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प्रौद्योगिकी को कमान सौंपी तो न्यायपालिका से विश्वास कमजोर होगा : सीजेआई

04:51 AM Jun 06, 2025 IST
प्रौद्योगिकी को कमान सौंपी तो न्यायपालिका से विश्वास कमजोर होगा   सीजेआई
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई
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बोले- तकनीक की दौड़ में, हमें मानवता को नहीं भूलना चाहिए

नयी दिल्ली, 5 जून (एजेंसी)
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने न्याय प्रणाली में प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता देने को लेकर आगाह करते हुए कहा कि इससे न्यायपालिका में लोगों का विश्वास खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में संतुलन बनाते हुए अदालतों को मानवीय दृष्टि नहीं खोनी चाहिए।

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प्रधान न्यायाधीश ने लंदन में ब्रिटिश इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड कम्पेरेटिव लॉ में ‘न्यायालय, वाणिज्य और कानून का शासन’ विषय पर मुख्य भाषण दिया। अपने संबोधन में, उन्होंने डिजिटल युग में वाणिज्य और ‘कानून के शासन’ की अवधारणा को संतुलित करने में न्यायपालिका की भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि अदालतों को वाणिज्यिक व्यावहारिकता के साथ इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होने की आवश्यकता है।
उन्होंने पूर्व प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के एक कथन को उद्धृत करते हुए कहा, ‘प्रौद्योगिकी को सभी के लिए न्याय का साधन बनाना चाहिए।’ जस्टिस गवई ने कहा, ‘जिस क्षण हम प्रौद्योगिकी को कानूनी प्रणाली में हावी होने देते हैं, हम अपने आप में जनता के विश्वास को खत्म करना शुरू कर देते हैं और इसके साथ ही कानून के शासन की बुनियाद भी कमजोर होने लगती है।’

उन्होंने कहा, ‘फिर भी तकनीक से समाकलन की इस दौड़ में, हमें अपनी मानवता को नहीं भूलना चाहिए। कानून का शासन एक अमूर्त अवधारणा के रूप में नहीं बल्कि वास्तविक समस्याओं का सामना कर रहे वास्तविक लोगों के लिए एक जीवंत वादे के रूप में मौजूद है।’ जस्टिस गवई ने कहा, ‘हमारे न्यायालयों के समक्ष आने वाला प्रत्येक मामला न्याय के लिए किसी की आशा और किसी के इस विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है कि प्रणाली निष्पक्ष और समान रूप से काम करेगी।’

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प्रधान न्यायाधीश ने दुनिया भर की अदालतों से विकसित हो रहे वाणिज्यिक और तकनीकी परिदृश्यों के बीच कानून के शासन को बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘डिजिटल युग में कानून के शासन के लिए न केवल हमारे ध्यान की आवश्यकता है, बल्कि वाणिज्यिक व्यावहारिकता द्वारा निर्देशित हमारी सक्रिय और विचारशील भागीदारी की भी जरूरत है।

यांत्रिक चमत्कार भुला सकती है असल मुद्दा

जस्टिस गवई ने उभरती प्रौद्योगिकियों और न्याय प्रणाली के भविष्य के मुद्दे पर बात की और कहा कि उस यांत्रिक चमत्कार से लोगों ने आज के स्मार्ट फोन, स्मार्ट कंप्यूटर और शायद इतिहास के सबसे स्मार्ट इंसानों की ओर बढ़ते देखा है। उन्होंने कहा, ‘आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां कंप्यूटर एल्गोरिदि्म हमारी दिनचर्या की चीजों को तेजी से आकार दे रहे हैं, चाहे वे विज्ञापन हों जिन्हें हम देखते हैं या फिर लोग हों जिन्हें हम काम पर रखते हैं। इन दिनों, यह भूलना आसान है कि न्याय के क्षेत्र में मानवीय दृष्टि अब भी बहुत मायने रखती है।’

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