फैशन संग मौसम का भी रखें ख्याल
जूते खरीदते समय हमारा ध्यान आम तौर पर फैशन व आकर्षण पर ही रहता है जबकि मौसम के प्रति अनुकूलता व सुविधा की जांच प्राथमिकता होनी चाहिये। खासकर गर्मी के सीजन में शूज टाइट न खरीदें। कम हील की आरामदायक सैंडल पहनें, जिसमें कुशन हो। पहनकर व चलकर जांच लें कि फिट है या नहीं।
प्रतिमा अरोड़ा
गर्मी में हम जूते से आ रही बदबू से बहुत परेशान होते हैं। ऐसे में आवश्यक है कि जूता खरीदते समय मौसम का ख्याल रखें। लेकिन इसके उलट हम अकसर जूते खरीदते समय फैशन पर ही केंद्रित रहते हैं। जबकि समझदारी यह है कि पांव की सेहत के लिए मौसम के अनुसार जूते चुनें। विशेषज्ञों की मानें तो जूते अगर मौसम अनुकूल न चुनें जाएं तो इससे हमारे पांव को खासी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। पांव में बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं जिससे बदबू होती है। और भी कई समस्याएं पैदा हो सकती है जो हमारे पांव के आकर्षण के साथ-साथ नाखूनों को क्षति पहुंचा सकती हैं। जानिये मौसम अनुकूल जूता खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें-
पहनकर दुकान में चलकर जांचें शूज़
खरीदते समय ध्यान रखें कि जूते की एड़ी ज्यादा ऊंची न हो। वहीं शूज टाइट न खरीदें, इससे पैर में हवा जाने की जगह नहीं बचती। खुले पंजेवाली, कम हील की सैंडल पहनें, जिसमें थोड़ा कुशन हो और जो पैरों को आराम दे। कोई भी सैंडल या जूता केवल आकर्षक लगने के कारण न खरीदें, उसे पहनकर दुकान में चलकर जांच लें कि आरामदायक है या नहीं। जो जूता या सैंडल आपको चुभता है, तो कदापि न खरीदें। अपने साइज से ज्यादा बड़ा जूता न खरीदें। इन दिनों जूते संतुलित होना बहुत जरूरी है। जूते की बनावट में अगर कोई गड़बड़ी है, उसे न खरीदें। डिजाइन की अनदेखी न करें; लेकिन हवा पास होने की जगह पर भी ध्यान दें। बेहतर है कि सैंडल खरीदें। जूते या सैंडल केवल बनावट के आधार पर ही नहीं, पैरों की देखभाल व आकर्षण दोनों को नजर में रखते हुए खरीदने चाहिए। अलग-अलग माहौल के लिए अलग-अलग तरह के जूते लें। वहीं एक ही जुराब बार-बार न पहनें। आज के फैशन के युग में सीधा-सपाट जूता नहीं बिकता। उसमें जहां तरह-तरह का नयापन, खुरदरापन होता है, वहीं नयी सजावटी और सहायक सामग्री से उसे सजाया जाता है। इसलिए ध्यान रखें कि हवा पास होने की पर्याप्त जगह हो।
फिटिंग तथा तापमान की भूमिका
कई बार सामान्य व्यक्ति जूतों को खरीदते समय केवल आवरण को देखता है। साज-सज्जा को देखता है। ज्यादा हुआ, तो पैरों में डाल कर 10-20 कदम चल लेता है। बारीकी से जांच व अनुभव नहीं किया जाता है कि इन जूतों में पैर, पैरों की उंगलियां लगातार 8-10 घंटे तक किस तरह सुखी और स्वस्थ रहेंगी। ऐसे में सही फिटिंग तथा तापमान की महत्वपूर्ण भूमिका है। तापक्रम का पर्याप्त बहाव इस पर निर्भर करता है कि वातावरण किस प्रकार का है और जूते के भीतर खाली स्थान कितना है। जूते के भीतर का तापमान व्यक्ति के चलने-फिरने की क्रियाओं तथा अन्य भौतिक कारणों से तय होता है। यानी पंजे की सतह जूते की सतह तक कितनी जुड़ी रहती है और जूते का तलुवा जमीन पर कितना और कब तक टिका रहता है। पंजे का घर्षण कितना होता है। पंजे के सोल द्वारा मोजे पर पड़ने वाला दबाव भी तापमान वृद्धि का एक कारण है।
ऐसे में इनसोल की लाइनिंग मेटीरियल पर मुख्य रूप से ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह पैर के भाग और ताप का वितरण करता है। अतः इनसोल को बनाते समय काफी सावधानी बरतनी चाहिए।
फैशन की भी न हो अनदेखी
जाहिर है जूता खरीदते समय पांव की अनदेखी करना सही नहीं। लेकिन जरूरी यह भी है कि फैशन अप टू डेट हो। अतः ऊंची हील की पूरी तरह अनदेखी करना समझदारी नहीं। पार्टी में जाना हो तो ऊंची एड़ी को ही तवज्जो दें। लेकिन ध्यान रखें कि पैर में छाले न पड़ें और हवा पास हो सके। इससे पैर सुंदर दिखते हैं व हेल्दी भी रहते हैं। ऊंची एड़ी की सपोर्ट के लिए अनेक चीजें हैं जो विभिन्न रंगों और आकारों में हैं। बता दें कि प्लास्टिक या बेकेलाइट की हील मजबूत तो होती है, किंतु चलने पर आवाज करती है। अतः हील के नीचे रबड़, पीवीसी की एक अतिरिक्त हीलपैड चिपका दी जाती है। विभिन्न रंगों में बनी चमकदार हील के नीचे काले रंग की पेंसिल हील बहुत सुंदर प्रतीत होती है। यह समय-समय पर बदली जा सकती है। इसके अतिरिक्त हड्डियों की सुरक्षा के लिए तरह-तरह के मुलायम इनसोल का प्रयोग किया जाता है। इसे इन्सर्ट भी कहा जाता है। -इ.रि.सें.