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प्रेम की भाषा समझने से होंगे गहरे रिश्ते

04:00 AM Feb 24, 2025 IST
प्रेम की भाषा समझने से होंगे गहरे रिश्ते
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प्रेम एक अत्यधिक सुंदर और गहरी अनुभूति है, जो समय और उम्र की सीमाओं से परे होती है। यह तब और भी खास बनता है, जब दो लोग एक-दूसरे की प्रेम की भाषा को समझकर उसे दिल से अपनाते हैं।

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रेनू सैनी

प्रेम एक ऐसा खूबसूरत अहसास है जिसमें पड़कर व्यक्ति दुनिया का सबसे अच्छा समय बिताता है। यों तो प्रेम का मौसम चौबीस घंटे और पूरे वर्ष रहता है लेकिन वसंत ऋतु में प्रेम की फुलवारी हर जगह बिखरी नज़र आती है। प्रकृति को भी प्रेम पसंद है इसलिए तो बागों में फूल खिल जाते हैं, वृक्षों पर पक्षी कलरव करते नज़र आते हैं और पशु भी झूमने लगते हैं। प्रेम वास्तव में एक ऐसी अनुभूति है जो उम्र, समय कुछ नहीं देखती। प्रेम तो बस एक नज़र में हो जाता है, मगर वास्तविक आनंद तब है जब यह प्रेम जीवन भर बरकरार रहे। आजकल अधिकांश प्रेम, विवाह में परिवर्तित होते हैं। मगर कुछ समय बाद ही उनके संबंधों में खटास आने लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे प्रेम में तो होते हैं, मगर एक-दूसरे की प्रेम की भाषा से अनजान होते हैं।
आप यह सोचकर हैरान हो रहे होंगे कि भला प्रेम की भी कोई भाषा होती है? ठीक उसी तरह जिस तरह भाषा विज्ञान के क्षेत्र में कई प्रमुख भाषा समूह हैं : हिंदी, जापानी, चीनी, स्पेनिश, अंग्रेजी, ग्रीक, जर्मन, फ्रेंच, पुर्तगाली, उर्दू, संस्कृत आदि। जीवन में अधिकतर लोग उसी भाषा से परिचित होते हैं, जो उनके इर्द-गिर्द बोली जाती है। जिस परिवेश में वे पले-बढ़े होते हैं। अगर एक व्यक्ति हिंदी भाषी परिवेश में पला-बढ़ा है, हिन्दी भाषा से अच्छी तरह परिचित है और दूसरा जापानी भाषा से। इस स्थिति में वे दोनों व्यक्ति आपस में अपनी संवेदनाओं और भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाएंगे। वे आपस में जितनी भी बातचीत करेंगे, वे सब संकेतों के माध्यम से होंगी।
जब दो लोग एक-दूसरे की भाषा को समझते हैं तो वे भावनात्मक रूप से अधिक मजबूत हो जाते हैं। प्रेम में भी यही होता है। विवाह के बाद अक्सर प्रेम जताने का एक का माध्यम अलग होता है तो दूसरे का कुछ और। ऐसे में वे एक-दूसरे के भावों और प्रेम को नहीं समझ पाते और मामला झगड़ों से बढ़कर अलगाव की स्थिति में जा पहुंचता है। जो लोग एक-दूसरे की प्रेम की भाषा को अंगीकार कर लेते हैं उनका प्रेम सदियों तक मिसाल बन जाता है।
एडवर्ड अष्टम ड्यूक ऑफ यार्क के सबसे बड़े बच्चे थे। एडवर्ड वेल्स के राजकुमार बन गए। वर्ष 1920 के दशक में एडवर्ड ने ब्रिटेन के अभावग्रस्त क्षेत्रों में जाकर वहां के लोगों के बीच अत्यंत लोकप्रियता प्राप्त कर ली। उनके ज़मीन से जुड़े हुए स्वभाव के कारण आम जनता उनसे बहुत प्रभावित हुई। वर्ष 1936 में जॉर्ज पंचम की मृत्यु के बाद उन्हें राजा बना दिया गया। सभी उन्हें भविष्य के एक कुशल राजा के रूप में देख रहे थे। मगर तभी एडवर्ड की मुलाकात एक व्यवसायी की पत्नी वालिस सिंपसन से हो गई। कुछ ही मुलाकातों के बाद वे उनसे प्रेम करने लगे। जिस समय एडवर्ड और सिंपसन की मुलाकात हुई उस समय एडवर्ड 41 और सिंपसन 32 वर्ष की थी। सिंपसन एक सामान्य महिला थी। उनका दूसरा विवाह भी टूटने के कगार पर था। सिंपसन के ऐसे हालात देखकर सबने एडवर्ड को उनके साथ संबंध खत्म करने के लिए कहा। तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बैल्डविन, विपक्ष के नेता विंस्टन चर्चिल तथा चर्च के प्रधान ने उनसे साफ-साफ कह दिया कि यह विवाह नहीं हो सकता। सिंपसन किसी भी हालात में राजकुमार एडवर्ड की पत्नी नहीं बन सकती। मगर एडवर्ड नहीं माने।
आखिरकार एडवर्ड को विकल्प दिया गया कि वह चाहे तो सिंपसन से विवाह कर लें, लेकिन उनके बच्चों को सिंहासन का उत्तराधिकार नहीं मिलेगा। उन्हें सिंहासन और सिंपसन के साथ दांपत्य जीवन में से किसी एक को चुनने को कहा गया। सबको उम्मीद थी कि इस हालात में एडवर्ड सिंहासन को ही चुनेंगे। मगर एडवर्ड ने रेडियो पर यह घोषणा कर सबको दंग कर दिया कि, ‘मैं एडवर्ड अष्टम, अपने लिए तथा अपने वंशजों के लिए सिंहासन के परित्याग की घोषणा करता हूं। आप यकीन करें कि राजा के रूप में अपनी जिम्मेदारी के भारी बोझ अपने कर्तव्यों का निर्वाह, जो मैं करना चाहूंगा उस स्त्री की मदद और सहयोग के बिना मेरे लिए असंभव है, जिसे मैं प्यार करता हूं।’ इस घोषणा के तुरंत बाद उन्होंने इतिहास के उस पन्ने पर अपने स्वर्णिम हस्ताक्षर कर दिए, जिस पर दुनिया के महान प्रेमियों के नाम मौजूद हैं। उन्होंने जीवन भर सिंपसन के साथ एक अच्छा दांपत्य जीवन जिया ।
ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि सिंपसन एवं एडवर्ड एक-दूसरे के प्रेम की भाषा को दिल से अपना चुके थे । पियरे टीलहार्ड डे चार्डिन का कहना है कि, ‘प्रेम दुनिया की सबसे शक्तिशाली और सबसे अनजानी ऊर्जा है ।’ जब दो व्यक्तियों के मन में समर्पण, निष्ठा, ईमानदारी और जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न हो जाती है तो वहां प्रेम की जड़ें गहराई से जम जाती हैं। ये प्रेम की गहरी जड़ें आने वाली कई पीढ़ियों तक अपने निशान छोड़ जाती हैं। इसलिए कहते हैं कि सच्चा प्रेम अजर-अमर होता है। प्रेम नश्वर नहीं होता। यदि आप भी प्रेम में हैं तो उस की गहराई में डूबकर देखिए । एक-दूसरे की इच्छाओं, भावनाओं, संकेतों को पढ़ना सीखिए। ऐसा करके आप प्रेम की भाषा में पारंगत हो जाएंगे और अपने प्रेम को उम्र भर निभाएंगे।

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