अनिल शर्मा/निसरोहतक, 4 जुलाईपित्त और पैंक्रियाज बीमारी से पीड़ित मरीजों की लिए राहत भरी बड़ी खबर है, उन्हें अब ईआरसीपी करवाने के लिए दिल्ली व चंडीगढ़ जाने की जरुरत नहीं होगी। यह सुविधा अब उन्हें पीजीआई में ही मिल पाएगी, प्रदेश में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा शुरु हुई है। कुलपति ने ईआरसीपी मशीन की शुरुआत की और कहा कि मरीजाें के लिए वरदान साबित होगी।कुलपति डाॅ.एचके अग्रवाल ने कहा कि इस मशीन के शुरू होने से मरीजों को अब अपने पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं का इलाज कराने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे प्रदेशवासियों को समय और धन दोनों की बचत होगी। मशीन के माध्यम से मरीजों को सटीक और त्वरित इलाज मिल सकेगा, जिससे उनकी सेहत में जल्दी सुधार होगा। निदेशक डाॅ.एस.के. सिंघल ने कहा कि संस्थान का यह प्रयास निसंदेह प्रदेश के स्वास्थ्य सेवाओं में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।डाॅ. सिंघल ने कहा कि ईआरसीपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर पित्त और पैंक्रियाज नलिकाओं में समस्याओं का निदान और उपचार करने के लिए एंडोस्कोपी और एक्स-रे का उपयोग करते हैं। वर्ष 2016 से 2024 तक करीब 18168 एंडोस्कोपी, 2132 कोलोनोस्कोपी व 376 पीडियाट्रिक एंडोस्कोपी की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि कुलपति डाॅ.एचके अग्रवाल व अन्य अधिकारियों ने इस करीब 60 लाख की मशीन का उद्घाटन करके पूरे प्रदेश से आने वाले मरीजों को बहुत बडी राहत प्रदान की है क्योंकि पहले मरीजों को यह सुविधा प्रदेश में किसी भी सरकारी अस्पताल में नहीं होने के चलते 30 से 40 हजार रुपए तक देकर बड़े प्राइवेट अस्पतालों में ईआरसीपी करवानी पड़ती थी और अब यहां उन्हें यह सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध होगी।पहले पित्त की नली की पथरी निकालने के लिए करना पड़ता था ऑपरेशनडाॅ. संदीप गोयल ने कहा कि पहले पित्त की नली की पथरी निकालने के लिए मरीज का ऑपरेशन करना पड़ता था, जिसके बाद मरीज को 3 से 5 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पडता था, अब इस मशीन से मरीज शाम तक अपना उपचार कराकर घर जा सकता है। पेंक्रियाज ग्रंथी व पित्त की नली कैंसर के मरीज में इससे स्टंट डाला जा सकेगा। इस अवसर पर चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. कुंदन मित्तल, डीन छात्र कल्याण डाॅ. एम.जी. वशिष्ठ, डाॅ. पुष्पा दहिया, डाॅ. सुधीर अत्री, डाॅ. सुशीला तक्षक, डाॅ. दीपक जैन, डाॅ. जसमिंद्र, डाॅ. अनुभा, डाॅ. मोहिनी, नर्सिंग सिस्टर सुनीता, कश्मीर, कपिल, राजबाला, मेडिसन विभाग की अन्य फैकल्टी व जूनियर रेजिडेंट भी उपस्थित रहे।