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फ़लक को जिद बिजलियां गिराने की, उन्हें धुन है आशियां बनाने की

05:41 AM Jul 03, 2025 IST
फ़लक को जिद बिजलियां गिराने की  उन्हें धुन है आशियां बनाने की
सरकारी नौकरी पाने के बाद खुशी जताती गुरदीप कौर (बाएं)। -प्रेट्र
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इंदौर, 2 जुलाई (एजेंसी)
इधर फ़लक को है ज़िद बिजलियां गिराने की, उधर हमें भी है धुन आशियां बनाने की।
किसी शायर की ये पंक्तियां इंदौर की उस युवती पर सटीक बैठती हैं जो देख, सुन और बोल नहीं सकतीं, लेकिन अपनी मेहनत से सरकारी सेवा में नौकरी पाने का इतिहास रच दिया।
असल में ‘इंदौर की हेलन केलर’ के रूप में मशहूर 34 वर्षीय गुरदीप कौर वासु को ‘शारीरिक बाधाएं’ उन्हें सरकारी सेवा में आने का सपना देखने से नहीं रोक सकीं। गुरदीप का यह सपना सामाजिक, अकादमिक और सरकारी गलियारों से होकर गुजरे उनके लम्बे संघर्ष के बाद आखिरकार पूरा हो गया है। उन्हें प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग में नियुक्ति मिली है। सामाजिक न्याय कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह देश का पहला मामला है। अधिकारियों ने बताया, ‘गुरदीप पूरी लगन से काम सीख रही हैं। वह तय समय पर दफ्तर आती-जाती हैं।’ गुरदीप को वाणिज्य कर विभाग के दफ्तर में फाइलों की पंचिंग और लिफाफों में दस्तावेज डालकर उन्हें बंद करने का काम दिया गया है। फिलहाल वह विभाग के कर्मचारियों की मदद से यह काम सीख रही हैं।
गुरदीप की मां मनजीत कौर वासु ने भावुक होते हुए कहा, ‘गुरदीप मेरे परिवार की पहली सदस्य है जो सरकारी नौकरी में आई है। आजकल लोग मुझे गुरदीप की मम्मी के नाम से ज्यादा पहचानते हैं।’ उन्होंने बताया कि गुरदीप प्रसूति की तय तारीख से पहले पैदा हुई थीं और जटिल समस्याओं के चलते पांच महीने की उम्र तक किसी भी बात पर प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी जिसके बाद उन्हें पता चला कि वह बोल, सुन और देख नहीं सकती।
सामाजिक न्याय कार्यकर्ता ज्ञानेंद्र पुरोहित ने कहा, ‘यह देश में पहली बार हुआ है, जब बोल, सुन और देख नहीं सकने वाली कोई महिला सरकारी सेवा में आई है। यह समूचे दिव्यांग समुदाय के लिए ऐतिहासिक और प्रेरक पल है।’
इस सफलता पर एक शेर की पंक्ति सार्थक होती दिखती हैं, जो इस तरह से है, ‘बहुत ग़ुरूर है तुझ को ऐ सर-फिरे तूफ़ां, मुझे भी ज़िद है कि दरिया को पार करना है।’

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क्या मायने हैं हेलन केलर के

गुरदीप इंदौर की हेलन केलर के रूप में विख्यात हैं। हेलन एडम्स केलर एक दिव्यांग अमेरिकी लेखिका थीं जिन्होंने बोलने, देखने और सुनने में असमर्थ होने के बावजूद जानवरों से लेकर महात्मा गांधी तक पर लेख लिखे थे। वर्ष 1999 में टाइम मैगजीन ने केलर को बीसवीं सदी के सर्वाधिक सौ महत्वपूर्ण लोगों की सूची में शामिल किया था।

संकेतों की भाषा में करती हैं संवाद

सांकेतिक भाषा की जानकार एवं गुरदीप की शिक्षिका मोनिका पुरोहित ने बताया कि गुरदीप सामने वाले व्यक्ति के हाथों और उंगलियों को दबाकर उससे संकेतों की भाषा में संवाद करती हैं जिसे ‘टेक्टाइल साइन लैंग्वेज’ कहा जाता है। सरकारी नौकरी पाने की खुशी से दमकती 34 वर्षीय गुरदीप ने अपने दोनों हाथ फैलाते हुए संकेतों की जुबान में कहा, ‘मैं बहुत ज्यादा खुश हूं।’

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