पाठकों को पत्र
गरीबों के लिए वरदान
‘बदलेगा मनरेगा’ संपादकीय ट्रिब्यून 21 अप्रैल ने मनरेगा की जो उपयोगिता बताई है वह सही है। मनरेगा ने ग्रामीण भारत को रोजगार देकर गरीबों के जीवन स्तर को सुधारने में अहम भूमिका निभाई है। कोरोना काल में यह गरीबों के लिए संजीवनी साबित हुआ। हालांकि, इसमें भ्रष्टाचार और धांधलियों की शिकायतें चिंताजनक हैं। जॉब कार्ड की हेराफेरी जैसे मामले इसकी छवि को धूमिल करते हैं। संसद की समिति द्वारा मजदूरी व कार्यदिवस बढ़ाने की सिफारिशें सराहनीय हैं। पारदर्शिता के साथ लागू हो तो मनरेगा गरीबों के लिए वरदान बन सकता है।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.
राष्ट्रीय छवि को नुकसान
राहुल गांधी द्वारा अमेरिका के बोस्टन में चुनाव आयोग पर की गई टिप्पणी अनुचित है। उन्हें आलोचना का अधिकार है, लेकिन विदेश में संवैधानिक संस्था पर टिप्पणी करना राष्ट्र की प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं। सभी राजनीतिक दलों को अपने नेताओं को संयम बरतने का निर्देश देना चाहिए। यदि चुनाव आयोग से असहमति है, तो उसे देश में ही उचित मंच पर उठाया जाना चाहिए। विदेश में ऐसे मुद्दे उठाने से राष्ट्र की छवि को नुकसान पहुंचता है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
जल संकट की आहट
उन्नीस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर ‘हिमाचल-पंजाब के सभी जलाशयों में पानी कम’ चिंताजनक है। हाल ही में हुई बारिश के बावजूद हिमाचल प्रदेश और पंजाब के सभी चार जलाशय- गोबिंद सागर, पोंग डैम, कोल डैम और थीन डैम पिछले साल की तुलना में कम स्तर पर हैं। जिसका कारण बढ़ता तापमान है। इससे न केवल हिमाचल व पंजाब प्रभावित होंगे, बल्कि हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली भी। प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए और हमें जल संरक्षण को प्राथमिकता देनी होगी।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल