प्रगति की राह
04:00 AM Apr 28, 2025 IST
Advertisement
प्रसिद्ध कोशकार डॉ. रघुवीर ने सदन में हिंदी की महत्ता पर बोलते हुए कहा, ‘संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है। हिंदी सरलतम भाषा है, हमें इसे प्रमुखता देनी चाहिए और अपनाना चाहिए।’ इस पर दक्षिण के एक सदस्य ने टिप्पणी की, ‘अंग्रेजी भी तो भाषा के नाते संस्कृत या हिंदी की बहन, यानी आपकी मौसी हुई। फिर आप उसके पीछे क्यों पड़े हैं?’ डॉ. रघुवीर ने उनके व्यंग्य का करारा जवाब देते हुए कहा, ‘हमारी देशी मौसी कभी भी हमारी प्रगति में बाधा नहीं बनती, परंतु यह विदेशी मौसी बड़ी बहन के मार्ग में अवश्य रुकावट डाल रही है।’ सदन ने इस चुटीले और करारे जवाब का भरपूर आनंद लिया।
Advertisement
प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी
Advertisement
Advertisement