पेंशन और भत्ते न मिलने से भड़के पेंशनर्स
शिमला, 5 मार्च (हप्र)
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार द्वारा वित्तीय संकट के नाम पर कर्मचारियों और पेंशनरों की पेंशन, भत्तों और अन्य लाभों को रोकने पर अब पेंशनर और कर्मचारी सड़कों पर उतरे आये हैं। इसी कड़ी में बुधवार को शिमला में भारतीय पेंशनर महासंघ के की हिमाचल इकाई के बैनर तले राज्य के सैकड़ो पेंशनर राजधानी शिमला में सड़क पर उतरे। शिमला के चौड़ा मैदान में आयोजित पेंशनरों की रैली को संबोधित करते हुए महासंघ के उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने कर्मचारी और पेंशनरों पर जुल्म करने की सभी सीमाएं लांघ दी हैं। ऐसे में अब कर्मचारी और पेंशनर सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भले ही कांग्रेस सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर ले लेकिन उसके बाद सरकार का क्या हस्र होगा यह सब प्रदेश के कर्मचारी और पेंशनर तय करेंगे। कर्मचारी नेता ने प्रदेश सरकार से पूछा कि आखिरकार राज्य का हजारों करोड़ रुपए का बजट का क्या हुआ और यह पैसा कहां गया। उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश में वास्तव में वित्तीय संकट है तो क्या यह संकट कर्मचारी और पेंशनरों के लिए है या फिर मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के लिए भी है। उन्होंने सरकार से पूछा कि यदि बीते 2 साल में मुख्यमंत्री मंत्री अथवा विधायक या कोई अधिकारी बीमार हुआ है तो क्या उसने भी मेडिकल बिल का रिइंबर्समेंट नहीं लिया है या फिर यह नियम सिर्फ कर्मचारियों और पेंशनरों पर ही लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि वास्तव में वित्तीय संकट है तो सरकार अपने खर्चों पर काबू करे और मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों को दी जा रही सुविधाओं को कम करें ताकि सरकारी खजाने में बचत हो और प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुधरे। कर्मचारी नेता ने कहा कि राज्य के जिन कर्मचारियों और पेंशनरों ने अपनी सारी उम्र प्रदेश के विकास में गुजर दी, आज सरकार ने उन्हें तिल तिल मरने पर छोड़ दिया है और उनके महज कुछ हजार के मेडिकल बिल तक नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने ऐलान किया कि प्रदेश का वरिष्ठ नागरिक अब जाग गया है। अब सरकार देखेगी कि आने वाले समय में होता क्या है। सरकार कितने दिन टिकेगी ये तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन अंततः सरकार का जाना तय है।