For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

पाठकों को आमंत्रण

04:00 AM May 05, 2025 IST
पाठकों को आमंत्रण
Advertisement

जन संसद की राय है कि बड़े राष्ट्र मनमानी कर रहे हैं। ट्रंप का टैरिफ युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था की चूलें हिलाकर मंदी ला रहा है। संयुक्त राष्ट्र व अन्य वैश्विक संस्थाओं को सशक्त बनाना होगा।

Advertisement

डीप टेक का समय
अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से वैश्विक व्यापार व्यवस्था अस्थिर हो गई है। कम्बोडिया, वियतनाम और मलेशिया पर भारी शुल्क लगाए गए, जबकि चीन को 245 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। वियतनाम, मलेशिया और चीन को मिलकर बहुपक्षीय व्यापार और आपूर्ति शृंखला की रक्षा करनी चाहिए। लोग अब सोच-समझकर खर्च कर रहे हैं और बचत को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत को समय रहते सतर्क होकर डीप टेक इनोवेशन को बढ़ावा देना चाहिए, जिसके लिए पर्याप्त सार्वजनिक निवेश आवश्यक है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी

सहयोग सिद्धांत
संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, आईएमएफ और डब्ल्यूटीओ जैसी संस्थाएं आज आंतरिक संघर्षों और बाहरी दबावों के कारण अपनी प्रासंगिकता खोती दिख रही हैं। उनके नियम भी बदलती चुनौतियों के सामने कमजोर पड़ते हैं। ऐसे में आवश्यक है कि राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं मिलकर सहयोग आधारित नया वैश्विक मॉडल विकसित करें, जो असमानताओं, तकनीकी बदलावों और सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियों का समाधान दे। भविष्य की व्यवस्था में लोकतंत्र, पारदर्शिता और साझा जिम्मेदारी की विशेष भूमिका होगी।
भगवानदास छारिया, इंदौर, म.प्र.

Advertisement

आर्थिक अस्थिरता
आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था एक जटिल और आपस में जुड़ी प्रणाली है, जहां एक देश की नीति अन्य देशों को प्रभावित करती है। ट्रंप सरकार की टैरिफ नीति ने वैश्विक आर्थिक संतुलन को हिला दिया, जिससे कई देश मंदी की कगार पर पहुंच गए। इस नीति ने व्यवसायों को अधिक स्वतंत्रता दी, लेकिन इसके परिणामस्वरूप अस्थिर और अनैतिक निर्णय बढ़े। इससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता, निवेश में कमी और उत्पादन शृंखलाओं में व्यवधान उत्पन्न हुआ, जिसका परिणाम बेरोजगारी और असमानता में वृद्धि के रूप में सामने आया।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र .

नये समाधान तलाशें
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के मनमाने टैरिफ फरमानों से दुनिया को अरबों का नुकसान हुआ है। वैश्विक मंदी ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे गरीबी और बेरोजगारी बढ़ रही है। वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और जोखिम का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए देशों को मिलकर काम करना होगा और वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने के नए समाधान तलाशने होंगे।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

बेदम संयुक्त राष्ट्र
वर्तमान में पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ युद्ध के कारण वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ गया है। रूस-यूक्रेन, इस्राइल-हमास, चीन-ताइवान जैसे विवादों का मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय नियामक व्यवस्था की कमी है। संयुक्त राष्ट्र संघ है, लेकिन कोई देश उसकी बात नहीं मानता। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य वीटो का इस्तेमाल करते हैं, जिससे विश्व युद्ध की संभावना बढ़ रही है। अब समय है कि संयुक्त राष्ट्र सक्रिय होकर वैश्विक शांति और आर्थिक व्यवस्था को संवारने की पहल करे।
शामलाल कौशल, रोहतक

पुरस्कृत पत्र

निष्पक्ष तंत्र जरूरी
आज वैश्विक नियामक व्यवस्था पूरी तरह टूट रही है। महाशक्तियां बेलगाम हो चुकी हैं, जैसे इस्राइल-गाज़ा संकट, यूक्रेन पर हमले और अमेरिका की दबंगई इसके उदाहरण हैं। व्यापारिक टैरिफ से अर्थव्यवस्थाएं संकट में हैं, और अंतर्राष्ट्रीय कानून केवल कागजों तक सीमित हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन ताकतवर देशों के सामने लाचार हैं, और न्याय शक्ति के अधीन हो चुका है। मानवता को बचाने के लिए एक नया, निष्पक्ष शासन तंत्र आवश्यक है, वरना यह संकट सभ्यता को नष्ट कर देगा।
आरके जैन, बड़वानी, म.प्र.

Advertisement
Advertisement