पाठकों को आमंत्रण
जन संसद की राय है कि गर्मी के चरम से निपटना हमारी भी जिम्मेदारी है। हमारी जवाबदेही है कि पर्यावरण रक्षा हेतु पौधे लगाएं, सहज-सरल जीवन जीयें तथा शरीर को मौसम के अनुरूप ढालें।
समाधान हमारे हाथ में
आज दुनिया में अत्यधिक गर्मी का कारण हम स्वयं हैं, और समाधान भी हमारे ही हाथ में है। यदि हर व्यक्ति पर्यावरण के प्रति सजग हो जाए, जैसे प्रतिदिन एक पेड़ की सुरक्षा करे, अनावश्यक बिजली की खपत रोके, पैदल चले, साइकिल का उपयोग करे या सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करे तो गर्मी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। वरिष्ठ नागरिकों को भी दूसरों को प्रेरित करना चाहिए। सरकारों को पौधारोपण, सौर ऊर्जा और जनजागरूकता को प्रोत्साहित करना चाहिए। यही हमारे भविष्य और पृथ्वी की रक्षा करेगा।
वेदपाल राठी, दरियाव नगर, रोहतक
पौधारोपण रामबाण
बढ़ती हुई गर्मी आज एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, जिसका सामना करने के लिए हमें सजग रहना होगा। भौतिक संसाधनों की अंधाधुंध बढ़ोतरी ने मनुष्य को उनका गुलाम बना दिया है। हमने पैदल चलना छोड़ दिया है और कृत्रिम साधनों पर निर्भर हो गए हैं। समय आ गया है कि हम फिर से प्रकृति की ओर लौटें। पौधारोपण एक ऐसा रामबाण उपाय है जो पर्यावरण को शीतलता दे सकता है। हमें अपने खान-पान और जीवनशैली में सादगी अपनानी होगी। तापमान बढ़ेगा, लेकिन यदि हम समय रहते सचेत हो जाएं, तो खुद को और आने वाली पीढ़ियों को बचा सकते हैं।
श्रीमती केरा सिंह, नरवाना
‘हरित क्रांति’ जरूरी
मौसम विभाग ने आगामी दिनों में भीषण गर्मी की गंभीर आशंका जताई है। ऐसे में मानव जीवन और जीव-जंतुओं को राहत देने हेतु व्यापक पौधारोपण और हरित क्रांति जैसी पर्यावरणीय गतिविधियां बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। प्रदूषण कम करने के लिए आमजन को निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देनी चाहिए। पौष्टिक व संतुलित खाद्य-पदार्थों का सेवन सभी आयु वर्ग के लिए सुरक्षा होगी। गर्मी से बचाव केवल सरकार की नहीं, हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। सामूहिक प्रयास, जन-जागरूकता और इच्छाशक्ति से ही हम इस झुलसती गर्मी से सुरक्षित रह सकते हैं।
संदीप भारद्वाज, झज्जर
ऋतु अनुसार जीवनशैली
आयुर्वेद ने छह ऋतुओं के अनुसार जीवनशैली बताकर हमें स्वस्थ रहने की दिशा दी है। ग्रीष्म ऋतु में वातावरण की रूक्षता बढ़ जाती है, इसलिए दिन में सोना, अधिक जल सेवन और मधुर, लघु, शीतल, स्निग्ध, द्रवयुक्त पदार्थों का सेवन लाभदायक है। स्नान के बाद शर्करा मिश्रित सत्तू श्रेष्ठ फलदायी माना गया है। तीखे, खट्टे, नमकीन पदार्थ कम लें। तेज धूप और अधिक व्यायाम से बचें। शास्त्रों के अनुसार आचरण से गर्मियों में भी उत्तम स्वास्थ्य एवं ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
अनूप कुमार गक्खड़, हरिद्वार
प्राकृतिक संतुलन
जंगलों की अंधाधुंध कटाई, तीव्र औद्योगिक विकास, नगरीकरण और जीवाश्म ईंधन के बढ़ते उपयोग के कारण तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। इस भीषण गर्मी का मुख्य कारण इंसान ही है। इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा। बिजली की खपत को सीमित करना, पेड़ों का रोपण बढ़ाना और ग्यारह से चार बजे तक घर से बाहर न निकलना चाहिए। पानी, नीबू पानी और ठंडी तासीर के पदार्थों का सेवन करना जरूरी है। जितना हम प्रकृति को बचाने के प्रयास करेंगे, उतना ही हमें वह राहत देगी।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली
पुरस्कृत पत्र
सामूहिक प्रयास
गर्मी से राहत के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी राज्यों को कार्य योजना बनाने की एडवाइजरी जारी की है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय की स्थायी समिति ने लू को उभरती आपदाओं में शामिल करने का सुझाव दिया है। अहमदाबाद नगर निगम दोपहर में बाग-बगीचे रेहड़ी-पटरी वालों के लिए खोलता है। ओडिशा में ट्रैफिक सिग्नलों पर हरे पारदर्शी शेड लगाए गए हैं। अधिक प्याऊ खोलना भी राहतकारी होगा। बढ़ते तापमान को देखते हुए ग्राम से शहर स्तर तक पर्यावरण अनुकूल परिवेश बनाना, पौधारोपण और जल स्रोतों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी