बढ़ती गर्मी में कैसे सम्भालें अपनी सेहत
गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने से पाचन, डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। इसके साथ ही अचानक बारिश से सर्दी-जुकाम और एलर्जी का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में उचित खानपान, स्वच्छता और सावधानियों से ही सेहतमंद रहना संभव है।
डॉ. एके अरुण
गर्मी में पाचन से जुड़ी समस्याएं ज़्यादा होती हैं और किसी भी तरह के इंफ़ेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए गर्मी के दिनों में आपको अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। अक्सर गर्मी गंभीर और संभावित रूप से घातक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन जाती है। जैसे हीट स्ट्रेस, हीट एंजाइटी, हीटस्ट्रोक, दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी अचानक घटनाओं को ट्रिगर करना या किडनी या फेफड़ों की बीमारी जैसी मौजूदा चिकित्सा स्थितियों को और खराब कर देना। बढ़ती गर्मी में सेहत का ख्याल रखने के लिए आप ये निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं :-
कम खाएं, लेकिन अच्छा खाएं
छाछ, लस्सी, पनीर, गाय का दूध, नारियल पानी, आम का पन्ना, फ़ालसे का शरबत, गुलाब का शर्बत और खाने में खीरा, ककड़ी, ख़रबूज़े, कच्चे नारियल, कच्चे भिगोए मूंग, चने, उबाले मूंगफली के दाने लें।
खूब पानी पिएं
दोपहर के समय जब सूरज सबसे ज़्यादा तेज़ हो बाहर जाने से बचें। घर के अंदर ठंडा और आरामदायक वातावरण बनाए रखें। गर्मी में सिरदर्द होने पर ठंडा पानी पिएं या ठंडे पानी से नहाएं।
मसालेदार तली हुई चीज़ें न खाएं
तेल और मिर्च-मसालों का इस्तेमाल कम करें। (ध्यान रहे, बाज़ार के कोल्ड ड्रिंक्स का समर्थन नहीं कर रहा)।
तेज गर्मी के बाद अचानक बारिश और आपकी सेहत
तेज गर्मी के बाद अचानक बारिश का मौसम आपके शरीर पर कई तरह से असर डाल सकता है। गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है, जबकि बारिश के बाद मौसम बदलने से सर्दी, जुकाम और एलर्जी हो सकती है। इन दोनों मौसमों में खुद को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान दें :-
गर्मी में हाइड्रेटेड रहें
खूब पानी पिएं, तरबूज, खीरा और नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ भी खाएं।
खुले में कम समय बिताएं
धूप से बचें, छायादार जगह में रहें और अगर बाहर जाना हो तो हल्के कपड़े पहनें।
लाइट कपड़े पहनें
हल्के रंग के, सूती कपड़े पहनें जो आपको ठंडा रखें।
बारिश में स्वच्छता का रखें ध्यान
बारिश के बाद अपने शरीर को सूखा रखें और खुले घावों का विशेष ध्यान रखें।
डिहाइड्रेशन से बचें
बारिश के मौसम में भी शरीर को हाइड्रेटेड रखना जरूरी है क्योंकि बारिश में भी पानी की कमी हो सकती है।
तनाव से रहें दूर
बारिश के मौसम में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, इसलिए तनाव से दूर रहें और तनाव कम करने के लिए योग या ध्यान करें।
सही डाइट लें
एक संतुलित और पौष्टिक आहार लें, जिसमें फल, सब्जियां और प्रोटीन शामिल हों।
पूरी नींद लें
हर मौसम में पर्याप्त नींद लेना महत्वपूर्ण है।
मौसम के हिसाब से कपड़े पहनें
बदलते मौसम में कपड़े पहनने की आदत डालें, जैसे कि सुबह-शाम के लिए फुल स्लीव्स और दिन के लिए हल्के कपड़े।
स्वच्छता का रखें ध्यान
अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं और अपने घर को साफ रखें। यदि आपकी कोई भी स्वास्थ्य समस्या पहले से है, खासकर यदि आपको कोई पुरानी बीमारी है या अगर आपको कोई भी असामान्य लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।
अपने स्वास्थ्य को लेकर आप कितने गंभीर
- भारत के लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत कम जागरूक हैं! यहां का नागरिक औसतन अपने स्वास्थ्य पर साल भर में केवल 13950 रुपये ही खर्च करता है जबकि अमेरिका में यही आंकड़ा 1.42 लाख रुपये, फ्रांस में 64 हज़ार रुपये, ब्रिटेन में 72 हज़ार रुपये, कनाडा में 1 लाख 20 हज़ार रुपये और चीन में 26 हज़ार रुपये है।
- स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतने का ही नतीज़ा हैं कि आज भारत में हर 100 में से 12 लोगों को डायबिटीज, साढ़े चार करोड़ लोगों को हृदय से जुड़ी बीमारियां, 2 करोड़ लोगों को अस्थमा और करीब 3 करोड़ लोग मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार अगले दो वर्षों में यहां की 25 फीसद युवा आबादी किसी न किसी बीमारी की चपेट में होगी !
- यहां के लोग व्यायाम को भी ज़्यादा महत्त्व नहीं देते हैं। एक सर्वे के मुताबिक भारत में 36 प्रतिशत लोग ही प्रतिदिन व्यायाम करते हैं। यही नहीं, आज देश में 74 प्रतिशत लोग तनाव और 88 प्रतिशत लोग बेचैनी के शिकार हैं। बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी की वजह से तनाव और अवसाद बढ़ रहा है और इन सब की वजह से युवा बड़े पैमाने पर घातक रोगों के शिकार हो रहे हैं! इस दौर में महंगे इलाज और महंगी दवाएं आग में घी का काम कर रही हैं! यदि समय रहते समुचित क़दम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में बीमार व विक्षिप्त युवाओं को सम्भालना आसान नहीं होगा !
- सुझाव : 1. एलोपैथी के हानिकारक दवाओं से बचें! 2. प्राकृतिक जीवन शैली को अपनायें। 3. बीमारी की स्थिति में यदि दवा ज़रूरी हो तो होमियोपैथी को अपनायें। 4. यथासंभव सादा भोजन करें। 5. नियमित योग व व्यायाम करें।
(हील इनिशिएटिव)