पितृ तर्पण से जीवन में सुख-शांति
चेतनादित्य आलोक
प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि को ‘अमावस्या’ तिथि होती है। इस प्रकार, हर महीने में एक और वर्ष में 12 अमावस्या तिथियां आती हैं, जो हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। इस तिथि को आध्यात्मिक शुद्धि और पुण्य अर्जन के लिए काफी शुभ माना गया है। साथ ही, अमावस्या तिथि पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए भी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान, दान, जप-तप, ध्यान, तर्पण, पिंडदान आदि शुभ कर्म करने से भक्त को शुभ परिणाम मिलते हैं। ज्येष्ठ अमावस्या को ‘बड़ अमावस्या’ भी कहा जाता है। शास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन किए गए अच्छे यानी दूसरों के हित के कार्य यथा सेवा-सुश्रूषा, सहायता, सहयोग आदि व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं।
तिथि एवं मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि दो दिन लग रही है, जो 26 मई की दोपहर को 12ः12 बजे आरंभ होगी और 27 मई को सुबह 08ः32 बजे समाप्त होगी। ऐसे में, इस बार ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत 26 मई को रखा जाएगा।
ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व
शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितरों का पृथ्वी पर आगमन होता है। इसलिए यह दिन पितरों की पूजा और उनकी प्रसन्नता के लिए विशेष महत्व वाला होता है। ज्येष्ठ अमावस्या का शनिदेव से भी बेहद गहरा संबंध होता है, क्योंकि इसी दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इसी प्रकार, ज्येष्ठ अमावस्या की समाप्ति 27 मई यानी मंगलवार को होने के कारण 27 मई को इसे ‘भौमवती अमावस्या’ के रूप में मनाया जाएगा।
सोमवती अमावस्या का महत्व
गौरतलब है कि इस बार ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। दरअसल, जब भी कोई अमावस्या सोमवार को पड़ती है तो उसे ‘सोमवती अमावस्या’ कहा जाता है। यह दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना और आराधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। वैसे, वर्ष 2025 की पहली सोमवती अमावस्या बहुत ही उत्तम संयोग में आ रही है। इस दिन विशेष रूप से हिंदू विवाहित महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा-अर्चना, आराधना और उपवास करती हैं। दरअसल, शास्त्रों में बताया गया है कि ऐसा करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति तथा उनके सुहाग की आयु लंबी होती है और पति-पत्नी के बीच स्नेह का वातावरण बना रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ करने, स्नान और दान करने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है और मोक्ष की प्राप्ति की भी संभावना होती है।
दस प्रकार के पापों का नाश
सनातनी मान्यताओं के अनुसार इस दिन हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी में ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करते हुए मां गंगा के मंत्रों का जाप करने और तत्पश्चात् पूजन-अर्चन कर ब्राह्मणों एवं दीन-दुखियों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करने से भक्तों को कई प्रकार के चमत्कारी लाभ मिलते हैं। इनमें सर्वप्रमुख लाभ यह होता है कि मनुष्य को जीवन के पूर्वार्द्ध में किए गए सभी 10 प्रकार के पापों से छुटकारा मिल जाता है।
विशेष पूजन-अर्चन
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने का विधान है, जो भक्तों के कष्ट और दुःख-दर्द दूर करने वाले माने जाते हैं। इस विशेष दिन को विशेष रूप से शनिदेव की पूजा और उपाय करना शुभ एवं लाभकारी माना जाता है।