बड़ी कूटनीतिक जीत
लगभग डेढ़ दशक के प्रयासों के बाद, देश को दहला देने वाले मुंबई आतंकी हमले के सूत्रधार रहे पाकिस्तानी मूल के तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण हमारी बड़ी कानूनी व कूटनीतिक जीत है। यह सफलता तब ही पूर्ण मानी जाएगी जब इस साजिश में बड़ी भूमिका निभाने वाले डेविड कोलमैन हेडली का भारत प्रत्यर्पण हो सकेगा। जिसने मुंबई हमले से पूर्व आतंकियों द्वारा निशाने पर लिए गए जगहों की कई बार रेकी करके आतंकी सरगनाओं की मदद की थी। निश्चय की तहव्वुर राणा का भारत लाया जाना इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जांच के बाद मुंबई आतंकी हमले में पाकिस्तान सरकार तथा आईएसआई की भूमिका व पाक स्थित आतंकी संगठनों के खतरनाक मंसूबों का खुलासा हो सकेगा। सही मायनों में यह हमारी खुफिया एजेंसियों की भी कठिन परीक्षा होगी कि इस साजिश की तह तक कैसे पहुंचा जाए। भारतीय खुफिया एजेंसियां से यदि इस बड़ी साजिश की कड़ियां सही तरह से जोड़ पायी तो आतंकवाद की उर्वरा भूमि बने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब किया जा सकेगा। यही वजह है कि 26/11 के दहला देने वाले मुंबई हमले के सूत्रधार तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पण करने के रास्ते अवरोध खड़े करने में प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर पाक समर्थकों द्वारा कोशिशें की गई। वे सारे कानूनी उपाय अपनाए गए जो राणा का प्रत्यर्पण रोक सकते थे। बहरहाल, इस प्रत्यर्पण से उन शहीदों के परिजनों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है, जिनकी इस आतंकी हमले में मृत्यु हुई थी। अब तक उनके परिजनों को इस बात का मलाल था कि सोलह साल बाद भी सभी अपराधियों को सजा नहीं मिली सकी है। साथ ही राणा की पूछताछ से होने वाले खुलासों से आतंकवाद की पाठशाला बने पाकिस्तान को अलग-थलग करने के प्रयासों को भी बल मिलेगा। निश्चित रूप से तहव्वुर राणा के खिलाफ भारतीय कानून व न्याय व्यवस्था के मानकों के अनुरूप ही कार्रवाई होगी। साथ ही अजमल कसाब की तरह उसकी अपनी बात कहने को कानूनी मदद भी दी जाएगी।
हालांकि, अब तक पाकिस्तान मुंबई आतंकी हमले में अपना हाथ होने से लगातार इनकार करता रहा है, लेकिन सभी प्राथमिक सूचनाएं और ठोस सबूत पाक की तरफ इशारा करते रहे हैं। वहीं दूसरी ओर वह अपनी धरती पर कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के बड़े गुर्गों को संरक्षण देकर उनका बचाव करता रहा है। ऐसे में हमारी जांच एजेंसियों के अधिकारी तहव्वुर राणा से सख्त पूछताछ से सच्चाई सामने लाने में सक्षम हो सकते हैं। साथ ही ठोस निष्कर्षों के आधार पर पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है कि वह अपनी जमीन आतंकवादियों को पालने-पोसने में इस्तेमाल न होने दे। इसके अलावा आतंकी संगठनों पर पर्याप्त दबाव बनाए, ताकि फिर मानवता के खिलाफ मुबई हमले जैसे घटनाक्रम न दोहराए जा सकें। बहरहाल, तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण पाकिस्तान तथा दूसरे देशों में भारत विरोधी गतिविधियां चला रहे लोगों व संगठनों के लिये साफ संदेश गया है कि इंसानियत के दुश्मन दुनिया के किसी भी कोने में कानून की ओट में बच नहीं सकते। साथ ही पाकिस्तान को आईना दिखा दिया गया है जो तहव्वुर राणा को कनाडा का नागरिक बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा था। निश्चित रूप से इस सफलता में भारत के राजनीतिक व कूटनीतिक प्रयासों की भी बड़ी भूमिका रही है। भारतीय अधिकारियों ने इस दिन के लिये कड़ी मेहनत की। हालांकि, अभी इस रहस्य से पर्दा उठना बाकी है कि अमेरिका ने क्यों अपने नागरिक डेविड कोलमैन हेडली को भारत को सौंपने से परहेज किया। जबकि उसने इस बड़े अपराध में बड़ी भूमिका निभाई थी। हेडली व राणा आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकी संगठनों व पाक खुफिया एजेंसियों के संपर्क में लगातार बने रहे थे। बहरहाल, उम्मीद की जानी चाहिए की तहव्वुर राणा से कड़ी पूछताछ के बाद भारतीय एजेंसियां मुंबई हमले में इस्लामाबाद की भूमिका, पाक सत्ता प्रतिष्ठानों की करतूतों,आईएसआई के नेटवर्क व आतंकी संगठनों को दी जाने वाली आर्थिक मदद की हकीकत देश-दुनिया के सामने ला सकेंगी।