पाठकों को आमंत्रण
सद्भाव की मिसाल
बाईस अप्रैल को आतंकी हमले में शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने अद्भुत संयम और सद्भावना का परिचय दिया। उनके जन्मदिन पर रक्तदान शिविर का आयोजन कर हिमांशी ने देशवासियों से आतंकवाद के विरुद्ध न्याय और समाज में शांति की अपील की। उन्होंने कश्मीरी और मुस्लिम समाज को टारगेट न करने की मार्मिक बात कही। हम उनके साहस को सलाम करते हैं।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
आशंकाएं भी हैं
राहुल गांधी की मांग के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने आगामी जनगणना के साथ जाति जनगणना की घोषणा कर विपक्ष को चौंका दिया। यदि यह प्रक्रिया पारदर्शी रही, तो सामाजिक न्याय और नीति निर्माण में सहायक होगी। इससे पिछड़े वर्गों की सही स्थिति सामने आएगी। लेकिन जातीय विभाजन और राजनीतिक दुरुपयोग की आशंका भी है, जिससे सावधानीपूर्वक निपटना होगा।
भगवानदास छारिया, इंदौर
शिक्षा की गुणवत्ता
तीन मई के दैनिक ट्रिब्यून में अविजित पाठक का लेख ‘मध्य वर्ग के विरोधाभास और शिक्षा का बाज़ारीकरण’ प्रासंगिक और विचारणीय है। सरकारी स्कूलों की गिरती गुणवत्ता के चलते आम व अमीर लोग निजी स्कूलों की ओर जा रहे हैं, जो मनमानी फीस वसूलते हैं। शिक्षा व्यापार बन गई है। सरकार को निजी स्कूलों की लूट पर रोक लगानी चाहिए और सरकारी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता सुधारनी चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
कठोर प्रहार जरूरी
पहलगाम आतंकी हमला देश की आत्मा पर गहरी चोट है, जिसमें सांप्रदायिक सोच के साथ पयर्टकों को निशाना बनाया गया। यह एक सोची-समझी साजिश प्रतीत होती है। इससे सबक लेकर सीमाओं की सुरक्षा और तकनीकी सशक्तीकरण आवश्यक है। पारदर्शी, ठोस और सक्रिय कदमों के साथ-साथ राष्ट्रीय एकजुटता ही आतंकवाद के विरुद्ध हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद