बर्ड वुमैन ऑफ इंडिया
वह हमेशा पक्षियों को निहारती रहती थी। एक दिन उसका विवाह हुआ और एक प्यारी-सी बिटिया भी हुई। ससुराल की परेशानियों से तंग आकर, वह अपनी बेटी के साथ अपने चचेरे भाई के पास चली गई, जो वन विभाग में अधिकारी था। वहां रांची और पलामू के आसपास के जंगलों में मां-बेटी को अनगिनत पक्षियों की चहचहाहट और उड़ान के अद्भुत दृश्य देखने का मौका मिला।धीरे-धीरे उसकी मुलाकात एक अंग्रेज अधिकारी की पत्नी से हुई, जो वहां रहती थी। उस महिला ने उसे प्रेरित किया और कहा, ‘तुम हमेशा पक्षियों को देखती रहती हो, क्यों न इसे कहीं दर्ज किया जाए? लिखने से तुम्हारी अंग्रेजी भी बेहतर हो जाएगी।’ इस प्रेरणा से, उसने 21 साल की उम्र में पक्षियों के बारे में लिखना शुरू किया। उसकी लिखी सामग्री एक दिन देश की प्रसिद्ध पर्यावरण पत्रिका में प्रकाशित हुई। जब उसने अपने नाम के साथ ‘पक्षी प्रेमी’ पढ़ा, तो वह अत्यधिक भाव-विभोर हो गई। 1949 में उसने नियमित रूप से लिखना शुरू किया और अब तक 60 से अधिक शोध पत्र लिखे। उसकी यही विशेषता उसे अमेरिका और अन्य देशों तक ले गई। उसने बच्चों के लिए एक गाइड ‘वॉचिंग बर्ड्स’ भी लिखी। जब वह रेडियो पर पक्षियों के बारे में बोलती थी, तो लोग मंत्रमुग्ध होकर उसे सुनते थे। उसने पक्षियों की बारीक विशेषताएं सभी को बताईं। प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने उसे ‘बर्ड वुमैन ऑफ इंडिया’ का खिताब दिया। वह थीं जमाल आरा।
प्रस्तुति : रेनू सैनी