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पाठकों को आमंत्रण

04:00 AM May 12, 2025 IST
पाठकों को आमंत्रण
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जन संसद की राय है कि अक्सर होने वाले आतंकी हमलों के खिलाफ हमें सजग, सतर्क और सचेत रहना होगा। हमारी मानसिक मजूबती आतंक को करारा जवाब दे सकती है।

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एकजुटता जरूरी
युद्ध प्रायः विनाश, पीड़ा और अस्थिरता लाते हैं, परंतु पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या ने पाकिस्तान की आतंकपरस्त नीति को उजागर कर दिया है। यह घटना सुरक्षा और खुफिया तंत्र की गंभीर चूक की ओर इशारा करती है। ऐसे समय में हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखना आवश्यक है। समाज-विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमें एकजुट होना होगा। शहीदों की कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देना है। आतंकवाद के विरुद्ध मानसिक रूप से मज़बूत होकर रणनीतिक कदम उठाने होंगे।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

राष्ट्रप्रेम और ज़िम्मेदारी
आतंकवाद केवल देश की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि समाज के मनोबल के लिए भी एक गंभीर खतरा है। इसका उद्देश्य डर और अस्थिरता फैलाना होता है। ऐसे में हथियारों से अधिक ज़रूरी है समाज की मानसिक मजबूती। यह केवल साहस नहीं, बल्कि संकट में संयम, एकता और विवेक दिखाने की शक्ति है। अफवाहों से दूर रहकर, शांत और संगठित रहकर ही हम आतंकवाद का सामना कर सकते हैं। राष्ट्रप्रेम, ज़िम्मेदारी और आपसी विश्वास—यही आतंकवाद के विरुद्ध हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। मानसिक मजबूती ही सुरक्षित राष्ट्र की नींव है।
सतपाल, कुरुक्षेत्र

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आत्मरक्षा के गुर
जब हम रोजमर्रा की ज़िंदगी में यात्रा करते हैं या कहीं घूमने जाते हैं, तो हमें सदैव सतर्क और चौकन्ना रहना चाहिए। किसी संकट या विकट स्थिति में स्वयं की और दूसरों की रक्षा कैसे करनी है, यह जानना अत्यंत आवश्यक है। आत्मरक्षा के गुर और मानसिक मजबूती हर नागरिक के लिए ज़रूरी हैं, क्योंकि विपत्ति कभी भी आ सकती है। पहलगाम आतंकी हमला न केवल दर्दनाक है, बल्कि खुफिया तंत्र की बड़ी विफलता भी उजागर करता है। पाकिस्तान को इसका माकूल जवाब मिलेगा।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी

निर्णायक कदम
भारत को चाहिए कि वह पहलगाम आतंकी हमले और इससे पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के भड़काऊ बयान को वैश्विक मंच पर उठाए। यह संयोग नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश थी, जिससे पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हुआ है। भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बताना चाहिए कि पाकिस्तान किस तरह पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा बन चुका है। अब समय आ गया है कि आतंकवाद के विरुद्ध हम केवल सैन्य नहीं, बल्कि मानसिक स्तर पर भी मज़बूती से खड़े हों और निर्णायक कदम उठाएं।
रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपत

राजद्रोह की कार्रवाई
आतंकवाद का उद्देश्य होता है भय फैलाना, सामाजिक समरसता को तोड़ना और आर्थिक गतिविधियों को ठप्प करना। इससे निपटने के लिए मानसिक मजबूती अत्यंत आवश्यक है। जैसा अमेरिका ने 9/11 के बाद किया, वैसा भारत भी कर सकता है, बशर्ते आतंकवाद को मिलने वाले राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और नैतिक समर्थन पर रोक लगे। आतंक समर्थकों पर राजद्रोह की कार्रवाई हो, और हर संदिग्ध की निष्पक्ष जांच कर अपराधियों को सज़ा मिले।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.

पुरस्कृत पत्र

मानसिक दृढ़ता जरूरी
किसी भी समस्या से निपटने के लिए मानसिक मज़बूती पहली आवश्यकता होती है। आतंकवाद से निपटने के लिए भी यही 'हथियार' सबसे अधिक कारगर सिद्ध हो सकता है। संदिग्ध परिस्थितियों पर नज़र रखना, संदिग्ध व्यक्ति, वस्तु या व्यवहार की सूचना पुलिस या प्रशासन को देना, खतरे वाले भौगोलिक स्थानों की पहचान करना तथा अंतर-समुदाय सद्भाव को बढ़ावा देना—ये सभी उपाय आतंकवाद को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं। ये सभी प्रयास मानसिक रूप से मज़बूत व्यक्ति ही कर सकते हैं। अतः आतंकवाद का मुक़ाबला करने के लिए हमारा शारीरिक और मानसिक रूप से मज़बूत होना अत्यंत आवश्यक है।
ईश्वर चंद गर्ग, कैथल

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