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मातृभाषा में शिक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, शैक्षणिक सत्र 2025-26 से पहले पहली से पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने की पहल अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे की सिफारिश के अनुसार, छात्र कक्षा एक से पांच तक अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करेंगे। यह प्रस्ताव इसलिए उपयोगी है क्योंकि बच्चे मातृभाषा और घर में बोली जाने वाली भाषा को जल्दी समझ और सीख लेते हैं। इससे शिक्षा के माध्यम से बच्चे के मानसिक और बौद्धिक विकास में सहायता मिलेगी। वे मातृभाषा में बेहतर ढंग से ढल पाते हैं।
सिमरन, चौ. देवीलाल विवि, सिरसा
कुंठित होती प्रतिभाएं
तीन जून के दैनिक ट्रिब्यून में डॉ. जगदीप सिंह का लेख ‘अंकों की होड़ से कुंठित होती प्रतिभाएं’ बोर्ड परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों, अभिभावकों की मनोदशा का विश्लेषण करने वाला था। परीक्षा परिणाम विद्यार्थी के ज्ञान का मापदंड नहीं। भविष्य में उच्च महत्वाकांक्षाएं पालने की प्रवृत्ति परीक्षा परिणाम के कारण विद्यार्थियों में तनाव, निराशा और अवसाद को जन्म दे सकती है। उच्चकोटि के संस्थान में दाखिला लेकर अगर कोई विद्यार्थी सीईओ बनेगा तो उसका फायदा उसकी कंपनी को होगा देश को नहीं। शिक्षा को पैसा कमाने से जोड़ना अज्ञानता है। सच्ची शिक्षा वही है जो बच्चों को ईमानदार, परिश्रमी, कर्तव्यनिष्ठ तथा देशभक्त बनाए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
ऐतिहासिक जीत
तीन जून को अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए आईपीएल 2025 के फाइनल मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने पंजाब किंग्स को 6 रनों से हराकर अपनी पहली आईपीएल ट्रॉफी जीती। आरसीबी के क्रुणाल पांड्या अपने ऑलराउंडर प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच चुने गए। पांड्या का प्रदर्शन टीम के लिए निर्णायक साबित हुआ। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए यह एक ऐतिहासिक जीत थी। यह उनकी पहली आईपीएल ट्रॉफी है।
दिपांशी सैनी, चौ. देवीलाल विवि, सिरसा