पाठकों को आमंत्रण
जन संसद की राय है कि हम मानसून वर्षा का बेहतर उपयोग करके इसे अपनी ताकत बनाएं। साथ ही समय रहते जल निकासी व बाढ़ प्रबंधन के लिये कदम उठाएं।
जनता की परेशानी
लगभग 16 वर्षों बाद मानसून समय से पहले केरल पहुंचा है। प्री-मानसून की वर्षा के चलते हरियाणा के कई शहरों, कस्बों और गांवों में तेज हवाओं व आंधी के साथ हुई भारी बारिश से जलभराव की स्थिति बन गई। प्रश्न यह है कि क्या प्रशासन वर्षा जल को सहेजने के लिए तैयार है? स्थानीय निकायों और निगमों ने नालों व नालियों की सफाई कर जलभराव से निपटने की तैयारी तो की, पर थोड़ी ही देर की बारिश में नाले उफान पर आ गए। सड़कों और बाजारों का दृश्य नदियों जैसा दिखा, जिससे जनता को भारी परेशानी हुई।
रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपत
कुछ अनुकूल भी है
मानसून हर दिल को ताज़गी से भर देता है, पर यह चुनौतियां भी साथ लाता है—जैसे जलजमाव, ट्रैफिक जाम और बीमारियां। समय पर की गई तैयारी से इन समस्याओं से बचा जा सकता है। नालों की सफाई, जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त करना, सड़कों-पुलों की जांच और वर्षा जल संचयन जरूरी हैं। मानसून में डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां आम हैं, इसलिए स्वच्छता बनाए रखें, पानी इकट्ठा न होने दें, मच्छरों से बचाव करें। उबला पानी पीएं, हल्का भोजन लें और वृक्षारोपण करें, क्योंकि यह मौसम पौधों के लिए अनुकूल है। जागरूक नागरिक ही मौसम को सुखद बना सकते हैं।
सतपाल, कुरुक्षेत्र
समृद्धि का कारक बने
कृषि प्रधान देश की खुशहाली मानसून पर निर्भर है, लेकिन लगातार बारिश से निचले ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जलभराव से जान-माल की हानि होती है। प्रशासन मानसून से पहले सिर्फ कागजों पर नालों, नदियों और सीवरेज की सफाई दिखाता है, लेकिन जब हालात बिगड़ते हैं, तब ही सक्रिय होता है। जन स्वास्थ्य विभाग को बरसाती पानी को कुओं में एकत्र करने की विधि अपनानी चाहिए। वहीं, सिंचाई प्रबंधन समितियों को नालों व नदियों की सफाई और बाढ़ राहत के पुख्ता इंतज़ाम करने चाहिए, ताकि मानसून वास्तव में समृद्धि का कारक बन सके।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
जागरूकता में समाधान
वर्षा जल प्रबंधन के लिए केंद्र और राज्य सरकारें प्रयासरत हैं। अमृत मिशन योजना शहरी जल संकट के समाधान में सहायक है, वहीं मनरेगा के तहत जलाशयों, नदियों और तालाबों की सफाई की जाती है। हरियाणा सरकार की ‘मेरा पानी - मेरी विरासत’ पहल से 2023-24 में भारी मात्रा में पानी बचाया गया। प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया ‘जल संचय जन भागीदारी’ अभियान सामुदायिक जल संरक्षण को प्रोत्साहित करता है। मानसून से पहले नीति, जागरूकता और तकनीक से जल संकट का समाधान संभव है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
पहले तैयारी जरूरी
यदि समय रहते बरसात से बचाव की तैयारी कर ली जाए, तो यह मौसम आफत नहीं बनेगा। हर साल कहीं बादल फटते हैं, कहीं बाढ़ आती है, लेकिन सरकारें आपदा प्रबंधन को गंभीरता से नहीं लेतीं। वे तब ही जागती हैं जब कोई हादसा हो जाए, और कुछ समय बाद फिर सो जाती हैं। केवल मुआवजा और आश्वासन स्थायी समाधान नहीं हैं। केंद्र और राज्य सरकारों का पहला कर्तव्य होना चाहिए कि हर गली-मोहल्ले में सीवरेज व्यवस्था हो और मौजूदा प्रणाली की बरसात से पहले मरम्मत कराई जाए, ताकि जलभराव से बचा जा सके।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
पुरस्कृत पत्र
लापरवाही नुकसानदेह
मानसून हमारी सुख-समृद्धि का आधार तभी बनेगा जब हम इसके स्वागत के लिए पूरी तैयारी करें। वर्षा जल संचय के लिए तालाब, कुण्ड, झील, बावड़ियों की सफाई, नालियों व नालों की मरम्मत, जल बहाव के रास्तों से अवरोध हटाना, और रिहायशी क्षेत्रों को जलभराव से बचाने के प्रयास आवश्यक हैं। साथ ही, आपदा प्रबंधन के तहत दवाइयों, खाद्य सामग्री, ईंधन का पर्याप्त भंडारण और मौसम पूर्वानुमान व चेतावनियों का गांव-पंचायत तक संप्रेषण भी जरूरी है। यदि ये सभी तैयारी पूरी हों, तभी मानसून सुखद होगा; अन्यथा लापरवाही सभी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।
ईश्वर चंद गर्ग, कैथल