प्रकृति का निहार उपचार भी
किसी वजह से शरीर में कहीं दर्द हो जाये तो आम तौर पर दवाएं दी जाती हैं। लेकिन अब वैज्ञानिक लोगों को दर्द से निपटने में मदद करने के लिए वैकल्पिक तरीके खोज रहे हैं। इनमें शामिल है कुदरती वातावरण में रहना। हालिया शोधों में सामने आया है कि प्रकृति को निहारने से तंत्रिका तंत्र की गतिविधि पर सीधा प्रभाव पड़ता है जिससे दर्द कम होता है। वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों की मस्तिष्क की प्रतिक्रिया जानने को स्कैनर का उपयोग किया तो प्राकृतिक दृश्य देखने से दर्द सेे राहत के संकेत मिले।
मुकुल व्यास
प्रकृति का सामीप्य मन को बड़ा सुकून देता है। लोग सदियों से आराम और राहत के लिए प्रकृति की ओर रुख करते आए हैं। जंगल में टहलने, समुद्र के किनारे से टकराने वाली लहरों की आवाज सुनने या हरे-भरे खेतों को देखने से एक सुखद अनुभूति होती है। लेकिन क्या प्रकृति वास्तव में शारीरिक दर्द को कम कर सकती है? वियना विश्वविद्यालय और एक्सेटर विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि ऐसा हो सकता है। मस्तिष्क की इमेजिंग की उन्नत तकनीक का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि प्रकृति को देखने से मस्तिष्क दर्द को संसाधित करने के तरीके में कैसे बदलाव करता है। यह अध्ययन इस बात की भी नई जानकारी देता है कि प्राकृतिक वातावरण लंबे समय से उपचार से क्यों जुड़ा हुआ है। दर्द सिर्फ एक शारीरिक अनुभूति नहीं है। दर्द की व्याख्या करने और उस पर प्रतिक्रिया करने में मस्तिष्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
तंत्रिका गतिविधि पर सीधा प्रभाव
ऑस्ट्रिया और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में शोध दल ने यह समझने का प्रयास किया कि क्या प्रकृति मस्तिष्क में दर्द को संसाधित करने वाले तंत्र को प्रभावित कर सकती है। नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि प्रकृति को निहारने से तंत्रिका गतिविधि पर सीधा प्रभाव पड़ता है जिससे दर्द कम होता है। शोधकर्ताओं ने 49 प्रतिभागियों की मस्तिष्क गतिविधि की निगरानी के लिए एक एफएमआरआई स्कैनर का उपयोग किया। प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग वीडियो देखते समय हल्के बिजली के झटके लगे। कुछ प्रतिभागियों ने प्राकृतिक परिदृश्य देखे,जबकि अन्य ने शहरी या इनडोर दृश्य देखे। इस प्रयोग के परिणाम बिलकुल स्पष्ट थे। प्रकृति को निहारने वाले प्रतिभागियों ने न केवल कम दर्द महसूस करने की सूचना दी,बल्कि उनके मस्तिष्क के स्कैन ने दर्द की अनुभूति से जुड़े क्षेत्रों में कम गतिविधि दिखाई।
मस्तिष्क स्कैन से जुटाए सबूत
शोधकर्ताओं ने दर्द के प्रसंस्करण में शामिल मस्तिष्क नेटवर्क का विश्लेषण करने के लिए मशीन-लर्निंग तकनीकों का उपयोग किया। परिणामों से पता चला कि प्रकृति ने मस्तिष्क में दर्द संकेतों को प्राप्त करने और व्याख्या करने के तरीके को प्रभावित किया। प्राकृतिक दृश्यों को देखने से दर्द की तीव्रता कम हो गई,जिसका अर्थ है कि मस्तिष्क ने दर्द को कम गंभीर माना। अध्ययन के प्रमुख लेखक मैक्स स्टीनिंगर ने कहा कि कई अध्ययनों से पता चला है कि प्रकृति के संपर्क में आने पर लोगों ने कम दर्द महसूस किया। फिर भी अभी तक इस प्रभाव के अंतर्निहित कारण अस्पष्ट थे। उन्होंने कहा कि हमने पहली बार मस्तिष्क स्कैन से प्रकृति के प्रभाव के सबूत जुटाए हैं। स्टीनिंगर के अनुसार ये निष्कर्ष बताते हैं कि प्रकृति का दर्द निवारक प्रभाव वास्तविक है, हालांकि हमने पाया कि इसका प्रभाव दर्द निवारक दवाओं के प्रभाव से लगभग आधा था। उन्होंने कहा कि दर्द में रहने वाले लोगों को निश्चित रूप से कोई भी दवा लेनी चाहिए जो उन्हें दी गई है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि भविष्य में दर्द से राहत के वैकल्पिक तरीके,जैसे कि प्रकृति का अनुभव करना, दर्द प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। दर्द प्रबंधन पारंपरिक रूप से दवाओं पर निर्भर रहा है। शोधकर्ता लोगों को दर्द से निपटने में मदद करने के लिए वैकल्पिक तरीकों की खोज कर रहे हैं। यह अध्ययन ऐसे प्रकृति-आधारित उपचारों का रास्ता खोलता है जिनके लिए दवाओं या शल्य प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती है।
खूबसूरत उद्यानों के चिकित्सीय लाभ
एक अन्य अध्ययन में वैज्ञानिकों ने खूबसूरत उद्यानों के चिकित्सीय लाभों को रेखांकित किया है। किसी खूबसूरत बगीचे में किसी कोने में चुपचाप बैठ कर प्रकृति को निहारना किसे अच्छा नहीं लगता। हरियाली और रंग-बिरंगे फूलों के अवलोकन के लिए उद्यान ऐसे ही क्षणों के लिए बनाए जाते हैं। वे लोगों को बस देखने,सांस लेने और वर्तमान को महसूस करने के लिए जगह देते हैं। लेकिन शांतिपूर्ण विश्राम प्रदान करने के अलावा,ये हरे-भरे स्थान कुछ और भी मूल्यवान योगदान करते हैं। वे हमें तनाव से निपटने में मदद करते हैं। कुछ उद्यान अधिक आरामदायक होते हैं।
वैज्ञानिकों के एक समूह ने हाल ही में पता लगाया कि कुछ उद्यान दूसरों की तुलना में अधिक शांत और आरामदायक क्यों हैं। उनका अध्ययन क्योटो के मुरिन-एन उद्यान पर केंद्रित था,जो जापानी डिजाइन का एक प्रसिद्ध उदाहरण है। इसकी तुलना उन्होंने क्योटो के दूसरे उद्यान यूनिवर्सिटी गार्डन से की। टीम के निष्कर्षों से पता चलता है कि ये विशेष हरे-भरे स्थान मन को शांत क्यों करते हैं। यह अध्ययन नागासाकी विश्वविद्यालय और पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय का संयुक्त प्रयास था।
उद्यान का डिजाइन भी महत्वपूर्ण कारक
शोधकर्ताओं ने कहा,अधिकांश उद्यानों के विपरीत, जहां आगंतुक से इसके स्थान पर घूमने और कई अलग-अलग दृश्य दृष्टिकोणों से इसके तत्वों की सराहना करने की अपेक्षा की जाती है,अवलोकन उद्यान को एक ही सुविधाजनक स्थान पर बैठकर देखने के लिए डिजाइन किया गया है। वास्तव में, सुविधाजनक स्थान एक महत्वपूर्ण डिजाइन विशेषता है जिसे सीनरी के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए सावधानीपूर्वक चुना जाता है। शोध दल ने यह जांच करने का प्रयास किया कि उद्यान का डिज़ाइन हमारे तनाव के स्तर को कैसे प्रभावित करता है।
वैज्ञानिक क्योटो में दो अलग-अलग उद्यानों में 16 छात्रों को लेकर गए। एक मुरिन-एन था,जो अपने विशेष डिजाइन और देखभाल के लिए जाना जाता है। दूसरा यूनिवर्सिटी गार्डन था जो साधारण और कम संवारा गया उद्यान है। प्रत्येक प्रतिभागी ने प्रत्येक सेटिंग में सात मिनट बिताए और दृश्यों का अवलोकन किया। इस दौरान,शोधकर्ताओं ने उनकी आंखों की हरकतों और हृदय गति को ट्रैक किया। विशेषज्ञों ने छात्रों से प्रत्येक विजिट से पहले और बाद में उनके मूड के बारे में भी पूछा। नागासाकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और लैंडस्केप वास्तुकला विशेषज्ञ सेको गोटो ने कहा कि अच्छी तरह से डिजाइन किए गए जापानी उद्यानों में विचारोत्तेजक और अमूर्त दृश्य होते हैं। ये दृश्य दर्शकों को दृश्यों की संरचना और अर्थ को समझने के लिए लंबे समय तक देखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनकी नजर तेजी से घूमती है।
शोध के परिणामों ने स्पष्ट अंतर दिखाए। मुरिन-एन गार्डन में, लोगों की नजरें दृश्य में तेजी से घूम रही थीं। उनकी नजरें एक विवरण से दूसरे विवरण पर जा रही थीं,जो एक व्यापक क्षेत्र को कवर कर रहा था। यूनिवर्सिटी गार्डन में ऐसा नहीं था,जहां लोग ज्यादातर कुछ खास विशेषताओं को देखते थे। पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के एक न्यूरोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर कार्ल हेरुप ने कहा कि हमने तेजी से नजर बदलने और हृदय गति में कमी और बेहतर मूड के बीच संबंध पाया। एक अच्छी तरह से तैयार किए गए जापानी गार्डन को देखने वाले दर्शकों द्वारा अनुभव किए जाने वाले तनाव में कमी मुख्य रूप से डिजाइन की विशेषताओं के कारण होती है।
रखरखाव का भी मूड पर असर
गार्डन के रखरखाव ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रोफेसर गोटो ने कहा कि दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए न केवल डिज़ाइन की गुणवत्ता बल्कि रखरखाव की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण है। दर्शकों की नजर अच्छी तरह से काटे गए पेड़ों पर घूमती रहती है। रोजमर्रा की चिकित्सा के रूप में उद्यान बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। प्रतिभागियों ने मुरिन-एन उद्यान में अधिक आराम महसूस करने की सूचना दी। उन्हें यह अधिक पसंद आया, वे शांत महसूस करते थे,और उद्यान में वापस लौटने की प्रबल इच्छा व्यक्त करते थे। उनकी हृदय गति भी धीमी हो गई,जो वास्तविक शारीरिक प्रतिक्रिया का संकेत देती है। गोटो ने कहा कि अगर जापानी बगीचों की सराहना करने से आराम का प्रभाव पैदा हो सकता है,तो इसका उपयोग अस्पतालों और कल्याण सुविधाओं में चिकित्सा के रूप में किया जा सकता है। बेहतर लैंडस्केपिंग के जरिए भारत में भी जापानी शैली के उद्यान बना कर इनसे चिकित्सीय लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।