही सनी देओल हैं, जो कभी एक साथ कई फिल्में करने के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ देते थे। मगर आज वे आधा दर्जन से ज्यादा फिल्मों में व्यस्त हैं। उनके एक स्टाफ का कहना है कि उन्होंने अपनी कार्यशैली में बड़ा परिवर्तन किया है। उनका इरादा हर फिल्म छह माह में पूरा करने का है। वहीं हर फिल्म अपनी शर्तों पर कर रहे हैं।
अपनी शर्तें, अपनी फिल्में
सनी के ताज़ा कैरियर पर एक नज़र डालें तो इसकी शुरुआत उनकी फिल्म ‘लाहौर 1947’ से करना ज़रूरी है। इस फिल्म का सेटअप व सब्जेक्ट चर्चा में हैं जो असगर वजाहत की किताब ‘जिस लाहौर नइ देख्या’ पर आधारित है। इसमें सालों बाद वे फिल्मकार राजकुमार संतोषी के साथ फिर काम कर रहे हैं जिसका क्रेडिट इसके निर्माता और अभिनेता आमिर खान को जाता है। यह मेगा बजट फिल्म करीब डेढ़ साल में पूरी होकर संभवतः अगस्त में रिलीज़ होगी। इसके अलावा ‘जाट’ की ताज़ा सफलता के बाद इसकी फ्रेंचाइज़ी ‘जाट-2’ की शूटिंग इसी साल के अंत में शुरू कर देंगे। ‘बॉर्डर-2’, ‘रामायण’ की शूटिंग पूरी रफ़्तार से चल रही है। अनिल शर्मा की अगली फिल्म भी उन्होंने हाल ही में साइन की है। वहीं ओटीटी की एक वेब सीरीज़ भी वह करेंगे।
स्टारडम कभी नहीं छोड़ा
सनी देओल का स्टारडम हमेशा ही कायम था। सिर्फ खान ही नहीं, कई बड़े हीरो को सनी की फिल्में कई मौकों पर चुनौती देती रही हैं। ‘अर्जुन’, ‘डकैत’, ‘यतीम’, ‘वर्दी’, ‘त्रिदेव’, ‘चालबाज़’, ‘दामिनी’, ‘डर’, ‘घातक’, ‘बॉर्डर’, ‘इंडियन’ आदि कई फिल्मों में उनकी परफॉर्मेंस इसकी मिसाल है। अब उन्होंने ‘गदर-2’ और ‘जाट’ के ज़रिए जता दिया कि इस उम्र में भी वे कमाल कर सकते हैं।
ज़्यादातर ट्रेड विश्लेषक मानते हैं कि 2001 की फिल्म ‘गदर- एक प्रेमकथा’ के बाद यदि उन्होंने अपने स्टारडम की लगाम ठीक से पकड़ी होती, तो उनके स्टारडम का अपना अलग ट्रैक होता। इसके बाद भी दो-तीन बार उन्हें ऐसे मौके मिलते रहे। मगर अब उनकी फिल्मी सक्रियता अचानक रफ़्तार पा चुकी हैं।
कैरियर की रेनोवेशन
सनी ने अपने काम करने की शैली को बहुत बदला। उनके करीबी मानते हैं कि राजनीति में आने की वजह से उनका फिल्म कैरियर काफी प्रभावित हुआ। अब उन्होंने अपनी नियमित कार्यशैली में बड़ा परिवर्तन किया है। हर फिल्म एक तय समय में पूरा करने का मन बना चुके हैं। टाइम मैनेज करना उन्हें बख़ूबी आता है।
खुश हैं निर्माता-निर्देशक
सनी देओल की 22 साल पहले रिलीज़ फिल्म ‘गदर- एक प्रेमकथा’ की सफलता को याद करना प्रासंगिक है। तब इसी फिल्म के साथ आई आमिर की ‘लगान’ भी बड़ी हिट थी।
मगर आज ‘लगान’ की रिपीट वैल्यू उतनी नहीं। जबकि इसके बाद आई ‘गदर-2’ ने अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिये। बता दें कि आमिर और सनी अच्छे मित्र हैं। यही वजह थी कि आमिर ने उन्हें लेकर मेगा बजट फिल्म ‘लाहौर 1947’ को निर्धारित समय में बना डाला। इसके निर्देशक राजकुमार संतोषी बताते हैं, ‘वह आम आदमी का हीरो है। फिल्म ‘घायल’ से ही मैंने यह समझ लिया था। इतने साल बाद उसकी मास अपील कायम है’। वहीं ‘गदर’ के बाद ‘गदर-2’ जैसी बड़ी फिल्म बना चुके अनिल शर्मा मानते हैं कि ‘उसकी स्क्रीन प्रेज़ेंटेशन बहुत प्रभावित करती है। जिसके चलते ‘गदर-2’, ‘गदर’ से भी बड़ी हिट बनी। वह अकेले दम बॉक्स ऑफिस में अपना डंका पीट सकता है।’
पिता-पुत्र की अनोखी जोड़ी
अपने पिता धर्मेंद्र के साथ सनी के स्नेहपूर्ण रिश्तों को इंडस्ट्री में एक मिसाल माना जाता है। धरमजी के अस्वस्थ होने की ज़रा-सी खबर पाते ही सनी झट पिता के पास पहुंच जाते हैं। बता दें कि धर्मेंद्र घर में ही ज़्यादा रह रहे हैं।
इसलिए हालचाल पूछने के लिए सनी उनके पास पहुंच जाते हैं। दूसरी ओर अब अपने स्टारडम की लगाम को उन्होंने अच्छी तरह से थाम लिया है, मगर वह कभी स्टारडम के पीछे नहीं भागे। वरना ‘घायल’ के बाद ही वह उम्दा हीरो के तौर पर स्थापित हो चुके थे। अब वह पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी हर फिल्म को पूरा कर रहे हैं। उनके इस नए रूप से उनके प्रशंसकों को भी काफी उम्मीदें हैं।